नैनीताल की सात पहाड़ियां
नैनीताल की झील सात पहाड़ियों से घिरी हुई है. इन पहाड़ियों के नाम हैं: (Seven Hills of Nainital) अयारपाटा (समुद्र सतह से ऊंचाई: 7689 फीट) देवपाटा (समुद्र सतह से ऊंचाई: 7989 फीट) हांडी बांडी (... Read more
आज अमृता प्रीतम का जन्मदिन है. 31 अगस्त, 1919 को पंजाब के गुजरांवाला अमृता प्रीतम का जन्म हुआ. पंजाबी की ख्यात लेखिका होने के बावजूद वे सारे हिन्दुस्तान की लेखिका मानी जाती हैं. उन्होंने अपन... Read more
उसके चारों ओर एक शून्य विस्तार पाता जा रहा है
कहानी की कहानी-5 आज जब करीब पचपन वर्ष बाद ‘कहानी’ कथा-पत्रिका में देवेन नाम से छपी अपनी इस कहानी ‘अलगाव’ का पुनर्पाठ कर रहा हूं तो याद कर रहा हूं कि आखिर आदमी के अकेलेपन की यह कहानी मेरे मन... Read more
भगतसिंह ! इस बार न लेना काया भारतवासी की
30 अगस्त 1923 को जन्मे मशहूर गीतकार शैलेन्द्र का असल नाम शंकरदास केसरीलाल शैलेन्द्र था. (Remembering Lyricist Shankar Shailendra) 1947 में भारतीय रेलवे की माटुंगा, मुम्बई वर्कशॉप में एक एप्र... Read more
बालकृष्ण : विषाक्त मिठाई का रहस्य बरकरार
देश में आयुर्वेद और योग की सबसे बड़ी कम्पनी पतंजलि योग पीठ के महामन्त्री बालकृष्ण की बीमारी का रहस्य एक हफ्ते बाद भी बरकरार है. रहस्य इस मामले में कि उनके बीमार होने को विषाक्त मिठाई खाने से... Read more
शैलेश मटियानी लिख चुके थे अपने पागलपन का रोजनामचा
शैलेश मटियानी को हममें से कितने लोग जानते हैं? सौ, दो सौ, चार सौ या हजार-दो हजार. यही न? कुछ ने सिर्फ नाम सुना होगा या एकाध कहानी पढ़ी होगी. आज से तीस-पैंतीस साल या थोड़ा और पहले पढ़ाई-लिखाई... Read more
क्या विशाल ब्रह्मांड में हम अकेले हैं
न जाने नक्षत्रों में है कौन! हां, कौन जाने अंतरिक्ष में जगमगाते असंख्य नक्षत्रों के किस अनजाने लोक में न जाने कौन है? किसे पता? यही किसे पता कि विशाल ब्रह्मांड में नक्षत्र यानी तारे आखिर कित... Read more
अम्मा और शीला के बेटे के जन्मदिन का केक
इस बार कई सालों बाद गाँव जाना हुआ कुछ अलग नहीं लगा, वही जैसा 3 साल पहले देखा था वैसा ही. बस जो एक पुल था उसकी बाउंड्री पर लगे पाइप टूट के बाहर लटक रहे थे और घर को जाता खड़नचा नया पड़ा था. इस... Read more
मोटर गाड़ियों के आने के काफी पहले काठगोदाम और नैनीताल के बीच यातायात की समस्याओं से निबटने के लिए अंग्रेजों द्वारा अनेक योजनाएं बनाई गयी थीं. इनमे सबसे पहली थी इन दो जगहों के बीच सामान के ढुल... Read more
कठपतिया का श्राप
कठपतिया का श्राप चारों ओर छोटे-छोटे पत्थरों से एक गोल घेरा बनाया जाता था जिसके बीच कोई भी आदमी – किसी भी जगह का, किसी भी जाति-धर्म का, जिसका धर्म इन जंगलों की आजीविका से जुड़ा रहता, गोल घेरे... Read more