क्या फर्क रह गया है लघु और बड़ी पत्रिकाओं में?
लघु पत्रिका आन्दोलन की शुरुआत व्यावसायिक पत्रिकाओं को चुनौती देने के उद्देश्य से हुई थी. साठ के दशक में ‘समानांतर’ कला-माध्यमों के रूप में यह लगभग सभी कला-रूपों में एक साथ शुरू हुआ. सिनेमा,... Read more
रेडियो से समाचारों की सनसनी तक का सफ़र
‘ये ऑल इंडिया रेडियो है. थोड़ी देर में आप समाचार सुनेंगे’. शाम के आठ बजते और दादा जी आँगन में लगी चारपाई पर अपने फिलिप्स का रेडियो लेकर समाचार सुनने बैठ जाते. अलबत्ता आंगनवाड़ी में पढ़ने वाल... Read more
पॉलीथिन बाबा का प्रभात
गाँधी जयंती पर देश को पॉलिथीन मुक्त करने का सन्देश लालकिले की प्राचीर से देते मोदी बाबा. हिमालय बचाओ पॉलिथीन हटाओ,ग्रेस मार्क्स की जगह ग्रीन मार्क्स की घोषणा करते मानव संसाधन मंत्री निशंक. अ... Read more
आज जनकवि गिरीश चन्द्र तिवारी का जन्मदिन है. उनके जन्म दिन पर अल्मोड़ा के नगरपालिका सभागार में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. स्व विजय जोशी सभागार में आयोजित कार्यक्रम में जन सहयोग से लोकगायक... Read more
कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति का तुगलकी फरमान
इन दिनों उत्तराखंड में कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति अपने ऊलजलूल बयानों के कारण चर्चा में हैं. हाल ही में उनके द्वारा प्रधानमंत्री को लिखा गया पत्र विवादों में रहा था जिसमें उन्होंने उत्तरा... Read more
जन्मदिन पर गिर्दा की याद
गिर्दा एक खूबसूरत आदमी थे. उम्दा कोनों, सतहों, गहराइयों-उठानों वाला तराशा हुआ गंभीर चेहरा और आलीशान जुल्फें. और बात करने का ऐसा अंदाज कि जैसे खुद मीर तकी मीर कह रहे हों: (Remembering Girda t... Read more
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – बाइसवीं किस्त पिछली क़िस्त का लिंक: दुनिया में पोर्नोग्राफी पूरी तरह खत्म होनी चाहिए किताबों और फाइलों का हम लड़कियों/स्त्रियों की जिंदगी में सिर्फ पढ़ी... Read more
ट्रैफिक चालान से कैसे बचें
चालान से बचने का सबसे पहला तरीका तो यही है कि गाड़ी घर से निकाली ही न जाए. गाड़ी घर से निकलेगी तो सड़कों पर चलेगी. सड़क पर चलेगी तो ड्राइवर को अपना बचपन याद आएगा. बचपन से ही लगभग सभी आम भारत... Read more
पंडित गोविन्द वल्लभ पन्त के बचपन की तस्वीरें
बहुत कम लोग इस बात के जानते हैं कि पंडित गोविन्द वल्लभ पन्त का जन्म 30 अगस्त 1887 में अनंत चतुर्दशी के दिन हुआ था. 1946 में जब पन्त जी दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो अनंत चतुर्... Read more
‘हिमालय दिवस’ पर शमशेर सिंह बिष्ट की एक टिप्पणी
शमशेर सिंह बिष्ट ठेठ पहाड़ी थे. उत्तराखंड के पहाड़ी ग्राम्य जीवन का एक खुरदुरा, ठोस और स्थिर व्यक्तित्व. जल, जंगल और ज़मीन को किसी नारे या मुहावरे की तरह नहीं बल्कि एक प्रखर सच्चाई की तरह जी... Read more