हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने – 26
1960 से पहले यहाँ यात्रियों, पर्यटकों के टिकने के लिए विशेष होटलों कि व्यवस्था नहीं थी. तेवाड़ी होटल, जगदीश होटल, अम्बिका होटल पंजाब होटल के अलावा ढाबों में लगी बैंचों और केएमओयू स्टेशन, अनाथ... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने – 22
सन् 60-70 के दशक में साम्यवादी विचारधारा के नाम पर बहुत से पाजी लोगों का जमघट मैंने यहां देखा. वे काम बिल्कुल नहीं करना चाहते थे और कहते थे कि पूंजीपतियों की सम्पत्ति बांट ली जानी चाहिए. वे... Read more
उत्तराखंड की पहली अद्भुत वीरांगना – जियारानी
संसाधनहीनता के कारण उत्तराखण्ड के नायक-नायिकाओं को वो स्थान नहीं मिल पाया; जिसके वे पात्र थे. इसमें इतिहासकारों की कंजूसी भी शामिल है. जिस प्रकार झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का नाम स्वतंत्रता स... Read more
उत्तराखण्ड के सूर्य मंदिर
उत्तराखण्ड में भगवान सूर्य के मंदिरों की बात चलती है तो सबसे पहले अल्मोड़ा-रानीखेत मार्ग पर स्थित कटारमल के सूर्य मंदिर का ध्यान आता है. यहाँ स्थापित सूर्य देवता को बड़ादित्य के नाम से पुकारा... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने – 21
यदि आज किसी विधायक को आबकारी मंत्री बना दिया जाए तो उसका बेडा पार. मंत्री हो जाने की बात तो दूर की, यदि किसी दमदार विधायक को शराब का ठेकेदार विरोध में खड़े होने वालों को खरीदने की जिम्मेदारी... Read more
आजाद हिन्द फौज में उत्तराखण्ड का भी बड़ा योगदान था
21 अक्टूबर 1943 को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने आज़ाद हिन्द सरकार का गठन किया था. इस सरकार की स्थापना सिंगापुर में की गयी थी. 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान देश को अंग्रेजों की गुलामी से... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने – 20
आजादी की लड़ाई में बहुत बड़ा योगदान देने वालों और बाद में क्षेत्र का नेतृत्व करने वालों के सम्बंध में कुछ खरी-खरी कहना उनके सम्मान में कमी लाना नहीं है. बल्कि यह बताना है कि राजनीति में यह सब... Read more
मध्यकालीन गढ़वाल राजनीति का चाणक्य भाग – 2
पिछली कड़ी कूटनीतिज्ञ पूरिया नैथानी की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण यात्रा 1680 में मुग़ल दरबार में रही. मुग़ल सम्राट औरंगजेब ने अपनी धार्मिक नीति के अंतर्गत 1665 ई. में हिन्दुओं पर जजिया कर लगाया था.... Read more
मध्यकालीन गढ़वाल राजनीति का चाणक्य भाग – 1
मध्यकालीन गढ़वाल की राजनीति जिसे गढ़ नरेशों के युग से भी जाना जाता है, में कुछ असाधारण व्यक्तियों ने अपनी विलक्षण प्रतिमा से इतिहास में स्थान बनाया है. इनमें पूरिया नैथाणी का नाम विशेष रूप से... Read more
रामलीला पर्वतीय जनजीवन की ‘लाइफ-लाइन’
रामलीला भारतीय जनमानस की एक ऐसी तस्वीर है, जिसमें कोई भी भारतीय अछूता नहीं है. राम ऐसे जननायक थे कि उन्होंने निर्विवाद रूप से भारतीय संस्कृति के मूल्यों, मर्यादाओं को मानकर अपना जीवन एक आदर्... Read more