बकरी और भेड़िये
अल सुभह गांव के चौराहे वाले चबूतरे पर ननकू नाई उकड़ूं बैठकर अपने औजारों की सन्दूकची खोजने ही जा रहा था कि मिट्ठू आन पहुंचा.(Story by Bhagwati Prsaad Joshi) – राम-राम ननकू भाई – र... Read more
पहाड़ की ठण्ड में चाय की चुस्की
बचपन से ही में मुझे शिकार खेलने का बहुत शौक था जो किशोरावस्था तक आते-आते और भी चरम सीमा पर चढ़ गया. शहर से जब भी गांव आना होता था मैं दूसरे दिन बंदूक उठा कर शिकार की तलाश में जंगल की ओर निकल... Read more
रमोलिया हाउस में रंगोत्सव : कलर्स ऑफ होप
कुमाऊँ मंडल विकास निगम शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, कालाढूंगी चौराहा, हल्द्वानी के द्वितीय तल पर स्थित रमोलिया हाउस कल पूरा दिन गुलज़ार रहा. मौका था ‘काफल ट्री फाउंडेशन’ द्वारा 31 मार्च से आयोजित 4 द... Read more
रंग बातें करें और बातों से ख़ुशबू आए
‘रंग बातें करें और बातों से ख़ुश्बू आए…’ ज़िया जालंधरी की ग़ज़ल के इस मुखड़े को हक़ीक़त बनते देखना हो तो आएं ‘रमोलिया हाउस.’ यहाँ आपके लिए 10 युवा कलाकारों की शानदार पेंटिंग्स लगायी गय... Read more
राजी जनजीवन की झलक दिखाता एक बेहतरीन उपन्यास
‘काली वार काली पार’ पुस्तक के लेखक शोभाराम शर्मा की एक दो कृतियां बहुत पहले पढ़ी थी, जिनमें उनके जनप्रतिबद्ध लेखन की झलक देखी थी मैंने. न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन से 2022 में आयी इस पुस्तक को पढ़... Read more
कहानी : कैकेयी कंडक्टर और ‘बस-हो-चली-बुढ़िया’
(प्रकृति करगेती की यह कहानी उनके कहानी संग्रह ‘ठहरे हुए से लोग’ में शामिल है. कहानी संग्रह को अमेजन से खरीदा जा सकता है. लिंक यह रहा : ठहरे हुए से लोग – Thahre Huye Se Log) मोड़ काटने... Read more
कविता : नाक के पहाड़ से
वो औरतेंलम्बा टीका लगाती हैंजो नाक के पहाड़ सेमाथे और माँग के मैदान तक जाता है वो औरतेंचढ़कर, उतरकरऔर फिर से चढ़करएक ऐसे गाँव आती हैंजहाँ सेसड़क साँप बनकरउनके बच्चों कोनिगल जाती है वो औरतेंजो बस... Read more
नन्ही लाल चुन्नी की कहानी
एक बार की बात है, एक छोटी सी बच्ची अपने माता-पिता के साथ एक गांव में रहती थी. वह अपने माता-पिता से ज्यादा अपनी दादी से प्यार करती थी. उसकी दादी गांव के दूसरी ओर रहती थी जो कि जंगल से होकर नि... Read more
घुघुति-बासूती
पिछली कड़ी – सासु बनाए ब्वारी खाए घुघूती-बासूती…क्या खांदी?दुधु-भाती!मैं भी दे…जुठू छकैकू?मेरू!तेरी ब्वै कख?ग्वोठ जायीं.क्या कर्न?दूधु द्धेवणा!ग्वोठ को छ?गाय-बाछी.बाछी कन कदी?म्हाँ कदी!... Read more
तीन मोड़ : पहाड़ से एक कहानी
बैंगनी, भूरे और नीलम पहाड़ियों के बीच रूपा नदी ने एक सुरम्य घाटी बना दी थी. हरे-भरेधान के खेतों के मध्य एक छोटा सा सुंदर गांव, नाम था देवी सैंण. आधुनिकता तथा कृत्रिम वातावरण से दूर लगता. कलय... Read more