विलुप्ति की कगार पर पहाड़ का एक लोकदेवता
कुमाऊं के रास्तों में अनेक जगह पर आपको ऐसी टीलेनुमा आकृति मिल जायेगी जहां पर लोग आस्था के साथ पत्थर चढ़ाते हैं. क्या आप जानते हैं पहाड़ों के इस स्थानीय देवता का क्या नाम है? कुमाऊं में इस तरह... Read more
कपकोट: बागेश्वर जिले की सबसे बड़ी तहसील
कपकोट उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ मंडल में जिला बागेश्वर की सबसे बड़ी तहसील है. कपकोट दियोली पर्वत की तलहटी में सरयू और खीरगंगा नदी के संगम पर बसा है. जिला मुख्यालय से इसकी दूरी 24 किमी है. आज... Read more
गढ़वाली राजा जिसके आदेश पर प्रजा अंग्रेजों की मुर्गियां और कुत्ते पालकी में ढ़ोती थी
गढ़वाली राजा सुदर्शन शाह की राजनैतिक और आर्थिक स्थिति शुरुआत में बहुत खराब थी. कनखल के युद्ध के बाद एक बात वह समझ गया था कि उसकी भलाई अंग्रेजों की भक्ति में ही है. भारत के अधिकांश छोटे राजाओं... Read more
वयस्क होने के साथ जर्जर होती काया का उत्तराखण्ड
9 नवंबर 2000 की तिथि, उत्तरांचल का पृथक राज्य के रूप में जन्म और साथ ही पहाड़ सी उम्मीदें और आशाओं से लबरेज हर निवासी. तीस वर्षों से अधिक चले आंदोलन और 42 शहादतों की नींव पर बने राज्य से स्थ... Read more
धार्मिक आस्था का केंद्र जोशीमठ ऐतिहासिक व धार्मिक महत्त्व का शहर है. गढ़वाल मंडल के चमोली जिले के पेनखंडा परगने में स्थित जोशीमठ का पौराणिक नाम ज्योतिर्मठ बताया जाता है. जोशीमठ कर्णप्रयाग बद्... Read more
कुमाऊं में मोटर यातायात की शुरुआत
कुमाऊं में सर्वप्रथम मोटर यातायात की शुरुआत 1915 में काठगोदाम-नैनीताल के बीच हुई थी. उसके बाद 1920 में काठगोदाम से अल्मोड़ा के लिए यात्री लॉरियों की सेवा का प्रारंभ हुआ. अल्मोड़ा के मुंशी ला... Read more
एक फायर के तीन शिकार कुली, मुर्गी और ‘अल्मोड़ा अख़बार’ यह टिप्पणी गढ़वाल समाचार पत्र की है. गढ़वाल समाचार पत्र ने यह टिप्पणी तब की थी जब ब्रिटिश सरकार ने अल्मोड़ा अखबार को बंद करवा दि... Read more
दूनागिरी अल्मोड़ा जिले की एक पहाड़ी है. अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से इसकी दूरी लगभग 60 किमी है. यह रानीखेत कर्णप्रयाग मार्ग पर द्वाराहाट से 15 किमी की दूरी पर स्थित है. दूनागिरी की पहाड़ी को ही पुर... Read more
उत्तराखण्ड के बेरीनाग के नजदीक त्रिपुरादेवी नामक एक छोटे से गाँव में कोई पच्चीस सालों से रह रहे दंपत्ति रजनीश और रश्मि ने अपने हौसले, जिद और अथक मेहनत से अवनि जैसी सफल संस्था को खड़ा किया है.... Read more
आज भले हम इस जद्दोजहद में फंसे हैं कि कुमाऊनी को एक हम एक बोली के रूप में कैसे बचा सकें. कैसे हम आने वाली पीढ़ी तक अपनी बोली को किसी तरह पहुंचा सकें? एक ऐसे समय में जब हमारी शिक्षा व्यवस्था स... Read more