उत्तराखंड की लोक-कथा: बीरा बैण
सालों पहले उत्तराखण्ड के जंगल में एक बुढ़िया रहती थी. उस विधवा बुढ़िया के सात बेटे थे और एक सुंदर बेटी. परी जैसी सुंदर बेटी का नाम था बीरा. जैसा कि नियति में बदा था, बुढ़िया की मृत्यु हो गई.... Read more
उत्तराखण्ड की लोककथा : ब्रह्मकमल
बहुत समय पहले की बात है. कहते हैं कि उस समय परी लोक की परियाँ धरती पर आती थीं. यहाँ दिनभर विचरण करती थीं और रात का अँधेरा होने के पहले वापस चली जाती थीं. परियों को धरती की स्वच्छ-साफ पानी की... Read more
उत्तराखण्ड की लोककथा : अजुआ बफौल
जमाने पुरानी बात है. पंच देवता का मन हुआ कि हिमालय की यात्रा की जाये. सो पंचदेव पर्वतराज हिमालय की यात्रा पर चल पड़े. हिमालय के सम्मोहन में बंधे वे लगातार चलते ही जा रहे थे. जब वे थक गए तो व... Read more
उत्तराखण्ड की लोककथा : गाय, बछड़ा और बाघ
एक गांव में गाय अपने बछड़े के साथ रहती थी. बछड़े को घर छोड़ गाय रोज हरी घास चरने जंगल जाया करती थी जिससे बछड़े को उसका दूध मिलता रहे. (Folklore of Uttarakhand) बछड़े को और ज्यादा पौष्टिक दूध... Read more
लोककथा : मुर्दे के साथ ब्याह
नियति जैसे अभागी रुकमा से रूठी थी. रुकमा के नामकरण के बाद ही उसके पिता चल बसे. लेकिन इजा ने रुकमा को कभी पिता की कमी महसूस नहीं होने दी. जितना भी बस में था वह रुकमा के लिए करती. पिता के भी ह... Read more
लोककथा : कर्ज
दूर देश से यह तीर्थ यात्री केदारनाथ धाम की यात्रा पर पहुंचा. बाबा केदार के दर्शन कर वह वापस लौट रहा था कि उसके रुपये कहीं गुम हो गए. वह यात्री या तो अपने यात्राखर्च के शेष रुपये कहीं भूल गया... Read more
झूसिया दमाई : कालीतट की भारतीय और नेपाली साझी संस्कृति की मौखिक परम्परा की जीवंत कड़ी
बस्कोट (नेपाल) में जन्मे झूसिया दमाई (जन्म: 1910, मृत्युः 16 नवम्बर 2005) जितने नेपाल के थे उतने ही भारत के भी और जितने भारत में फैले हैं उतने ही नेपाल में भी. उनकी रिश्तेदारी, जाति-बिरादरी... Read more
लोककथा : ह्यूंद की खातिर
पुरानी बात है जब दो वक्त की रोटी जुटाना ही बड़ी बात थी. उन्नत बीज और सही जानकारी न होने की बजह से खेतों में कठिन परीश्रम करने के बावजूद भी पैदावार कम ही होती. परन्तु लोग अभाव में रहते हुये भ... Read more
लोककथा : दुबली का भूत
सम्पूर्ण हिमालयी क्षेत्रों में स्थायी निवास के साथ-साथ प्रायः एक अस्थाई निवास बनाने का चलन है, जिसे छानी या खेड़ा कहा जाता है. इन छाानियों में कभी खेती-बाड़ी बढ़ाने के लिए तो कभी हवा पानी बद... Read more
काली कुमाऊं के जिमदार देवता अर्थात भूमिया की कथा
भूमि के देवता के रूप में जिमदार, भूमियाँ व क्षेत्रपाल, इन तीन नामों से पूजा जाता है. भूमिया जो भूमि का स्वामी, गाँव का रक्षक, पशुओं तथा खेती की देखभाल करने वाला ग्राम देवता है, इसी को कुछ लो... Read more