गढ़वाले मा बाघ लागो,बाघ की डरा… ब्याखूली ए जये घर चैय्ला, अज्याल बाघ की भै डर… गढ़वाल का लोकगीत हो या कुमाऊं की लोकोक्ति दोनों ही बराबर रूप से उत्तराखंड के समाज में बाघ की उपस्थिति उसके भय औ... Read more
डुगडुगी की गड़गड़ाहट हवा में बुलंद हुई तो बाजार की सड़क पर गुज़रते राहगीरों का ध्यान अनायस ही उस ओर खिंचता चला गया जहाँ से गड़गड़ाहट की आवाज आ रही थी. डुगडुगी की गड़गड़ाहट का स्रोत एक उम्र द... Read more
शैलेश मटियानी की जन्मतिथि पर भावपूर्ण स्मरण
दुख ही जीवन की कथा रहीक्या कहूँ आज जो नहीं कही निराला जी की ये पंक्तियाँ जितनी हिंदी काव्य के महाप्राण निराला के जीवन को उद्घाटित करती हैं उतनी ही हमारे कथा साहित्य में अप्रतिम स्थान रखने वा... Read more
उत्तराखंड की वनराजी जनजाति पर जमीनी रपट
उत्तराखंड की पांच जनजातियों थारू, बोक्सा, भोटिया, जौनसारी और वनराजी में संभवतः सबसे पिछड़ी और कम जनसंख्या वाली जनजाति है वनराजी. यह जनजाति उत्तराखंड के अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित पिथौरागढ़... Read more
मैमूद: शैलेश मटियानी की कालजयी कहानी
महमूद फिर ज़ोर बाँधने लगा, तो जद्दन ने दायाँ कान ऐंठते हुए, उसका मुँह अपनी ओर घुमा लिया. ठीक थूथने पर थप्पड़ मारती हुई बोली, “बहुत मुल्ला दोपियाजा की-सी दाढ़ी क्या हिलाता है, स्साले! द... Read more
मासी, रैमासी, जटामासी किसी भी नाम से पुकार लीजिये इसकी महक कम न होगी. पहाड़ के अनेक लोकगीतों में इसके फूल का रहस्यमयी अंदाज में जिक्र हुआ है. ऐसा फूल जो ऊंचे कैलास में फूलता है. ऐसा फूल जो म... Read more
टीवी है ज़रूरी: उमेश तिवारी ‘विश्वास’ का व्यंग्य
एक ज़माने में जब मुल्क में टी वी अवतरित हुआ उसे दूरदर्शन के नाम से जाना गया. मालूम नहीं उसका यह नाम दूर के दर्शन करवाने के कारण पड़ा या ये कोई चेतावनी रही कि इसे दूर से ही देखें. तथापि... Read more
डड्वार: गढ़वाल की विलुप्त होती परम्परा
डड्वार, गढ़वाल में दिया जाने वाला एक प्रकार का पारितोषिक है. जिसे पहले तीन लोगों को दिया जाता था: ब्राह्मण, लोहार और औजी. लेकिन धीरे-धीरे यह परंपरा खत्म होती जा रही है. इसके बदले अब लोग पैसे... Read more
हल्द्वानी के गट्टू भाई का बाघ से सामना
नई-नई शादी के पंद्रह दिन बाद उस रात गट्टू भाई की अपनी बीवी से पहली लड़ाई हुई. बीवी का लिहाज करने के उद्देश्य से उन्होंने दोस्तों की संगत में नित्य की जाने वाली शराब पार्टियों पर संयमपूर्ण रो... Read more
प्रिय अभिषेक का चुटीला व्यंग्य ‘माचिस कहां है’
एक कप पानी. एक कप दूध. अरे गैस तो जलाई ही नहीं. माचिस कहाँ है? कहाँ है माचिस? गैस के नीचे गिर गई होगी. यहाँ तो नहीं है. फ्रिज के ऊपर? यहाँ भी नहीं है. हो सकता है फ्रिज के पीछे गिर गई हो, झाँ... Read more