नजर लगने से बचाने के लिये आमा-बूबू के टोने टोटके
जिसने मेरे लाल को नजर लगायी उसकी आँखें जल कर छार हो जाईं. रसोई में जलती बांज कुकाट की लकड़ियों के दहकते क्वेलों को पण्यू से टीप बड़े तवे में डाल आमा गुस्से में फनफनाई. बदजात काणी च्याव! म्या... Read more
एक मरा हुआ मनुष्य इस समय जीवित मनुष्य की तुलना में ज़्यादा कह रहा है: मंगलेश डबराल की याद में
मैं जब भी यथार्थ का पीछा करता हूं देखता हूं वह भी मेरा पीछा कर रहा है मुझसे तेज़ भाग रहा है. उस रोज़ कौन जानता था कि वो नये सफ़र पर निकलने वाले थे. ये न घर का रास्ता था न कोई आवाज़ थी न कोई... Read more
पहाड़ी से उतरती एक कच्ची सड़क ने हमें फ़ेस्टिवल के वेन्यू पर लाकर छोड़ दिया. किसामा नाम के इस विरासती गाँव की रौनक़ देखने वाली थी. एक पहाड़ी पर बनी सीमेंटेंड पगडंडी के इर्द-गिर्द बांस से बनी... Read more
काली कुमाऊं के वीर भ्यूंराज की मार्मिक कथा
घटना कुमाऊं के अंतिम चंद राजा मोहन चंद के काल (सन् 1777 से 1788 ई.) की है. इस समय कुमाऊं पूर्णतया जर्जर और छिन्न-भिन्न हो चुका था. इस अन्तिम राजा बनने की लालसा वाले शासक ने कुमाऊं के बिछिन्न... Read more
हरकुवा गांठी के किस्से
हरक सिंह पुराने बॉडी बिल्डर थे. जन्मजात गुस्सैल थे. बात-बात पर हाथ छोड़ देना उन्हें अच्छा लगता था. दुनिया में कहीं भी, किसी भी समय सार्वजनिक गाली-गुप्ता हो रहा हो या छोटी-बड़ी फौजदारी चल रही... Read more
हर गांव में एक न एक मोहन दा जरूर होता है
मैंने मोहनदा को होश सँभालने के साथ-साथ देखा था. जैसे गाँव के अन्य दूसरे लोगों को देखा जाता है, पहचाना जाता है. बचपन में उनके प्रति मन में एक विचित्र भय-मिश्रित स्नेह रहा था. ऐसी भावना शायद औ... Read more
इंद्रसभा के आमंत्रण षड्यंत्र होते हैं
“अरी ऐरी आली!”(Satire by Priy Abhishek 2021) “हाँ सखी!” “आली, पूछ न क्या गजब हुआ उस दिन!” “क्या हुआ सखी, बता तो ज़रा?” “अरी इंद्रसभा का आमंत्रण था…” “हाय दैया, इंद्रसभा का?” “हाँ आली,... Read more
घाम पानी: बिना कमला-बिमला के एक कुमाऊनी प्रेम गीत
चांदनी एंटरप्राइजेज के यूट्यूब चैनल पर मुनस्यारी के लवराज टोलिया का लिखा घाम-पानी गाना रिलीज हो चुका है. घाम-पानी एक प्रेम गीत है. जिसमें एक छोटी सी पर पहाड़ में अक्सर घटने वाली एक प्रे... Read more
ये हैं नए साल की सदाबहार प्रतिज्ञाएं
नया वर्ष सिर पर है. आप नव वर्ष की प्रतिज्ञाएं लेने का मन बना ही चुके होंगे. इस बात का खयाल आते ही मुझे लगा कि क्यों न मैं आपकी कुछ मदद करूं और आपको कुछ ऐसी प्रतिज्ञाएं बताऊं, जो मैंने इधर खु... Read more
1780 का साल रहा होगा. गढ़वाल और कुमाऊं दोनों जगह राजगद्दी को लेकर आंतरिक संघर्ष जारी था. कुमाऊं में ललितशाह अपनी दुसरी पत्नी के बड़े बेटे प्रदुम्नशाह को शासक नियुक्त कर चुके थे. ललितशाह की म... Read more