दूसरे की थाली पर नजर रखने वाले
कुछ लोग होते हैं, जो अपनी क्षमता तथा सामर्थ्य के अनुसार अपने जीवन की बेहतरी की कोशिश करते हैं. इसमें कुछ कामयाब होते हैं. कुछ कामयाब नहीं होते. कुछ होते हैं, जिन्हें जो मिलता है, उसे खुशी-खु... Read more
चेकोस्लोवाकिया के भूत-भिसौणों के किस्से
भूत-प्रेत और उनके अस्तित्व और उनके बारे में प्रचलित बेहद रचनात्मक किस्से-कहानियां बचपन से ही मुझे बहुत आकर्षित करते रहे हैं. कथावाचन की परम्परा में इन महानुभावों का बड़ा ज़रूरी और महत्वपूर्ण स... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 73
डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है – “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि वृहद हिंदी कोश का सन्दर्भ लिया जाए तो उस में लोकोक्ति की परिभाषा इस प्रकार दी गई... Read more
एक चमत्कारी पौधा सिसूण, कनाली उर्फ़ बिच्छू घास
मेरे बचपन की सुनहरी यादों में से कई गर्मियों के सालाना प्रवास से जुड़ी हैं. उन दिनों सभी प्रवासियों के लिए गर्मियों की छुट्टियों में अपने परिवार को गाँव भेजा जाना जरूरी हुआ करता था. पुश्तैनी... Read more
एक ज़माना था जब कादर खान को एक फिल्म लिखने के अमिताभ बच्चन से ज़्यादा पैसे मिलते थे. सत्तर और अस्सी के दशक में कादर खान के बिना किसी सुपर हिट फिल्म की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. दुर्भाग्य क... Read more
देबी के बाज्यू आये पंतनगर
कहो देबी, कथा कहो – 25 पिछली कड़ी:कहो देबी, कथा कहो – 24, पंतनगर में दुष्यंत कुमार और वीरेन डंगवाल पंतनगर आने का फायदा यह हुआ कि अब गांव से पिताजी भी वहां आ सकते थे. असल में उन्हें चलती हुई ब... Read more
नए साल का कैलेण्डर, पतझड़ और मौसमे-बहार वगैरह
सभी को पता है फिर भी बताना ठीक रहता है कि नया साल आ गया. अपना मकसद नये साल की बधाई देना नहीं है. अपनी ज़बान में कुछ ऐसी तासीर है कि जिसे नया साल मुबारक कहा, उनमें से ज्यादातर की जेब साल की श... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 72
डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है – “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि वृहद हिंदी कोश का सन्दर्भ लिया जाए तो उस में लोकोक्ति की परिभाषा इस प्रकार दी गई... Read more
पहाड़ और मेरा बचपन – 14 (पिछली क़िस्त : और इस तरह जौ की ताल ने बचाई इज्जत, मैंने मां के सामने स्वाभिमान की रक्षा की) (पोस्ट को लेखक सुन्दर चंद ठाकुर की आवाज में सुनने के लिये प्लेयर के लोड हो... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 71
डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है – “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि वृहद हिंदी कोश का सन्दर्भ लिया जाए तो उस में लोकोक्ति की परिभाषा इस प्रकार दी गई... Read more