उत्तराखंडी समाज में बसंत पंचमी का महत्व उसी तरह है जिस तरह मकरैणी यानी मकर संक्रांति का. पंचमी पर स्नान आदि का महत्व है और इस दिन लोग मंदिरों में दर्शन करने जाते हैं. यह ऋतु पर्व ग्रामीण समा... Read more
‘बाबुल की दुआएं लेती जा, जा तुझको सुखी संसार मिले’ गीत को उत्तर भारत की शादियों का राष्ट्रीय विदाई गीत कहना गलत नहीं होगा. फिल्म नीलकमल के लिए साहिर लुधयानवी के लिखे इस गीत को मोहम्मद रफ़ी न... Read more
उत्तराखण्ड की सीमान्त जोहार घाटी में मिलम के करीबी गांव जलथ में रहने वाले प्रयाग रावत बचपन से ही हिमालय और प्रकृति के प्रेमी हैं. खुद को हिमालय पुत्र कहने वाले प्रयाग रावत के जीवन के शुरुआती... Read more
संत राम और आनंदी देवी की जोड़ी में उत्तराखण्ड का लोक संगीत बसता है कहना बिलकुल गलत नहीं होगा. इस सुरीले दंपत्ति का ताल्लुक उत्तराखण्ड के शिल्पकार समाज की उस उपजाति से है गीत-संगीत जिनकी धमनि... Read more
उत्सव शब्द ही अपने आप में हर्षो-उल्लास एवं खुशी को व्यक्त करता है. जब भी किसी उत्सव की बात होती है, तो लोगों के उत्साह सा दिखायी पड़ता है. उत्सव एक माध्यम है अपनी परम्परा व संस्कृति को दर्शा... Read more
‘कुमाऊँ का होली गायन : लोक एवं शास्त्र’ के लेखक डॉ पंकज उप्रेती से बातचीत
देवभूमि उत्तराखंड के हर क्षेत्र में डेढ़ सौ साल से भी अधिक समय से शास्त्रीय संगीत पर आधारित बैठकी होली गायन की परंपरा से चली आ रही है. यहां शीतकाल के पौष मास के प्रथम रविवार से गणपति की वंदन... Read more
नए साल के लिए उत्तराखण्ड का अपना कैलेंडर
भांति-भांति के कैलेंडर देखकर एक उत्तराखंडी होने की वजह से हमारा भी मन करता है कि हमारा भी अपना एक कैलेंडर हो. उत्तराखण्ड की लोक, कला, संस्कृति से सजा-संवरा यह कैलेंडर हम सभी की चाहत का हिस्स... Read more
लोककथा : धौन पानी का भूत
धौन पानी क्षेत्र के एक गांव में तीन लोग रहते थे — सास, ससुर और बहू. सास और ससुर बहु के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया करते थे. इस गांव में पीने के पानी की बहुत किल्लत थी. इस वजह से पानी लाने के... Read more
उत्तराखंड की लोककथा : फूलों की घाटी
हिमालय पर्वत की घाटी में एक ऋषि रहते थे. बर्फ सी सफेद पकी दाढ़ी वाले ऋषि कंद, मूल, फल खाते हुए तपस्या करते रहते. भगवान् में रमा उनका मन हमेशा प्रसन्न व् स्थिर रहता लेकिन कभी-कभी बर्फ से ढंके... Read more
उत्तराखंड की लोक-कथा: बीरा बैण
सालों पहले उत्तराखण्ड के जंगल में एक बुढ़िया रहती थी. उस विधवा बुढ़िया के सात बेटे थे और एक सुंदर बेटी. परी जैसी सुंदर बेटी का नाम था बीरा. जैसा कि नियति में बदा था, बुढ़िया की मृत्यु हो गई.... Read more