कोट भ्रामरी का नंदा मेला – एक फोटो निबंध – 1
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के कोट भ्रामरी मंदिर परिसर में लगे विख्यात मेले से 16 सितम्बर 2018 की कुछ तस्वीरें जयमित्र सिंह बिष्ट के कैमरे से. (इस कड़ी के बाकी फोटो : कोट भ्रामरी का नंदा मेला... Read more
एक थे मोद्दा. बेतरतीब और उलझे हुए दाढ़ी-बाल, पोपला मुँह, फटे-पुराने जूते, जो कई बार अलग-अलग साइज और रंग के भी होते थे. तन पर दो-दो, चार-चार पैंट-कमीजें एक के ऊपर एक, हाथों में ढेर सारी पत्रि... Read more
क्या हमारे सपनों का उत्तराखण्ड बन पाया है
पृथक उत्तराखंड राज्य के लिए जब आन्दोलन चल रहा था, तब अक्सर हम कहा करते थे कि उत्तराखंड के लोग देश के तमाम उच्च पदों पर हैं. वे वैज्ञानिक हैं, अर्थशास्त्री हैं, समाज शास्त्री हैं, टॉप ब्यूरोक... Read more
आज है जानवरों के स्वास्थ्य से जुड़ा पर्व खतड़ुवा
खतड़ुवा उत्तराखंड में सदियों से मनाया जाने वाला एक पशुओं से संबंधित त्यौहार है. भादों मास के अंतिम दिन गाय की गोशाला को साफ किया जाता है उसमें हरी नरम घास न केवल बिछायी जाती है. पशुओ को... Read more
सदाबहार रेखा
वो सावन-भादों की फुहार हैं…उमराव जान की ताजा़ ग़ज़ल…ख़ूबसूरत की शोख़ी और हर उस फिल्म की जान जिसमें वे नज़र आईं. रेखा ने जैसे उन्हें अपने क़रीब से तो गुज़रने दिया…खु़द को छूने नहीं... Read more
क्या थी धर्म संसद, और यह गई कहां?
जिस स्विडनबॉर्जियन चर्च की पहल पर 11 सितम्बर 1893 को दुनिया की एकमात्र धर्म संसद आयोजित हुई थी, वह खुद तो कहीं बह-बिला गया लेकिन दक्षिण एशिया में उसके दो अवशेष लंबे समय तक अपना प्रभाव दिखाते... Read more
गधेरे में गुरकती उत्तराखण्ड की शिक्षा व्यवस्था
वैसे तो किसी भी मौसम में दिल्ली से पिथौरागढ जाने वाली बस में सफर के दौरान एक चीज जो कभी नहीं बदलती वो है सुबह 6 बजे के आस-पास बस सूखीढांक पहुँचते ही हवाओं का दिमाग में घुसकर हुस्न पहाड़ों का... Read more
इतिहास के पन्नों से गायब हैं महिलायें
भले ही आज भारत में सबसे लोकप्रिय होने वाले चुटकुले पत्नी प्रताड़ित पतियों के हों, भले ही आज संसद में बैठे पुरुष, महिला आयोग की तर्ज पर एक पुरुष आयोग की मांग कर रहे हों पर हकीकत यह है कि वर्त... Read more
अनछुई जगह से लौटकर उस यात्रा के अधूरेपन का अहसास दिल को सालता रहता है. मेरे साथ हमेशा ही ऐसा होता है. उस जगह में रच-बसकर जीना हो तो अगली मुलाकातें जरूरी हो जाती हैं. दूसरी यात्रा में ही आप उ... Read more
मैं मुरली मनोहर मंजुल बोल रहा हूँ
रेडियो में बैठे कई लोगों का मानना है कि क्रिकेट की लोकप्रियता के हमारे यहाँ सर चढ कर बोलने का कारण असल में रेडियो पर भाषाई और खासकर हिंदी की कमेंटरी ही है.इस पर किसी तरह की चर्चा यहाँ नहीं क... Read more