उत्तराखण्ड की लोककथा : ब्रह्मकमल
बहुत समय पहले की बात है. कहते हैं कि उस समय परी लोक की परियाँ धरती पर आती थीं. यहाँ दिनभर विचरण करती थीं और रात का अँधेरा होने के पहले वापस चली जाती थीं. परियों को धरती की स्वच्छ-साफ पानी की... Read more
उत्तराखण्ड की लोककथा : अजुआ बफौल
जमाने पुरानी बात है. पंच देवता का मन हुआ कि हिमालय की यात्रा की जाये. सो पंचदेव पर्वतराज हिमालय की यात्रा पर चल पड़े. हिमालय के सम्मोहन में बंधे वे लगातार चलते ही जा रहे थे. जब वे थक गए तो व... Read more
उत्तराखण्ड की लोककथा : गाय, बछड़ा और बाघ
एक गांव में गाय अपने बछड़े के साथ रहती थी. बछड़े को घर छोड़ गाय रोज हरी घास चरने जंगल जाया करती थी जिससे बछड़े को उसका दूध मिलता रहे. (Folklore of Uttarakhand) बछड़े को और ज्यादा पौष्टिक दूध... Read more
लोककथा : मुर्दे के साथ ब्याह
नियति जैसे अभागी रुकमा से रूठी थी. रुकमा के नामकरण के बाद ही उसके पिता चल बसे. लेकिन इजा ने रुकमा को कभी पिता की कमी महसूस नहीं होने दी. जितना भी बस में था वह रुकमा के लिए करती. पिता के भी ह... Read more
नंदा के लोग! आस्था ,श्रद्धा और संस्कृति के संगम को अनुभव करना हो तो उत्तराखण्ड के नंदा देवी मेलों में और नंदा जातों (यात्राओं) में डुबकी लगाना और उन्हें दिल से महसूस करना चाहिए. लोगों का उत्... Read more
लोककथा : कर्ज
दूर देश से यह तीर्थ यात्री केदारनाथ धाम की यात्रा पर पहुंचा. बाबा केदार के दर्शन कर वह वापस लौट रहा था कि उसके रुपये कहीं गुम हो गए. वह यात्री या तो अपने यात्राखर्च के शेष रुपये कहीं भूल गया... Read more
झूसिया दमाई : कालीतट की भारतीय और नेपाली साझी संस्कृति की मौखिक परम्परा की जीवंत कड़ी
बस्कोट (नेपाल) में जन्मे झूसिया दमाई (जन्म: 1910, मृत्युः 16 नवम्बर 2005) जितने नेपाल के थे उतने ही भारत के भी और जितने भारत में फैले हैं उतने ही नेपाल में भी. उनकी रिश्तेदारी, जाति-बिरादरी... Read more
मशकबीन के बिना जैसे उत्तराखण्ड के लोकसंगीत की कल्पना तक करना मुश्किल है. मशक्बाजा या मशकबीन के सुर और पहाड़ की वादियां एक दूसरे को पूर्णता प्रदान करते हुए लगते हैं. मशकबीन की धुन सुनते ही जो... Read more
कलुवावीर : उत्तराखण्ड के लोकदेवता
कलुवा शायद एक नागपंथी सिद्ध था. अपनी सिद्धियों की वजह से ही उसने इस पंथ में अपनी ख़ास जगह बना ली थी. कलुवावीर के बारे में कुमाऊँ और गढ़वाल मंडलों में अलग-अलग जनश्रुतियां चलन में हैं. (Kalwav... Read more
नए अंदाज में सुनिये कुमाऊनी होली मोहन गिरधारी
होली के जश्न में चार चाँद लगाती है कुमाऊनी होली ‘हां, हां, हां, हां… मोहन गिरधारी… रूमानी छेड़छाड़ और चुहल भरी यह होली उत्तराखण्ड की पारंपरिक लोकप्रिय होलियों में से है. (Moh... Read more