घर पर ऐसे बनती है पहाड़ियों की जनेऊ
जन्यौ पुन्यू के अवसर पर आपके कुल पुरोहित आपको जनेऊ भेट करने अवश्य आयेंगे, यदि वे बाजार से खरीदकर जनेऊ आपको दे रहे हों तो बात अलग है अन्यथा यदि वे स्वयं अपने हाथ से बनी जनेऊ आपको भेंट करें ,... Read more
क्यों रखते हैं किसी के सिरहाने लोहे की दरांती
सभी जानते हैं मनुष्य जाति द्वारा लोहे का इस्तेमाल किये जाने से पहले प्रस्तर युग और कांस्य युग थे. यही कारण था कि जहाँ शुरुआती धार्मिक अनुष्ठानों में लोहे के प्रयोग को वर्जित माना जाता था वही... Read more
आमा की दुआ है कि ऐसा साल फिर कभी न आये
“ईजा यौ साल कभैं नी आण चैं,” आमा के मुह से एक दर्द भरे लहजे में यह बात निकली. मैं जब आज बैंक गया था तब आमा मुझे वही मिली. आमा ने जिस स्नेह से मुझसे बात करी उसे मैं लफ़्ज़ों में ब... Read more
पहाड़ियों के गोठ में रहने वाले जानवरों को होने वाले रोग और सयानों के बताये ईलाज
पहाड़ में हर घर गोठ में जानवर हो और उनकी देखभाल में कोई कोर कसर रह जाए तो घर की बूड़ि बाडियों को फड़फड़ेट हो जाती है. ब्वारियों की शामत आ जाने वाली हुई और पशुओं की सार संभार में चेलियों की स... Read more
आकाशवाणी के कार्यक्रम उत्तरायण को पहाड़ियों की सांस्कृतिक धड़कन बनाने वाले बंसीधर पाठक ‘जिज्ञासु’ : पुण्यतिथि विशेष
कोई 30-31 वर्ष तक आकाशवाणी के शॉर्ट वेव 61.48 यानी 4480 किलोहर्ट्ज पर रोज शाम सुदूर पर्वतीय अंचल (उत्तराखण्ड) के श्रोता ठीक शाम 5.45 बजे सुनते थे दो सुपरिचित आवाजें –उत्तरायण का श्रोता... Read more
एक लड़की और उसका पति जो सर्प था – कुमाऊनी लोककथा
एक बार एक आदमी की एक पत्नी थी. आदमी उससे नाराज था. उसने खुद से कहा, “अगर मैं एक पत्थर को भी तोडूं तो मुझे दो पत्थर मिलते हैं लेकिन अपनी बीवी से मुझे कुछ नहीं मिलता. वह बेवकूफ और बेकार है.” ऐ... Read more
प्रेत और उसका बेटा – कुमाऊनी लोककथा
बहुत समय पहले की बात है. एक आदमी की मृत्यु हो गयी. उसका 10-12 साल का एक ही बेटा था. The Ghost and his Son जब उस आदमी के शव को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट ले जाया जा रहा था, उसके बेटे ने... Read more
तस्मै श्री गुरुवे नमः – गुरु पूर्णिमा पर विशेष
द्रोणाचार्य पहले राजकीय शिक्षक थे. भीष्म पितामह द्वारा नियुक्त. उनसे पहले भी कुछ रहे होंगे पर उनका स्टेटस कैबिनेट दर्जे वाला रहा. द्रोणाचार्य जी मिलिटरी साइंस में नियुक्त थे. थ्योरी का पेपर... Read more
26 दिसम्बर 1900 के पत्र में स्वामी विवेकानन्द कु. मैकलिआड को लिखते हैं – “कल मैं पहाड़ की ओर प्रस्थान कर रहा हूँ.” इसी के साथ उन्होंने अपने आगमन की सूचना भी तार द्वारा माया... Read more
कका-काखी वाली मिठास अंकल-आंटी में नहीं आ सकती
भाषा एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हम किसी व्यक्ति के बारे में जान सकते हैं, उसे समझ सकते हैं, उससे जुड़ पाते हैं. यूँ तो दुनिया में कई भाषाएं हैं उन सभी का अपना-2 महत्व है, किंतु एक भाषा... Read more