रंग बातें करें और बातों से ख़ुशबू आए
‘रंग बातें करें और बातों से ख़ुश्बू आए…’ ज़िया जालंधरी की ग़ज़ल के इस मुखड़े को हक़ीक़त बनते देखना हो तो आएं ‘रमोलिया हाउस.’ यहाँ आपके लिए 10 युवा कलाकारों की शानदार पेंटिंग्स लगायी गय... Read more
राजी जनजीवन की झलक दिखाता एक बेहतरीन उपन्यास
‘काली वार काली पार’ पुस्तक के लेखक शोभाराम शर्मा की एक दो कृतियां बहुत पहले पढ़ी थी, जिनमें उनके जनप्रतिबद्ध लेखन की झलक देखी थी मैंने. न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन से 2022 में आयी इस पुस्तक को पढ़... Read more
कहानी : कैकेयी कंडक्टर और ‘बस-हो-चली-बुढ़िया’
(प्रकृति करगेती की यह कहानी उनके कहानी संग्रह ‘ठहरे हुए से लोग’ में शामिल है. कहानी संग्रह को अमेजन से खरीदा जा सकता है. लिंक यह रहा : ठहरे हुए से लोग – Thahre Huye Se Log) मोड़ काटने... Read more
कविता : नाक के पहाड़ से
वो औरतेंलम्बा टीका लगाती हैंजो नाक के पहाड़ सेमाथे और माँग के मैदान तक जाता है वो औरतेंचढ़कर, उतरकरऔर फिर से चढ़करएक ऐसे गाँव आती हैंजहाँ सेसड़क साँप बनकरउनके बच्चों कोनिगल जाती है वो औरतेंजो बस... Read more
नन्ही लाल चुन्नी की कहानी
एक बार की बात है, एक छोटी सी बच्ची अपने माता-पिता के साथ एक गांव में रहती थी. वह अपने माता-पिता से ज्यादा अपनी दादी से प्यार करती थी. उसकी दादी गांव के दूसरी ओर रहती थी जो कि जंगल से होकर नि... Read more
घुघुति-बासूती
पिछली कड़ी – सासु बनाए ब्वारी खाए घुघूती-बासूती…क्या खांदी?दुधु-भाती!मैं भी दे…जुठू छकैकू?मेरू!तेरी ब्वै कख?ग्वोठ जायीं.क्या कर्न?दूधु द्धेवणा!ग्वोठ को छ?गाय-बाछी.बाछी कन कदी?म्हाँ कदी!... Read more
तीन मोड़ : पहाड़ से एक कहानी
बैंगनी, भूरे और नीलम पहाड़ियों के बीच रूपा नदी ने एक सुरम्य घाटी बना दी थी. हरे-भरेधान के खेतों के मध्य एक छोटा सा सुंदर गांव, नाम था देवी सैंण. आधुनिकता तथा कृत्रिम वातावरण से दूर लगता. कलय... Read more
कहानी : पेन पाल
-जी. श्रीनिवास राव इसकी शुरुआत उस एक सुबह से हुई, जब मैं 21 वर्ष का कॉलेज विद्यार्थी था और अचानक एक लोकप्रिय पत्रिका के पेज पर मेरी नजर पड़ी, जिसमें पूरे संसार के युवा लोगों के डाक के पतों क... Read more
दो गज जमीन
दो बहने थी. बड़ी का कस्बे में एक सौदागर से विवाह हुआ था. छोटी देहात में किसान के घर ब्याह थी. बड़ी का अपनी छोटी बहन के यहां आना हुआ. काम निबटकार दोनों जनी बैठीं तो बातों का सूत चल पड़ा. बड़ी... Read more
एक महान सपने को साकार होते देखने की चित्र गाथा है ‘परेड ग्राउण्ड टू लैंसडाउन चौक‘
सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में हिमालयी अध्ययन पर संकेन्द्रित दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र का प्रार्दुभाव 16 मार्च, 2006 को एक स्वायत्तशासी संस्था के रुप में देहरादून हुआ. इसके लिए माध्यमिक... Read more