उत्तराखंड में गाये जाने वाले निमंत्रण गीत
उत्तराखण्ड में पुराने समय में निमंत्रण देने के लिये एक व्यक्ति गांव के सबसे ऊंचे हिस्से पर जाता और वहाँ से आवाज लगाता कि अमुक दिन फलाने के लड़के या लड़की की शादी है या अन्य कोई कार्यक्रम है.... Read more
अर्जुन का अवतार है कुमाऊं का ऐड़ी देवता
ऐड़ी (अहेरी) कुमाऊं मण्डल का एक बहुपूजित लोक देवता है. देवकुल में इसका महत्वपूर्ण स्थान है, सैम व गोरिया के समान इसकी पूजा सम्पूर्ण क्षेत्र में प्रचलित है. प्रमुख रूप से पशुचारक वर्ग का देवत... Read more
ऐपण कला की उम्मीद पिथौरागढ़ की निशा पुनेठा
उत्तराखण्ड की लोकसंस्कृति के विलुप्त हो जाने की आशंका के बीच कई युवा अपने जिद्दी इरादों के साथ इस कुहासे को लगन के साथ हटाते दिखाई देते है. उनके इरादे बताते हैं कि ऐसा मुमकिन नहीं. उनके रहते... Read more
उत्तराखंड प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले विधायक बंशीधर भगत जब आते हैं स्टेज पर तो बज उठती है तालियां. उत्तराखंड प्रदेश की राजनीति में अलग पहचान रखने वाले जाना पहचाना चेहरा,... Read more
क्या आवश्यक हैं रामलीला में अशोभनीय प्रसंग?
सीता स्वयंवर व धनुष यज्ञ प्रसंग में अनेक रामलीलाओं में फूहड़ता देखने को मिलती है. धनुष तोड़ने आये राजाओं की वेशभूषा, भाषा बोली और उनके द्वारा बोले व गाये जाने वाले संवाद और गीत दर्शकों को खटकत... Read more
पिछले छः दशक से भी अधिक समय से रामलीलाओं में तबला वादक के रूप में भागीदारी कर रहे मनोहर लाल मास्साब, भवाली के लिए कोई अनजान चेहरा नहीं हैं. मुक्तेश्वर के पास सुनकिया के गांव से भवाली तक का उ... Read more
नैनीताल जिले का मुक्तेश्वर कभी अपनी रामलीला को लेकर भी खासा जाना जाता था. आसपास के गांवों से लोग हाथ में मशाल लेकर रात की रामलीला देखने आते थे. सभी धर्मों के लोग इस रामलीला में प्रतिभाग करते... Read more
धीरेन्द्र कुमार पाण्डेय का बगेट-आर्ट
नगरपालिका सभागार में अल्मोड़ा 2-3 सितम्बर को आयोजित बगेट-आर्ट प्रदर्शनी देखने का सुअवसर मिला. बगेट चीड़ के पेड़ की छाल को कहते हैं. अल्मोड़ा के त्युनरा/बांसभीड़ा मोहल्ले के निवासी धीरेन्द्र क... Read more
हिलजात्रा: ग्रामीण कृषक समाज की जीवंत झांकी
जेठ-आषाढ़ की तप्त गर्मी और हाड़ तोड़ देने वाली धान की रोपाई के बाद सावन के घुमड़ते मेघ पहाड़ों के जीवन को कुछ पल के लिए शिथिल कर देते हैं. इन परसुकुन के पलों में जब प्रकृति भी अपना श्रृंगार... Read more
12 अगस्त 1949 को पौड़ी में जन्मे नरेन्द्र सिंह नेगी उत्तराखण्ड के उन गिने-चुने व्यक्तित्वों में से हैं जो कुमाऊँ और गढ़वाल दोनों मंडलों में समान भाव से चाहे जाते हैं. नरेन्द्र सिंह नेगी के ग... Read more