जब स्वराज पार्टी 1923 के चुनाव में वर्तमान उत्तराखण्ड की तीनों प्रांतीय सीटें जीती तो कौंसिल में गोविन्द वल्लभ पन्त को नया सदस्य होने के कारण पीछे की पंक्ति में सीट दी गयी. थोड़े समय बाद जब प... Read more
उत्तराखंड और 1923 का कौंसिल चुनाव
गांधी जी के असहयोग आन्दोलन वापस लेने के बाद सी.आर. दास और पंडित मोतीलाल नेहरू ने स्वराज पार्टी का गठन किया और दिसम्बर 1923 में घोषित चुनाव में भाग लिया. कुमाऊं में चुनाव के लिए उपयुक्त नेताओ... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने – 18
आजादी के बाद और कुछ हुआ हो या ना हो मैं कोई नहीं जानता था जिन्हें कोई नहीं जानता था वह ऊंची सीढ़ियां चढ़ गए. लेकिन जो आजादी के लिए दीवानगी की हद तक पार कर गए उनकी स्मृतियां तक मिट गई हैं. हल... Read more
कुमाऊं में मंदिरों के शिखर
पिढ़ा शब्द हिंदी भाषी क्षेत्रों का एक चिर परिचित शब्द है. लकड़ी का बना पटला, जिसे प्रायः भोजन करते समय बैठने हेतु प्रयोग किया जाता है पिढ़ा कहलाता है. प्राचीन काल में पिढ़ा मात्र लकड़ी का मोटा सा... Read more
आजाद हिन्द फौज और गढ़वाली सैनिक
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पूर्वी और पश्चिमी दोनों मोर्चों पर गढ़वाल राइफल्स की 2/18 और 5/18 बटालियन पहले से ही मौजूद थी. 15 फरवरी, 1942 को सिंगापुर पर जापानियों का आधिपत्य हो जाने पर लगभग... Read more
मुजफ्फरनगर काण्ड को 25 बरस बीत गये हैं. अगले महीने उत्तराखण्ड पूरे 19 साल का जायेगा लेकिन वह उसी तरह न्याय के लिये के खड़ा मिलेगा जैसे 25 साल पहले था. प्रदेश के शहीदों को इन 25 सालों में न तो... Read more
गांधी जयन्ती पर कुछ दुर्लभ कार्टून
गांधी जयन्ती पर इन दुर्लभ कार्टून्स को उपलब्ध करवाया है हमारी स्तंभकार/ फोटोग्राफर विनीता यशस्वी ने. इन्हें बरसों पहले 1970 में अहमदाबाद के नवजीवन प्रकाशन मंदिर द्वारा प्रकाशित पुस्तक... Read more
1937 के आम चुनाव और उत्तराखण्ड
1935 के भारतीय शासन अधिनियम के अंतर्गत सन 1936 ई. में आम चुनाव की तैयारी होने लगी. 1 अगस्त 1936 ई. को नेताओं की अपीलों के साथ चुनाव आन्दोलन का श्रीगणेश हुआ. उसी दिन लोकमान्य तिलक की पुण्य ति... Read more
उत्तराखण्ड का इतिहास भाग- 4
उत्तराखण्ड की प्रमुख पुरा प्रजातियाँ- उत्तराखंड सदियों से ही मानव आवास के लिये उपयोग में आती रही है. यहाँ की सौन्दर्यमय घाटियाँ, प्राकृतिक वनस्पतियों से समृद्ध पर्वत, जल से भरपूर नदियाँ, शां... Read more
1994 में मुजफ्फरनगर की अमानवीय घटना घट चुकी थी और संभवतः आजादी के बाद पहली बार उत्तराखंड के छोटे-छोटे कस्बों में कर्फ्यू लगा था. उत्तराखंड के सीधे-साधे ग्रामीण और कस्बेवासियों के लिये नित्ता... Read more