अगर आप उत्तराखंड से हैं और आपने लाटा शब्द नही सुना तो आप सच में लाटे ही हैं. कितनी ही बार आप लाटा बनें होंगें और कितनी ही बार आपने लोगों को ‘लटाया’ होगा. लाटा का शाब्दिक अर्थ जो भ... Read more
रामलीला मंचन के शुरुआती वर्षों में प्रकाश व्यवस्था के लिये चीड़ के पेड़ के छिल्कों का प्रयोग किया जाता था. कच्चे पतले पेड़ों को काटकर रामलीला मंच के चारों ओर गाड़ दिया जाता और छिल्कों के गुच्छों... Read more
मैं कितना खुश हूँ, इस पल को जी रहा हूं. मेरे पास बहुत कुछ है, जो तमाम लोगों के पास नहीं है. यही तो पल-पल जीने का एहसास है. जानते हैं आप, दुनिया में प्रत्येक 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्य... Read more
हल्द्वानी की एक तस्वीर और उसकी तफसील
नीचे की फोटो को ध्यान से देखिये. एक निगाह में आप ताड़ जाएंगे कि यह उत्तराखंड के किसी बड़े नगर का रोडवेज स्टेशन है. ऑनलाइन बुकिंग का बोर्ड बताता है कि टेक्नोलॉजी के मामले में हमने बहुत तरक्की... Read more
हे महादेवी ! तुम कौन हो
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online जीवन भर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कुल महाविद्यालयों में अर्थशास्त्र की प्राध्यापकी करते रहे प्रोफेसर मृगेश पाण्डे फिलहाल सेवानिवृत्ति... Read more
मुक्तेश्वर की ठंड और सने हुए नीबू के मजे
हमारा बचपन मंदिर के ठीक नीचे वाले बंगले में गुजरा. उससे पहले मुक्तेश्वर क्लब के ऊपर वाला घर और उससे भी पहले हवाघर वाला घर. ब्रिटिश काल में बने मुक्तेश्वर के खूबसूरत बंगलों की खिड़कियों से सा... Read more
अल्मोड़ा के खमसिल बुबू और उनका मंदिर
मंदिर स्थापत्य की विभिन्न श्रेणियां इतिहास की पुस्तकों में, सिविल सेवा की तैयारियों के दौरान किए गए अध्ययन में पढ़ी थीं. नागर, बेसर, द्रविड, यूनानी, मुस्लिम, तुर्क आदि-आदि निर्माण श्रेणियां.... Read more
ऐतिहासिक महत्व का है कुमाऊं का गणानाथ मंदिर
अल्मोड़ा नगर से 47 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गणानाथ मंदिर जाने के लिए अल्मोड़ा-सोमेश्वर मार्ग पर स्थिर रनमन नामक जगह से ग्नानाथ तक का 7 किलोमीटर की सीधी चढ़ाई वाला कच्चा मार्ग है. इसके अलावा अल... Read more
शिमला से ज्यादा सुंदर है काली कुमाऊं – पीटर बैरन
तीन ओर क्रमशः काली, सरयू और पनार नदियों से घिरा और मध्य में लोहावती व लधिया नदियों को लिये हुए उत्तराखंड के पूर्वी किनारे पर स्थित काली कुमाऊं क्षेत्र का विस्तार माल (भाबर) से मध्यवर्ती पहाड... Read more
ठाकुर दान सिंह मालदार और पंडित गोविन्द बल्लभ पंत ने जगाई कुमाऊं में आधुनिक शिक्षा की अलख
आज जिस स्थान पर कुमाऊँ विश्वविद्यालय का मुख्य परिसर ‘डी. एस. बी.’ स्थित है, आजादी से पहले वहाँ पर ‘वैलेजली स्कूल’ था जहाँ अंग्रेजों के बच्चे पढ़ते थे. उन दिनों गढ़वाल... Read more