खाल का अर्थ अलग-अलग है कुमाऊं और गढ़वाल में
गढ़वाली बोली बोले जाने वाले इलाकों में ‘खाल’ शब्द का सम्बन्ध पहाड़ की चोटी के नज़दीक स्थित उस गहरे और समतल भूभाग से होता है जहां से पहाड़ के दोनों तरफ के भूभाग देखे जा सकते हैं. कुमा... Read more
टीचर्स डे विशेष : लपूझन्ने की साइंस क्लास
अंग्रेज़ी की कक्षाएं बन्द हो गई थीं और उस पीरियड में सीनियर बच्चों को पढ़ाने वाले एक बहुत बूढ़े मास्साब अरेन्जमेन्ट के बतौर तशरीफ़ लाया करने लगे. वे बहु्त शरीफ़ और मीठे थे. वे एक प्रागैतिहासिक चश... Read more
तीलू रौतेली की दास्तान: जन्मदिन विशेष
मध्यकाल में गढ़वाल के पूर्वी सीमान्त के गांवों पर कुमाऊं की पश्चिमी उपत्यकाओं पर बसे कैंतुरा (कत्यूरा) लोग निरंतर छापा मार कर लूटपाट करते रहते थे. अनुमान किया जाता है कि उस काल में गढ़राज्य... Read more
[पिछली क़िस्त: हल्द्वानी के कुछ पुराने परिवार] नरोत्तम शारदा पहाड़ से आने वाली बहुमूल्य जड़ी-बूटियों के कारोबारी हुआ करते थे. शारदा मूलतः अमरोहा के रहने वाले थे. उन्होंने 1934 में अपना कारोबार... Read more
कुमाऊं का बारदोली था सल्ट का खुमाड़
कुलीबेगार से पहले कुमाऊं में सामाजिक हलचल: वर्ष 1942 में खुमाड़ सल्ट तथा सालम में जिस विद्रोह का प्रस्फुटन हुआ, उसकी पृष्ठभूमि को समझने के लिए कुमाऊं में ब्रिटिश राज के इतिहास को समझना भी आवश... Read more
यह आलेख हमें हमारे पाठक कमलेश जोशी ने भेजा है. कमलेश का एक लेख – सिकुड़ते गॉंव, दरकते घर, ख़बर नहीं, कोई खोज नहीं – हम पहले भी छाप चुके हैं. यदि आप के पास भी ऐसा कुछ बताने को हो... Read more
उत्तराखण्ड में मृत्यु के साए तले जनजीवन
कल उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी के पास गंगोत्री हाइवे पर गंगोत्री से लौटते समय भूस्खलन के मलबे की चपेट में आने से एक टैम्पो ट्रैवलर 150 फीट गहरी खाई में जा गिरा. मौके पर ही 13 लोगो की मौत हो गयी... Read more
गूगल ने आज का डूडल जर्मन कलाकार ऑस्कर श्लेमर को समर्पित किया है. ऑस्कर श्लेमर एक चित्रकार, मूर्तिकार, कोरियोग्राफर, और डिजाइनर थे. उनका जन्म 4 सितम्बर 1888 में स्टटगार्ट, जर्मनी में हुआ था.... Read more
गंगा की बदहाली का जिम्मेदार आखिर कौन
गंगा नदी का हमारे देश में अध्यात्मिक महत्त्व भी है, हिन्दू धर्मग्रंथों में इसे देवी का दर्जा प्राप्त है. कई वजहों से गंगा लगातार प्रदूषित होती चली गयी और अब मैदानी इलाकों में इसका पानी नहाने... Read more
2 सितम्बर का मसूरी गोली काण्ड : राज्य आंदोलनकारियों के खिलाफ़ एक सुनियोजित घटना
खटीमा के बाद बारी थी मसूरी की. 1 सितंबर 1994 की शाम को मसूरी झूलाघर स्थित नगरपालिका के पास के धरनास्थल को पीएसी ने अपने कब्जे में ले लिया था. मसूरी के एसडीएम को दो-एक दिन पहले ही बदला गया था... Read more