करीब सवा सौ साल पूर्व अपने मूल स्थान जिला सीकर राजस्थान के ग्राम कांवट निकट नीम का थाना से रानीखेत पहुंचे रामनिवास जी के तीन पुत्र –सूरजमल, ब्रदीप्रसाद, जगदीश प्रसाद अग्रवाल हुए. इस पर... Read more
हल्द्वानी नगर का इतिहास
उत्तराखण्ड के कुमाऊं मण्डल का प्रवेश द्वार हल्द्वानी तब तक एक गांव ही था जब तक इसे व्यापारिक मंडी के रूप में बसाने की शुरुआत नहीं हुई थी. चंद शासनकाल में इसे गांव का ही दर्जा हासिल था. तब इस... Read more
माधो सिंह भण्डारी उत्तराखण्ड के मध्यकालीन इतिहास के वीर योद्धा हैं. माधो सिंह भण्डारी के शौर्य व पराक्रम के किस्से आज भी कहे-सुने जाते हैं. माधो सिंह भण्डारी का जन्म सत्रहवीं शताब्दी के अंत... Read more
उत्तराखण्ड के कुमाऊं मंडल का प्रमुख पहाड़ी जिला है अल्मोड़ा. यह ऐतिहासिक शहर कभी कुमाऊं डिवीजन का मुख्यालय हुआ करता था. कहा जाता है कि इसका नाम अल्मोड़ा घास (रुमेक्स हेस्टाटा) के नाम पर पड़ा... Read more
उत्तराखंड के आदि निवासी कौन हैं
उत्तराखंड के आदि निवासी कौन हैं सदियों से बहस का मुद्दा रहा है. सवाल का उत्तर जो भी हो पर इस बात पर दोराय नहीं है कि वर्तमान में उत्तराखंड में रहने वाली अधिकांश जातियां बाहरी हैं. यहां रहने... Read more
सदियों पहले श्यामखेत का पूरा भूभाग एक झील था
भवाली, कुमाऊॅ की यात्रा के लिए एक मुख्य जंक्शन होने के साथ ही रामगढ़, मुक्तेश्वर, तितोली, हरतफा, निगलाट जैसी फल पट्यिों के करीब होने से फलों के खरीद केन्द्र के रूप में भी अपनी पहचान रखता है.... Read more
उत्तराखण्ड की शौर्य गाथा एक कैलेंडर में
प्रज्ञा आर्ट्स थिएटर ग्रुप कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है. दिल्ली से संचालित होने वाले थियेटर ग्रुप प्रज्ञा आर्ट्स को मूल रूप से उत्तराखण्ड की रहने वाली लक्ष्मी रावत संचालि... Read more
थोकदार: मध्यकालीन उत्तराखण्ड का महत्वपूर्ण पद
मध्यकालीन उत्तराखण्ड में थोकदार का पद बहुत महत्वपूर्ण हुआ करता था. थोकदार का काम भी बूड़ों और सयानों जैसा ही था. लेकिन इनके अधिकार बूड़ों और सयानों से कुछ कम हुआ करते थे. राज्य के प्रबंध में... Read more
पिथौरागढ़ महाविद्यालय को बने अब आठ एक साल हो चुके थे. 1970 में महाविद्यालय ने ईश्वरी दत्त पन्त के रूप में अपने पहले अध्यक्ष को भी चुन लिया था. पर एक सीमांत में बने इस महाविद्यालय में अब भी म... Read more
भवाली की लल्ली क़ब्र का रहस्य और पुरानी यादें
भारत रत्न पं. गोबिन्द बल्लभ पन्त की कर्मभूमि एवं उनके सुपुत्र स्व. कृष्ण चन्द्र पन्त की जन्मस्थली का गौरव हासिल करने से परोक्ष रूप से भवाली को पहचान तो अवश्य मिली लेकिन मुझे यह कहने में तनिक... Read more