बैजनाथ: कत्यूरी शासकों की राजधानी
धार्मिक व पौराणिक महत्व उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मंडल के बागेश्वर जिले में है बैजनाथ. लोकप्रिय पर्यटन स्थल कौसानी से इसकी दूरी 18 किमी की है. बैजनाथ पौराणिक गारुड़ी और गोमती नदी के संगम स्थल पर ब... Read more
अल्मोड़े के नन्दा देवी मंदिर से छेड़छाड़ करने पर अंधा होता होता बचा था अंग्रेज कमिश्नर
अल्मोड़ा के नन्दा देवी मंदिर को लेकर कुमाऊनी के आदि कवि गुमानी पन्त ने एक जगह लिखा है: विष्णु का देवाल उखाड़ा ऊपर बंगला बना खरा महाराज का महल ढवाया बेढ़ीखाना तहां धरा मल्ले महल उड़ाई नंदा बंग... Read more
आजाद भारत के पहले आम चुनाव की ख़ास बातें
1-वर्ष 1950 में भारत आजाद गणतंत्र बना. जवाहर लाल नेहरू गणतांत्रिक भारत के पहले प्रधानमन्त्री अवश्य बने लेकिन अभी उन्हें जनता ने नहीं चुना था. 2-भारत के गणतंत्र को लोकतंत्र बनाने के लिए देश आ... Read more
बीती नौ अप्रैल को महापंडित राहुल सांकृत्यायन का एक सौ पच्चीसवां जन्मदिन मनाया गया था. इस मौके को याद रखते हुए हम आपको उनकी लिखी कुछ चुनी हुई रचनाओं से परिचित करवाने जा रहे हैं. इस क्रम में आ... Read more
जन्मदिन पर कस्तूरबा के बारे में कुछ अजाने तथ्य
काठियावाड़ के पोरबंदर नगर में जन्मीं कस्तूरबा गांधी Kasturba Gandhi (11 अप्रैल 1869 – 22 फरवरी 1944) का विवाह मोहनदास करमचंद गांधी के साथ तब हुआ था जब उनकी आयु तेरह वर्ष की थी और वे गांधी से... Read more
भूमि का रक्षक भूमिया देवता
उत्तराखण्ड में भूमिया देवता के मंदिर प्रायः हर गाँव में हुआ करते हैं. भूमिया देवता को भूमि का रक्षक देवता माना जाता है, इसी वजह से इन्हें क्षेत्रपाल भी कहा जाता है. खेतों में बुवाई किया जाने... Read more
कत्यूरी व चन्द शासकों की कुल देवी चम्पावती
कुमाऊँ के पूर्वी क्षेत्र के जिले चम्पावत में पूजी जाने वाली देवी है, चम्पवाती देवी. वे चम्पावत के आम जन के साथ ही कत्यूरी व चन्द शासकों की कुलदेवी भी हैं. इनका पूजास्थल चन्द शासकों द्वारा स्... Read more
चम्पावत जिले से चाहर किमी की दूरी पर स्थित है ललुवापानी. यहां से एक कच्ची सड़क जाती है हिंगला देवी के मंदिर जो कि एक उपशक्तिपीठ है. ललुवापानी से हिंगला देवी मंदिर जाते हुए सबसे पहले मार्ग पर... Read more
अल्मोड़ा डिग्री कॉलेज में फाइन आर्ट द्वितीय वर्ष के छात्र हैं भास्कर भौर्याल. एक बेहतरीन चित्रकार. 19 साल की उम्र में ही भास्कर के हाथ जिस तरह से कागजों में पहाड़ी लोकजीवन का जीवंत चित्रण कर द... Read more
तब बहुत निष्कपट हुआ करता था पहाड़ी जीवन
मेरा बचपन-3 (आखिरी क़िस्त) (डीडी पन्त की अप्रकाशित जीवनी के अंश पिछली कड़ी का लिंक : एक एसडीएम को देखकर मुझे खूब पढ़ने की इच्छा हुई -देवी दत्त पंत एक घटना याद आती है. मैं आठ या नौ साल का रहा हू... Read more