उत्तराखंड में ऐसे पुल भी होते थे
एटकिन्सन ने अपनी किताब हिमालयन गजेटियर में उत्तराखंड में परिवहन व्यवस्था पर विस्तार से लिखा है. यहां नदियों पर पाये जाने वाले पुलों के संबंध में एटकिन्सन ने दूसरे कमिश्नर ट्रेल के हवाले से ल... Read more
देशभक्त मोहन जोशी: स्वतंत्रता सेनानी जो अंग्रेजों की मशीनगन के सामने भी नहीं झुके
कुमाऊं के स्वतन्त्रता संग्राम में मोहन जोशी एक ऐसा नाम रहा है जिसने बतौर संग्रामी के ही नहीं, अपितु यशस्वी संपादक के रुप में अपना विशिष्ट स्थान बनाया. मोहन जोशी ऐसे यशस्वी संग्रामी रहे जिनकी... Read more
ट्रेल: कुमाऊं में अंग्रेजी राज का संस्थापक
भारत के अन्य भागों की तरह कुमाऊं में भी अंग्रेजों ने अपनी कूट-नीति से सारे कुमाऊं-गढ़वाल में अपना अधिकार 1815 तक कर लिया. अपने राज्य की नींव को गहरा करने के लिए, उन्होंने ‘चीनी में लिप... Read more
बचपन से भवाली के ताजमहल के नाम से जाने जाने वाली राजपुताना राजघराने की एक धारोहर के बारे में जानने की मेरी हार्दिक इच्छा रही है. दोस्तों के साथ खाली समय में शाम के वक्त वहाँ जाना और उसके मध्... Read more
आज के दिन सौ साल पहले बागेश्वर की फ़िजा गर्म थी
सौ बरस पहले 14 जनवरी की सुबह बागेश्वर की फ़िजा में अलग गर्मी थी. आज सरयू कल-कल के बजाय दम्मू की दम-दम करती ज्यादा लग रही थी. बागेश्वर में आज कौवे तो बुलाने ही थे पर साथ में उड़ाने थे ब्रितान... Read more
स्वाधीनता संग्राम में गढ़वाल का चंपारण ककोड़ाखाल: कुली बेगार विरोधी आंदोलन के सौ साल
1857 की क्रांति में गढ़वाल भू-भाग में पूरी तरह शांति रही. इतनी कि तत्कालीन कमिश्नर रैमजे को गढ़वाल भ्रमण पर होने के बावजूद नैनीताल पहुँचना ही श्रेयस्कर लगा. उसी गढ़वाल में अंग्रे राज्य के वि... Read more
काली कुमाऊं के वीर भ्यूंराज की मार्मिक कथा
घटना कुमाऊं के अंतिम चंद राजा मोहन चंद के काल (सन् 1777 से 1788 ई.) की है. इस समय कुमाऊं पूर्णतया जर्जर और छिन्न-भिन्न हो चुका था. इस अन्तिम राजा बनने की लालसा वाले शासक ने कुमाऊं के बिछिन्न... Read more
डोटी की राजकुमारी रुद्रचंद की मां ने तोहफे में अपने भाई से सीरा मांगा, लेकिन भाई ने उसे देने से इनकार कर दिया. रुद्रचंद के पिता की मृत्यु हो जाने पर भी उसकी मां सती नहीं हुई. उसने कहा ‘जब मे... Read more
अंतिम चंद शासक महेन्द्र चंद और गोरखा आक्रमण
महेन्द्रचंद (1788-91) चंद राजवंश का अंतिम शासक था. सन् 1791 में गोरखों के साथ हुए हवालबाग युद्ध पराजित होकर कुमाऊँ में गोरखों का शासन प्रारम्भ हुआ. अब यहां सवाल है कि गोरखे कुमाऊँ में 1790 म... Read more
गढ़वाल चित्रकला शैली और मौलाराम
उत्तराखंड का गढ़वाल हिमालय अपनी नैसर्गिक सुन्दरता तथा पवित्र वातावरण के लिए प्रसिद्ध रहा है. यह क्षेत्र भारतीय संस्कृति की चेतना का केन्द्र रहा है. गढ़वाल चित्रकला शैली भी इसी क्षेत्र की एक... Read more