रिंगाल की राखी. यह कल्पना ही स्वयं में अद्भुत है. पहाड़ से जुड़ा कोई भी व्यक्ति के इसे सुनते ही रोमांचित हो जाएगा. इसे साकार किया है हिमालय में रहने वाली महिलाओं ने. इन महिलाओं का अपनी जमीन और... Read more
नैनीताल जिले के ओखलकांडा ब्लॉक में एक गाँव पड़ता है नाम है नाई. नाई गांव में अभी कुछ साल पहले ही सड़क पहुंची है. नैनीताल जिले के सबसे दुर्गम क्षेत्रों में आने वाली इस पट्टी के गांवों का आलू... Read more
53 साल पहले बादल फटने की घटना का आँखों देखा हाल
बरसात के मौसम के शुरू होते ही पहाड़ी प्रदेशों में बादल फटने की घटनाओं की खबर समाचार पत्रों, रेडियो, दूरदर्शन या डिजिटल माध्यम से पढ़ने, सुनने तथा देखने को मिलती रहती हैं. इस तरह की घटनाओं के... Read more
बिजलि भूमि : जनपक्षीय आंदोलनों को आवाज़ देने वाला नरेन्द्र सिंह नेगी का जनगीत
केदारनाथ आपदा को सात साल हो गए हैं पर घाव अब भी बने हैं. अनियोजित विकास भी इसके प्रमुख कारणों में से एक रहा. खास कर बड़े बाँधों से आने वाले कथित विकास. बाँधों पर सवाल विभिन्न मंचों से अनेक र... Read more
पहाड़ की घास जो पशुओं के प्यारी है
उत्तराखंड में करीब पचहत्तर फीसदी भू भाग प्राकृतिक चरागाहों, बुग्याल या अल्पाइन मीडोज, वनों, गोचर, बंजर और खेती पाती के लिए अनुपयोगी या परती जमीन के रूप में है.वनों के साथ सटे छोटे बड़े चार... Read more
आमतौर पर मैं ही क्या, शायद आप में से भी कई लोग ये मानते ही होंगे कि चाहे सरकार कोई भी पार्टी चला रही हो हमारा भारतीय सरकारी सिस्टम काफी सुस्त और काम करने के मामले में काफी जर्जर हो चूका है.... Read more
1999 में फ्रेंच फिल्मकार एरिक वाली ने एक फिल्म बनायी, ‘हिमालया’. नेपाल के ट्रांस हिमालय के नमक संग्रह करने वालों की अद्भुत कहानी. एक ऐसे समुदाय की कहानी जो हिमालयी मरुस्थल में रहते हैं और कठ... Read more
उद्यानिकी के क्षेत्र में ग्राफ्टिंग टैक्नीक (कलम बन्दी विधि) कोई नया प्रयोग नहीं है, वर्षों से उद्यानों में इस विधि से उन्नत किस्मों के पौधों की ग्राफ्टिंग कर फलों की गुणवत्ता में सुधार वर्ष... Read more
कोरना संक्रमण के शुरुआती समय में यह माना गया कि यह वायरस सांपों से इंसान तक पहुंचा है. साथ ही साथ चमगादड़ और फिर पैंगोलिन को भी इस कड़ी का हिस्सा माना गया. बहरहाल, यहां पर इस लेख का उद्देश्य... Read more
विजय दशमी पर गांव जाना हुआ ट्राली (Rope way) से टिहरी झील पार की और फिर पैदल गांव को चल पड़ा सोचा मात्र डेढ़-दो मील की दूरी के लिये गाड़ी का इन्तजार क्यों करूं आधा मील ही पहुँचा पातनी; पातीण... Read more