बागेश्वर के बागनाथ मंदिर पर एक महत्वपूर्ण लेख
उत्तराखण्ड के प्रयाग तथा काशी के नाम से विख्यात सरयू नदी के संगम पर अवस्थित बाघनाथ मन्दिर पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल है. इस स्थल को मार्कण्डेय मुनि की तपस्थली अथवा तपोभूमि माना जा... Read more
सन् 1900 ई0 में मसूरी की आबादी साढ़े चौदह हजार से भी अधिक हो गई थी जिसमें से चार हजार से अधिक यूरोपियन थे. इस बढ़ती आबादी के लिये पूर्व में सप्लाई किये जाने वाला पानी पर्याप्त नही था. अक्टूब... Read more
महादेव के वीर गण लटेश्वर का मंदिर
थलकेदार से लगभग 2500 फीट की ढलान पर दुर्गम मार्ग को पार कर लटेश्वर नामक मंदिर आता है. यहाँ पर एक सम्पूर्ण विशाल शिला खण्डित होकर गुफा रूप में परिवर्तित हुई है जहाँ “लाटा” देव की... Read more
सावन के महीने शिव और कृष्ण के प्यारे साँप और नाग
साँप-सर्प, नाग-अजगर का नाम सुनते ही बदन में सिहरन और दिमाग में बैठा डर घनीभूत हो जाता है. जानकार कहते हैं कि सर्प तो बड़ा शर्मीला होता है. आदमजात को देखते ही लुकने- छिपने-सरक जाने की जुगाड़... Read more
33% महिला आरक्षण की माँग करने वाली पहली महिला. अपनी ही सरकार के खिलाफ 15 दिनों तक आमरण अनशन करने वाली नेत्री. अपने क्षेत्र से हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली पहली छात्रा. अपने क्षेत्र... Read more
अमला शंकर खामोशी से इस दुनिया से विदा हो गईं
अपने होने वाले पति यानी अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के नर्तक उदयशंकर से हुई पहली मुलाक़ात को याद करते हुए अमला शंकर ने अपने संस्मरण ‘प्रेम का देवता’ में लिखा है:“जिन-जिन कारणों से विदेशी भूमि में... Read more
युवाओं को भारतीय सेना के लिए प्रशिक्षित करने वाले रिटायर्ड कैप्टन नारायण सिंह
गरूड़ से बागेश्वर को आते वक्त मित्र दीपक परिहार ने एक बार बताया कि वो गोमती नदी के पार जो मैदान है न वहां एक रिटायर्ड कैप्टन, बच्चों को फौज में भर्ती होने की नि:शुल्क ट्रैनिंग दे रहे हैं. बह... Read more
सावन के महीने देवता कैलाश में जुआ या अन्य बाजियां लगाते हैं : सीमांत की अनूठी मान्यता
सावन का महीना और आप यदि सीमांत के किसी गाँव मे जाते हैं तो हर घर में एक ही चीज आम होगी वो है, हर घर के दरवाजे और खिड़कियों में लगे काटें और बिच्छू घास की टहनियां. ये किसी भी नये व्यक्ति के... Read more
रूमानी नहीं रौद्र होता है पहाड़ों का सावन
भूगोल न सिर्फ़ खानपान, वेशभूषा, आवास को बल्कि साहित्य को भी प्रभावित करता है. खासकर गीतों को. सावन को ही ले लीजिए. भारत के मैदानी क्षेत्रों की बात करें तो सावन सर्वाधिक रूमानी महीना है... Read more
लकड़ी की पाटी, निंगाल की कलम और कमेट की स्याही : पहाड़ियों के बचपन की सुनहरी याद
करीब एक फीट चौड़ी तो डेढ़ फीट लम्बी और आधा इंच मोटाई की तख्ती. इसकी लकड़ी होती रीठा, पांगर, तुन, अखरोट, खड़िक, बितोड़, चीड़ या द्यार-देवदार की, जिनके सूखे गिंडों को आरे से काट बसूले से छील र... Read more