2019 में गंगोत्री धाम के कपाट खुलने की तिथि
उत्तरकाशी जिले में मुख्यालय से 100 किमी की दूरी पर गंगोत्री धाम स्थित है. पौराणिक मान्यता अनुसार गंगा धरती पर यहीं अवतरित हुई थी. भागीरथी नदी के तट पर स्थित यह मंदिर चार धाम यात्रा में यमनोत... Read more
सोर घाटी प्रकृति का एक उपहार है और इस उपहार का एक अनन्य नगीना हैं यहां के रीति-रिवाज और परम्परायें. इन्हीं परम्पराओं में एक है चैतोल का मेला. जो हर वर्ष सोर घाटी में मनाया जाता है. इस वर्ष भ... Read more
यह लेख डॉ. राम सिंह की किताब आजाद हिन्द फ़ौज के क्रांतिवीर से लिया गया है. यह लेख मूल रूप से चौंली, गंगोलीहाट, पिथौरागढ़ के रहने वाले जोहार सिंह खाती के जीवन संघर्ष से जुड़ा है जो 2001 में डॉ.... Read more
गुड क्या होता है गुड फ्राइडे में!
बाइबिल के अनुसार भगवान के पुत्र यानी ईसा मसीह को कोड़ों के पीटने के बाद उनसे वह सूली लाद कर ले जाए जाने को कहा गया था जिस पर उन्हें चढ़ाया जाना था. जिस दिन यह घटना घटी थी उसे गुड फ्राइडे (Good... Read more
आदि बद्री मंदिर की तस्वीरें
कर्णप्रयाग से रानीखेत जाने वाले रास्ते पर 16 छोटे-छोटे प्राचीन मंदिरों का एक समूह है. यह मंदिर आदि बद्री मंदिर है जिसका प्राचीन नाम नारायण मठ कहा जाता है. पौराणिक मान्यता यह है कि भगवान विष्... Read more
कॉमन पीकॉक बटरफ्लाई: उत्तराखण्ड की राज्य तितली
पहले उत्तर प्रदेश का हिस्सा रहे उत्तराखण्ड को 2000 में अलग राज्य का दर्जा मिला. इसके बाद कई अन्य प्रक्रियाओं के साथ ही राज्य के प्रतीक चिन्ह भी तय किये गए. कॉमन पीकॉक को राज्य तितली का दर्जा... Read more
गबला देव: हिमालय की सौका जनजाति के आराध्यदेव
हिमालय के सौका आदिवासियों के अराध्यदेव.. जै हया दंतो गबला सै-जय हय दंत गर्बीला देव.. —डूंगर सिंह ढ़करियाल ‘हिमरज’ हिन्दू पुराण के अनुसार हिमालय धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष का दाता है. हिमालय स्वयं ना... Read more
झूठे का मंदिर चम्पावत
कुमाऊँ मंडल के चम्पावत जिले में प्रख्यात पूर्णागिरी मंदिर से एक किमी की दूरी पर है झूठे का मंदिर. इस मंदिर के अनोखे नाम के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी ही जुड़ी हुई है. इस किंवदंती के अनुसार एक द... Read more
भारत में पितृत्व के अधिकार के लिए पहली ऐतिहासिक लड़ाई लड़ने और जीतने वाले रोहित शेखर का आज दिल्ली में अपने निवास स्थान में निधन हो गया. उत्तराखण्ड के कद्दावर नेता नारायण दत्त तिवारी के बेटे रो... Read more
गोविन्द राम काला की दुर्लभ पुस्तक ‘मेमोयर्स ऑफ़ द राज’ बीसवीं शताब्दी के शुरुआती सालों के पहाड़ों के सामाजिक जीवन, भारत के स्वतंत्रता संग्राम और अंग्रेजों की कार्यशैली का जरुरी महत्वपूर्ण दस्त... Read more