स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान एक उत्तराखंडी स्वतंत्रता सेनानी की जेल की यादें
बात सन् 1921-22 की है. तब मेरी उम्र लगभग 5 वर्ष होगी. हम अपने गाँव (नौगाँव, पो. कफड़ा, विकास खण्ड द्वाराहाट) से 8 मील दूर रानीखेत में रहते थे. जरूरी बाजार में मेरे पिताजी की दुकान थी. रानीखे... Read more
मेरी जानकारी में जसुली देवी सौक्याणी के सम्बन्ध में धारचूला सनपाल सिंह दताल एवं मेरी मां स्व. सुरमा देवी पत्नी स्व. ज्ञान सिंह बौनाल जिनका जन्म वीरागंना जसुली देवी के परिवार में हुआ था, उनके... Read more
कुमाऊनी लोक गीतों में कत्यूरी राज वंशावली
कुमाऊनी लोक गीतों में वह कत्यूरी राज वंशावली जो कार्तिकेय वर्तमान बैजनाथ के निकट रणचूला दुर्ग, लखनपुर (द्वारहाट) तथा छिपला (भोट प्रांत) में शासन करती थी इस प्रकार दी गई है:(Katyuri Kings in... Read more
उत्तराखंड में ऐसे पुल भी होते थे
एटकिन्सन ने अपनी किताब हिमालयन गजेटियर में उत्तराखंड में परिवहन व्यवस्था पर विस्तार से लिखा है. यहां नदियों पर पाये जाने वाले पुलों के संबंध में एटकिन्सन ने दूसरे कमिश्नर ट्रेल के हवाले से ल... Read more
देशभक्त मोहन जोशी: स्वतंत्रता सेनानी जो अंग्रेजों की मशीनगन के सामने भी नहीं झुके
कुमाऊं के स्वतन्त्रता संग्राम में मोहन जोशी एक ऐसा नाम रहा है जिसने बतौर संग्रामी के ही नहीं, अपितु यशस्वी संपादक के रुप में अपना विशिष्ट स्थान बनाया. मोहन जोशी ऐसे यशस्वी संग्रामी रहे जिनकी... Read more
ट्रेल: कुमाऊं में अंग्रेजी राज का संस्थापक
भारत के अन्य भागों की तरह कुमाऊं में भी अंग्रेजों ने अपनी कूट-नीति से सारे कुमाऊं-गढ़वाल में अपना अधिकार 1815 तक कर लिया. अपने राज्य की नींव को गहरा करने के लिए, उन्होंने ‘चीनी में लिप... Read more
बचपन से भवाली के ताजमहल के नाम से जाने जाने वाली राजपुताना राजघराने की एक धारोहर के बारे में जानने की मेरी हार्दिक इच्छा रही है. दोस्तों के साथ खाली समय में शाम के वक्त वहाँ जाना और उसके मध्... Read more
आज के दिन सौ साल पहले बागेश्वर की फ़िजा गर्म थी
सौ बरस पहले 14 जनवरी की सुबह बागेश्वर की फ़िजा में अलग गर्मी थी. आज सरयू कल-कल के बजाय दम्मू की दम-दम करती ज्यादा लग रही थी. बागेश्वर में आज कौवे तो बुलाने ही थे पर साथ में उड़ाने थे ब्रितान... Read more
स्वाधीनता संग्राम में गढ़वाल का चंपारण ककोड़ाखाल: कुली बेगार विरोधी आंदोलन के सौ साल
1857 की क्रांति में गढ़वाल भू-भाग में पूरी तरह शांति रही. इतनी कि तत्कालीन कमिश्नर रैमजे को गढ़वाल भ्रमण पर होने के बावजूद नैनीताल पहुँचना ही श्रेयस्कर लगा. उसी गढ़वाल में अंग्रे राज्य के वि... Read more
काली कुमाऊं के वीर भ्यूंराज की मार्मिक कथा
घटना कुमाऊं के अंतिम चंद राजा मोहन चंद के काल (सन् 1777 से 1788 ई.) की है. इस समय कुमाऊं पूर्णतया जर्जर और छिन्न-भिन्न हो चुका था. इस अन्तिम राजा बनने की लालसा वाले शासक ने कुमाऊं के बिछिन्न... Read more