आवारा भीड़ के खतरे : हरिशंकर परसाई
एक अंतरंग गोष्ठी सी हो रही थी युवा असंतोष पर. इलाहाबाद के लक्ष्मीकांत वर्मा ने बताया – पिछली दीपावली पर एक साड़ी की दुकान पर काँच के केस में सुंदर साड़ी से सजी एक सुंदर मॉडल खड़ी थी. ए... Read more
एक मध्यमवर्गीय कुत्ता : हरिशंकर परसाई
मेरे मित्र की कार बँगले में घुसी तो उतरते हुए मैंने पूछा, ‘इनके यहाँ कुत्ता तो नहीं है?’ मित्र ने कहा, ‘तुम कुत्ते से बहुत डरते हो!’ मैंने कहा, ‘आदमी की शक्ल मे... Read more
कहानी : छाता
बसंत ऋतु की बारिश चीजों को भिगोने के लिए काफी नहीं थी. झीसी इतनी हलकी थी कि बस त्वचा थोड़ा नम हो जाए. लड़की दौड़ते हुए बाहर निकली और लड़के के हाथों में छाता देखा. (Story Yasunari Kawabata)... Read more
आखिरी पत्ता
-ओ हेनरी वाशिंगटन चौक के पश्चिम की ओर एक छोटा-सा मुहल्ला है जिसमें टेढ़ी-मेढ़ी गलियों के जाल में कई बस्तियां बसी हुई हैं. ये बस्तियां बिना किसी तरतीब के बिखरी हुई है. कहीं-कहीं सड़क अपना ही... Read more
लोककथा : कैदी
-ओ. हेनरी जीवन के सुख-दुख का प्रतिबिंब मनुष्य के मुखड़े पर सदैव तैरता रहता है, लेकिन उसे ढूँढ़ निकालने की दृष्टि केवल चित्रकार के पास होती है. वह भी एक चित्रकार था. भावना और वास्वविकता का एक... Read more
फूलो का कुर्ता : यशपाल की कहानी
हमारे यहां गांव बहुत छोटे-छोटे हैं. कहीं-कहीं तो बहुत ही छोटे, दस-बीस घर से लेकर पांच-छह घर तक और बहुत पास-पास. एक गांव पहाड़ की तलछटी में है तो दूसरा उसकी ढलान पर. (Phoolo Ka Kurta Yashpal)... Read more
कहानी : गाँव में कुछ बहुत बुरा होने वाला है
एक बहुत छोटे से गाँव की सोचिए जहाँ एक बूढ़ी औरत रहती है, जिसके दो बच्चे हैं, पहला सत्रह साल का और दूसरी चौदह की. वह उन्हें नाश्ता परस रही है और उसके चेहरे पर किसी चिंता की लकीरें स्पष्ट हैं.... Read more
शैलेश मटियानी की कहानी : बित्ता भर सुख
अपने इस नए कार्यक्षेत्र में आने के बाद उसे यह पहला बच्चा जनवाना है. परसों जब वह यहाँ पहुँची, शाम काफी गहरी हो चुकी थी. जहाँ से वह आई है, शहर नितांत छोटा-सा, मगर शहर की अन्य सुविधाओं के साथ,... Read more
ज्ञान पंत की रचनाओं में बसता है समूचा पहाड़
हाल ही के वर्षो में ’बाटुइ’ शीर्षक से प्रकाशित कविता संग्रह कुमाउनी साहित्य में रुचि रखने वालों लोगों के लिए एक नायाब कृति के रुप में उभर कर आई है. वरिष्ठ रचनाकार ज्ञान पंत द्वारा इस संग्रह... Read more
शैलेश मटियानी की कहानी : ऋण
सब झूठ-भरम का फेर रे-ए-ए-ए…माया-ममता का घेरा रे-ए-ए-ए…कोई ना तेरा, ना मेरा रे-ए-ए-ए… नटवर पंडित का कंठ-स्वर ऐसे पंचम पर चढ़ता जा रहा था, जैसे किसी बहुत ऊँचे वृक्ष की चूल पर... Read more