भाबर के इलाके वास्तव में पहाड़ियों की ही भूमि है
एक समय ऐसा भी था जब कुमाऊं में भाबर की जमीन पहाड़ियों की हुआ करती थी. पहाड़ में रहने वाले लोगों की भाबर में स्थित इन जमीनों में उनके स्थायी और अस्थायी दोनों तरह के घर हुआ करते थे. नवम्बर से... Read more
चंद्रकुंवर बर्त्वाल की कविता ‘काफल पाक्कू’
हे मेरे प्रदेश के वासीछा जाती वसन्त जाने से जब सर्वत्र उदासीझरते झर-झर कुसुम तभी, धरती बनती विधवा सीगंध-अंध अलि होकर म्लान, गाते प्रिय समाधि पर गानएक अंधेरी रात, बरसते थे जब मेघ गरजतेजाग उठा... Read more
2 फरवरी 1925 को जन्मे पहाड़ के महान कलाकार जीत सिंह नेगी की आज पहली पुण्यतिथि है. जीत सिंह नेगी ने छः दशक से अधिक समय तक लोकसंगीत की साधना की थी. जीत सिंह नेगी को गढ़वाली गीत-संगीत-रंगकर्म क... Read more
प्रेम पिता का दिखाई नहीं देता
तुम्हारी निश्चल आंखेंचमकती हैं मेरे अकेलेपन की रात के आकाश मेंप्रेम पिता का दिखाई नहीं देताईथर की तरह होता हैजरूर दिखायी देती होंगी नसीहतेंनुकीले पत्थरों-सी दुनिया भर के पिताओं की लम्बी कतार... Read more
अगर आप खुशी की तितली के पीछे भागोगे, तो कभी उसे पकड़ न पाओगे. आपको अगर बचपन में खुले मैदानों और बागों में खेलने को मिला, जहां बेफिक्र तितलियां उड़ती रही हों, तो आपने इस तथ्य को बखूब जाना होग... Read more
पांचवी में बोर्ड परीक्षा की भीनी-भीनी यादें
जी! आप चैंकिए मत! थी यह बोर्ड परीक्षा ही, लेकिन हम चैड़ूधार के सभी छात्र-छात्राओं उर्फ छोर-छ्वारों के लिए पांचवी की बोल्ड परीक्षा ही होती थी. वैसे तो परीक्षा हर साल होती रही होगी, पर हमें उस... Read more
कितनी बेबाकी से लिखता था भुला पंकज सिंह महर
पंकज सिंह महर था तो सरकारी नौकरी (विधानसभा में प्रतिवेदक/रिपोर्टर) में, पर राज्य बनने के दो दशक बाद भी विकास व व्यवस्था के स्तर पर जो चिंताजनक हालात हैं, उसके खिलाफ वह मुखर होकर सोशल मीडिया... Read more
बचपन में दशहरा द्वारपत्र बनाने की ख़ुशगवार याद
जब हम छोटी कक्षाओं के छात्र हुआ करते और बड़े भाई जो घर के मुखिया भी थे, पुरोहिती का कार्य करते थे. उस दौर में दशहरा द्वार पत्र मुद्रित रूप में नहीं हुआ करते थे, अगर होते भी होंगे तो बड़े महा... Read more
ट्रेलर देखने के बाद से ही फिल्म का इंतजार शुरु था. इस फिल्म के बारे में पढ़ने से पहले यह जान लें कि लेख में पर्यावरण एवं वन्यजीव संरक्षण से संबंधित कुछ तकनीकी शब्दों का प्रयोग किया गया है. इ... Read more
उत्तराखण्ड: यहाँ हर दिन है नवजात
उत्तराखण्ड का गढ़वाल-कुमाऊं दुनिया का शायद एकमात्र ऐसा भूभाग है जहाँ हर रात्रि सद्यःप्रसूता होती है और हर दिन नवजात शिशु. जी हाँ, यहाँ रात ब्याती है और दिन जन्म लेता है इस तरह हुआ न हर दिन न... Read more