मिले सुर मेरा तुम्हारा…
संगीत का जादू सर चढ़कर बोलता है लोक का जादुई प्रभाव होता है. इन कथनों की सच्चाई दूरदर्शन के एक विज्ञापन-गीत के जरिए समझ में आई. तत्कालीन सरकार ने तय किया कि देश को विविधता में एकता विषय पर... Read more
उत्तराखंड में आज बड़ी धूम से लोकपर्व हरेला मनाया गया. हरेला पर्व की के दिन जहां दिन भर जगह-जगह वृक्षारोपण के कार्यक्रम हुये वहीं सोर घाटी में हरेला सोसायटी के युवा पारम्परिक अंदाज में लोकपर्... Read more
पिछले सप्ताह हरेला सोसायटी द्वारा अपनी एक गतिविधि ‘हरेला पर लिखो और उपहार पाओ’ के तहत निबंध आमंत्रित किये गये थे. निबंध का विषय ‘हरेला लोकपर्व का पर्यावरण से संबंध’ था. विभिन्न माध्यमों से इ... Read more
हम जब कॉलेज में थे तो एक बार पिकनिक में सातताल गये. धूपचैड़ से आगे बढ़ते ही ऊँचाई से घने बांज के जंगलों के बीच गहराई में बसी झील का जो पहला दृश्य मैंने देखा वह मेरी स्मृति में अभी तक बसा है.... Read more
आज पारम्परिक पकवानों की सुंगध बिखरेगी पहाड़ों में
आज उत्तराखंड का लोक पर्व हरेला है. आज की सुबह हरेला काटे जाने के बाद सबसे पहले अपने इष्टदेव के मंदिर में चढ़ता है साथ में चढ़ते हैं पारम्परिक पकवान. उसके बाद घर के बुजुर्ग हरेला लगाने के शुर... Read more
मित्र वही जो विपत्ति में काम आये
ज़रूरत में काम आने वाला दोस्त ही सच्चा दोस्त होता है इस मुहावरे का असली अर्थ सही मायनों में मुझे इस घटना के द्वारा ही पता चला. (Memoirs of Corbett Park by Deep Rajwa हुआ यूँ कि एक दिन जंगल स... Read more
ठुलदा की कहानी
आखिर गुजर गए 32, बड़ा बाज़ार, मल्लीताल के हमारे ठुलदा वर्ष 2013 में एक महत्त्वाकांक्षी योजना के रूप में मैंने अपनी नैनीताल की स्मृतियों पर केन्द्रित आत्मकथात्मक आख्यान ‘गर्भगृह में नैनीताल’... Read more
प्रिय अभिषेक की ‘लग्गू कथा’
“आप भी लिखते हो?” बाबूजी ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए मुझसे कहा, जब मैंने उनको बताया कि मैं लिखता हूँ. मैं उनके सामने टेबिल के उस पार बैठा था. “हमारे साहब को पढ़ा है कभी?” उन्होंने पूछा.(Satir... Read more
यशपाल शर्मा को श्रद्धांजलि
9 जून 1983 को भारत ने वर्ल्ड कप क्रिकेट का पहला मैच वेस्ट इंडीज के साथ खेला. इसके ठीक पहले हमारी टीम वेस्ट इंडीज में पांच टेस्टों की सीरीज में 0-2 से पिट कर आई थी. तीन वन डे भी खेले गए जिनमे... Read more
मेहनतकश पहाड़ियों के घट
मिट्टी-पत्थर-पेड़-घास-पानी-धारा-गूल से लिपटा पहाड़. तलाऊँ और उपराऊँ के सीढ़ीदार खेत. सेरे भी जहां साल में दो बार अन्न उगता. ऊँची पहाड़ियों से चूता-टपकता पानी, जो नीचे आने की ठौर में,कहीं धार... Read more