उत्तराखण्ड के महान संगीतज्ञ केशव अनुरागी
सल्लाम वाले कुमत्यारा वे गौड़ गाजिना, सल्लाम वाले कुमम्यारा मियां रतना गाज़ी, सल्लाम वाले कुमतेरी वो बीवी फातिमा, सल्लाम वाले कुम…केशव ‘अनुरागी’ का स्मरण होते ही कानों में सम्मोहित कर देने व... Read more
हिमालय केवल बर्फ का एक विशाल घर नहीं बल्कि सभ्यता संस्कृति का उदगम स्थल भी है : स्व. कमल जोशी
हिमालय केवल एक पहाड़ नहीं बल्कि संस्कृति और सभ्यता का उद्गम स्थल भी है. हिमालय केवल भारत, एशिया को ही नहीं बल्की पूरे विश्व की जलवायु को प्रभावित करता है. भारत के लिए हिमालय का महत्व और भी ब... Read more
सीधे प्रसारण के दस साल सीमित संसाधनों के साथ कई चुनौतियां का सामना करते हुए रेडियो कुमाऊँवाणी ने इस साल अपने प्रसारण के 10 साल पूरे किए. ये साल न सिर्फ एक लंबे सफर के लिए याद रखा जाएगा बल्कि... Read more
वर्तमान समय में प्रेमचंद की कहानियों को लेकर एक तीखी बहस तब छिड़ गई जब हंस पत्रिका के एक बड़े संपादक ने भावावेश में आकर प्रेमचंद की कुछ कहानियों को छोड़कर बाक़ी सब को कूड़ा कह दिया. इस... Read more
बागेश्वर के बागनाथ मंदिर पर एक महत्वपूर्ण लेख
उत्तराखण्ड के प्रयाग तथा काशी के नाम से विख्यात सरयू नदी के संगम पर अवस्थित बाघनाथ मन्दिर पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल है. इस स्थल को मार्कण्डेय मुनि की तपस्थली अथवा तपोभूमि माना जा... Read more
पहाड़ में पढ़ाई में बहुत बहुत पहले से आस पास मिलने वाली वनस्पतियों का प्रयोग किया गया. इन्हीं से पाटी कलम दवात का रिश्ता जुड़ा. स्याही बनी. भोज पत्र, ताड़ वृक्ष, बड़ वृक्ष से आगे क... Read more
मुंशी प्रेमचंद जयंती (31 जुलाई) पर विशेष Remembering Munshi Prem Chand on his Anniversary वर्तमान परिदृश्य में यदि नीति- नियन्ताओं की मानें तो भारत कई दृष्टि से मजबूत व ऐतिहासिक फैसले लेने म... Read more
ऐपण उत्तराखण्ड के कुमाऊं मंडल की बहुप्रचलित लोककला है. कुमाऊँ के हर घर की महिलाएं मांगलिक अवसरों पर इसे सदियों से बनाती हैं. कुमाऊँ की हर महिला एक ऐपण आर्टिस्ट है कहा जाए तो गलत नहीं होगा. व... Read more
सन् 1900 ई0 में मसूरी की आबादी साढ़े चौदह हजार से भी अधिक हो गई थी जिसमें से चार हजार से अधिक यूरोपियन थे. इस बढ़ती आबादी के लिये पूर्व में सप्लाई किये जाने वाला पानी पर्याप्त नही था. अक्टूब... Read more
महादेव के वीर गण लटेश्वर का मंदिर
थलकेदार से लगभग 2500 फीट की ढलान पर दुर्गम मार्ग को पार कर लटेश्वर नामक मंदिर आता है. यहाँ पर एक सम्पूर्ण विशाल शिला खण्डित होकर गुफा रूप में परिवर्तित हुई है जहाँ “लाटा” देव की... Read more