कत्यूरी व चन्द शासकों की कुल देवी चम्पावती
कुमाऊँ के पूर्वी क्षेत्र के जिले चम्पावत में पूजी जाने वाली देवी है, चम्पवाती देवी. वे चम्पावत के आम जन के साथ ही कत्यूरी व चन्द शासकों की कुलदेवी भी हैं. इनका पूजास्थल चन्द शासकों द्वारा स्... Read more
चम्पावत जिले से चाहर किमी की दूरी पर स्थित है ललुवापानी. यहां से एक कच्ची सड़क जाती है हिंगला देवी के मंदिर जो कि एक उपशक्तिपीठ है. ललुवापानी से हिंगला देवी मंदिर जाते हुए सबसे पहले मार्ग पर... Read more
अल्मोड़ा डिग्री कॉलेज में फाइन आर्ट द्वितीय वर्ष के छात्र हैं भास्कर भौर्याल. एक बेहतरीन चित्रकार. 19 साल की उम्र में ही भास्कर के हाथ जिस तरह से कागजों में पहाड़ी लोकजीवन का जीवंत चित्रण कर द... Read more
तब बहुत निष्कपट हुआ करता था पहाड़ी जीवन
मेरा बचपन-3 (आखिरी क़िस्त) (डीडी पन्त की अप्रकाशित जीवनी के अंश पिछली कड़ी का लिंक : एक एसडीएम को देखकर मुझे खूब पढ़ने की इच्छा हुई -देवी दत्त पंत एक घटना याद आती है. मैं आठ या नौ साल का रहा हू... Read more
सरयू नदी के तट पर बसा कपकोट बागेश्वर जिले की एक तहसील का नाम है. बागेश्वर मुख्यालय से कपकोट की दूरी लगभग 25किमी होगी. क्षेत्रफल के आधार पर यह बागेश्वर जिले की सबसे बड़ी तहसील है. ओकले ने अपनी... Read more
मनसा देवी मंदिर हरिद्वार में स्थित मनसा देवी को समर्पित मंदिर है. मनसा देवी को शक्ति का एक रूप माना जाता है. हिमालय की शिवालिक चोटियों में स्थित मनसा देवी मंदिर मंदिर के संबंध में मान्यता है... Read more
नदियाँ जीवनदायिनी होती हैं. इसीलिए भारतीय परंपरा में इन्हें देवी स्वरूप माना जाता है. भारत में नदियों के संगम को बहुत पवित्र माना जाता है. प्रायः सभी नदियों के संगम महत्वपूर्ण तीर्थस्थल भी ह... Read more
एक एसडीएम को देखकर खूब पढ़ने की इच्छा हुई
मेरा बचपन-2 (डीडी पन्त की अप्रकाशित जीवनी के अंश) -देवी दत्त पंत पिछली कड़ी का लिंक: बचपन में फलदार पेड़ों का आनंद कितनी मधुर याद आती है उस गुफा की जो शिखर चढ़ने पर रास्ते में मिलती थी. उसके अं... Read more
1915 में दिल्ली में जन्मीं तारा पांडे के जीवनवृत्त को ख्यात लेखिका नमिता गोखले ने अपनी प्रसिद्ध किताब ‘माउन्टेन एकोज़’ में जगह दी है. इस पुस्तक में उनके अलावा तीन अन्य कुमाऊनी मूल की महिलाओं... Read more
बचपन में फलदार पेड़ों का आनंद:
मेरा बचपन-1 (डीडी पन्त की अप्रकाशित जीवनी के अंश) -देवी दत्त पंत सुबह उठते ही कोलाहल, चिन्ता, अव्यवस्था, 70 वर्श के जीवन का यह आखिरी पड़ाव कैसा बीभत्स है! विज्ञान, तकनीक, समाजशास्त्र, नीतिशास... Read more