बबूल बोओगे, तो आम कहां से खाओगे
जिन लोगों ने भौतिक विज्ञान पढ़ा है, वे न्यूटन के गति के तीसरे नियम से अवश्य परिचित होंगे. तीसरा नियम क्रिया-प्रतिक्रिया का नियम है. इस नियम के मुताबिक जब एक वस्तु दूसरी वस्तु पर बल का प्रयोग... Read more
कालापानी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण रिकार्ड्स जो बताते हैं कि जमीन का यह हिस्सा किसका है
नेपाल ने अपने नये राजनीतिक नक़्शे में 19 मई 2020 को भारत के लिम्पियाधूरा, लिपुलेख व कालापानी इलाके तथा गुंजी, नाभी और कुटी जैसे ग्राम भी शामिल कर दिखाए हैं. इससे पहले 1975 में नेपाल की राजशा... Read more
पहाड़ और चीटियों वाली बारात
रानीखेत में हाईस्कूल बोर्ड के इम्तहान के बाद मुझे चौखुटिया से मासी वाली रोड पर एक गांव ‘फाली‘ में अपनी छुट्टियां काटने के लिऐ भेज दिया था. ‘फाली‘ में मेरी मौसी रहती है. वहां दिन में कोई साथी... Read more
पूरे भारत में ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो’ का नारा बुलंद था देश की जनता के नेतृत्व में आज़ादी की अंतिम लड़ाई लड़ी जा रही रही. जब पूरा देश अंग्रेजों के खिलाफ़ लड़ रहा था तब टिहरी रियासत की जनत... Read more
सत्तर के दशक में लखनऊ के आकाशवाणी केन्द्र से पर्वतीय इलाके के लोगों लिए एक कार्यक्रम प्रसारित होता था उत्तरायण. यह कार्यक्रम तकरीबन एक घण्टे चला करता था. तब उत्तरायण के माध्यम से पहाड़ के गी... Read more
नैनीताल में सवर्णों ने दलित ग्राम प्रधान की गाड़ी पंचर की और दलितों का सामान नहीं उतरने दिया
नैनीताल जिले के विकास खण्ड ओखलकांडा के ग्राम भुमका में अनुसूचित जाति के ग्राम प्रधान को सवर्णों द्वारा दलित उत्पीड़न की रपट वापस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. सवर्णों द्वारा ग्राम प्रधान... Read more
तिलाड़ी काण्ड की पृष्ठभूमि तैयार करने वाले जन आन्दोलनों का एक विस्तृत अध्ययन
1803 में गोरखाओं से पराजित होकर राज्य खो देने प्रद्युमन शाह की मृत्यु के बाद 1815 में अंग्रेजों की मदद से राजा सुदर्शन शाह ने गोरखा पर विजयी पाई. लेकिन राज्य का एक बड़ा हिस्सा जो अलकनंदा/गंग... Read more
धारचूला के तेनसिंह को सलाम जिसने भांडमजुवा बनने की बजाय खुद्दारी से जिया अपना जीवन
आज किसी भाई ने अपने फेसबुक पोस्ट में ‘भांडमजुवा’ शब्द का प्रयोग किया है. वही भांडमजुवे जो अपने गांवों से भागकर शहर-कस्बों में जाकर वहां के होटल-ढाबों में बर्तन मांजने का काम करते... Read more
नहर देवी में एक छोटे से बाड़े में पैतीस चालीस लोगों के बीच दब कर जैसे-तैसे रात बिताने के बाद अगले दिन भी मौसम ने कोई राहत नहीं दी. कुछ लोग जो नीचे को जाने वाले थे वह बोगड्यार के लिए निकल गए... Read more
काफल के समय काफल के नोस्टाल्जिया पर अक्सर बात होती ही है लेकिन इसी को सकारात्मक तरीके से देखें तो यह वह समय होता है जब बचपन की अनेक यादें दृश्य के रूप में अचानक धड़धड़ाते हुए आ जाती हैं. शायद... Read more