नेहा उनियाल: उत्तराखण्ड की संस्कृति में आधुनिकता का रंग भरने वाली आर्टिस्ट
(मूल रूप से यमकेश्वर, पौड़ी-गढ़वाल की रहने वाली नेहा उनियाल बेहतरीन आर्टिस्ट हैं. हाल-फिलहाल देहरादून में रहने वाली नेहा उनियाल मंडाला, ऑरनामेंटल पैटर्न, डूडलिंग, हाइपररीयलिस्टिंग, कॉमिकल इल... Read more
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – 57 (Column by Gayatree Arya 57)पिछली किस्त का लिंक: ज्यादातर लड़के लड़कियों से ‘झूठा प्रेम’ जताकर सिर्फ सेक्स करने की इच्छा रखते हैं तुम कभी-कभी जिस तरह से म... Read more
अपने खून से महात्मा गांधी को ख़त लिखकर डांडी मार्च में शामिल होने वाले उत्तराखंडी खड्ग बहादुर
डांडी-सत्याग्रह के दिन. देहरादून से गाँधी जी को एक खत मिला. पत्र मामूली स्याही से नहीं, भेजने वाले ने अपने खून से लिखा था. अहिंसा में विश्वास न होने पर भी वह रण बाँकुरा सत्याग्रह में सक्रिय... Read more
जिस वक्त हम गाँव पहुँचे, धूप चोटियों पर फैलने के बाद उतरते-उतरते पहाड़ियों के खोलों में बैठने लगी थी. हवा अभी तपी नहीं थी, ठंडक थी उसमें- बल्कि, हल्का-सा जाड़ा था उसकी तासीर में.(Story by Ks... Read more
सिकंदर की तृष्णा और दार्शनिक फकीर डायोजनीज
सिकंदर यानी अलेक्जेंडर तृतीय के बारे में तो हम सबने सुना ही है कि वह मेसीडोनिया यानी मकदूनिया, जो कि आज के जमाने का ग्रीस है, का सबसे ताकतवर सम्राट था. वह उस वक्त की जानकारी के मुताबिक जितनी... Read more
‘साह’ जाति-नाम पर कुछ नोट्स
राजीव लोचन साह की ओर शायद मैं आकर्षित नहीं होता अगर वह उसी सरनेम वाला नहीं होता, जो मेरी बुआ का था और जिनकी शरण में रहकर मैं नैनीताल में पढ़ रहा था. इसका मतलब यह नहीं है कि वह मेरा रिश्तेदार... Read more
भारतीय संस्कृति में नदियों को सर्वोच्च सत्ता के रुप में आसीन करने और उसे देवत्व स्वरुप प्रदान करने की अलौकिक परिकल्पना रही है. लोक में यह मान्यता प्रबल रुप से व्याप्त है कि नदियों का स्वभाव... Read more
कल है गंगा दशहरा
ज्येष्ठ शुक्ल की दशमी स्कंदपुराण में गंगावतरण की तिथि कही गयी जिसे गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है. ऋग्वेद के नदी सूक्त में गंगा के अनुपम स्वरुप का वर्णन है.... Read more
अल्मोड़े के आनसिंह जिन्होंने संस्कृत में कर्मकाण्ड की शुद्ध पुस्तकें छपवाकर उत्तराखंड के दुर्गम स्थानों तक पहुंचाई
‘आज इना तक सरकूँगा, कल भिन्हार तक, परसों सिलोर महादेव. अगले दिन भवड़ा, फिर रानीखेत. आठवें दिन अल्मोड़ा पहुँच पाऊँगा.’ कच्छप-गति से सरकने वाले उस विचित्र व्यक्ति ने बताया, आज से ल... Read more
अपनी समृद्ध कुमाऊनी बोलने में शर्म क्यों आती है
“और डियर तू तो इंग्लैण्ड जाणी वाल छै बल” – इस ज़रा से कुमाऊनी वाक्य के विन्यास में सबसे ज़रूरी शब्द है – “बल”. यानी इस वाक्य को जो आदमी कह रहा है उसने किसी से सुना है कि सुनने वा... Read more