भल करियक भलै हुनेर भै : कुमाऊनी लघुकथा
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree सिबौ हंसुलि बिचारिक ग्रहौ खराब भोय, ईज बाबू लि ब्या करौ मस्त दैज ले दे आब जदुक उनरि हैस्यत छी वीहैबेर बाकिकरौ. तौ ब्या ले ठ... Read more
मामूली सी बात पर माँ मुझ पर क्यों भड़क गयी?
तकरीबन सात साल का हरीश आज सुबह से ही अपनी धुन में इधर-उधर नाचता फिर रहा था. अपनी धुन में मगन हरीश अचानक देखता है कि घर में एक आदमी आया है और दरवाजे पर खड़ा है. पर उस मेहमान को अंदर नहीं बैठा... Read more
कलर्स ऑफ होप सीजन-2 के 12 युवा कलाकार
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree इस साल मार्च में ‘रमोलिया हाउस की शुरुआत ‘कलर्स ऑफ होप’ चित्रकला प्रदर्शनी से हुई थी. इस प्रदर्शनी में उत्तराखण्ड के 1... Read more
सुबह का आना, कभी न ख़त्म होने वाली उम्मीद का आना
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree हर रोज सुबह का होना मेरे लिए एक बहुत बड़ी वजह है कभी खत्म न होने वाली सकारात्मक उम्मीद की. वह उम्मीद जो मुझे पल-पल रोश... Read more
सरुलि और चाहा केतलि
सरुलि चाहा केतलि बै निकलनैर वाल भाप कि एकटक देखण लागि रे छी. पटालनाक उच निच आंगन, एक कोण में माट लै लिपि चुल भै. जा में लाकड़ जल बेर धुं बण गयिं. बस लाकड़नक राख निशाणि तौर पर बच गयि. चाहा उब... Read more
दिनांक 29 सितंबर 23 को राष्ट्रीय दृष्टि बाधित संस्थान देहरादून में विद्यासागर नौटियाल पुरस्कार सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. यह कार्यक्रम सेव हिमालय मुवमेंट और संवेदना ग्रुप देहरादून के स... Read more
कहानी : मैं हिंदू हूं
-असग़र वजाहत ऐसी चीख कि मुर्दे भी क़ब्र में उठकर खड़े हो जाएं. लगा कि आवाज़ बिल्कुल कानों के पास से आई है. उन हालात में…मैं उछलकर चारपाई पर बैठ गया, आसमान पर अब भी तारे थे…शायद र... Read more
मुझे अच्छे लगते हैं पहाड़ : कुमार कृष्ण
मुझे अच्छे लगते हैं पहाड़इसलिए नहीं कि पहाड़ पर होते हैं सेबपहाड़ पर होती है बर्फया फिर मैं पैदा हुआ पहाड़ पर पहाड़ पर होते हैं बेशुमार नदियों के घरपहाड़ पर होती हैं आग की गुफाएँ सेब की खुशब... Read more
इमामदस्ता या खलमूसल
धरती और आकाश के मध्य जो भी अवस्थित है उस पर सब कुछ और बहुत बार लिखा जा चुका है फिर भी मैं किसी हाशिये पर पड़े हुए अदना से अस्तित्व को ढूंढकर लाऊंगी आप सभी के समक्ष और उस पर लिखूंगी स्मृतियों... Read more
रस्किन बॉन्ड की कहानी : पतंगवाला
गली रामनाथ में एक ही पेड़ था. वह बरगद का पेड़ पुरानी मस्जिद की टूटी दीवार के बीच से निकला हुआ था. अली की पतंग उसकी टहनियों में फंस गई थी. फटी क़मीज़ पहने, छोटा-सा अली, नंगे पैरों से गली में... Read more