दुष्यंत कुमार हिन्दी भाषा में गजल की विधा को लेकर आने वाले पहले महत्वपूर्ण कवि थे. 1 सितम्बर 1933 को उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के गाँव राजपुर नवादा में जन्मे दुष्यंत कुमार ने इलाहाबाद से उ... Read more
ज़रा भी सलीके के स्कूल में पढ़ चुके या ज़रा भी समझदार माँ-बाप वाले परिवार में पैदा हुए बहुत कम ऐसे लोग होंगे जिन्होंने अपने बचपन में ‘द लिटल प्रिंस’ को न पढ़ा हो! यह छोटी सी किताब अम... Read more
एथलेटिक्स में भारत को पहली बार विश्वस्तरीय ऊंचाइयों पर पहुंचाने का श्रेय पी टी ऊषा को जाता है. ओलिम्पिक्स और विश्व एथलेटिक्स मीट जैसे आयोजनों में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर देश के युवाओं को खेलों क... Read more
17 फरवरी 1952 को उत्तराखंड के पौड़ी जिले में जन्मे उमेश डोभाल को एक निर्भीक पत्रकार के रूप में याद किया जाता है. एक पत्रकार होने के अलावा वे अच्छे कवि और सामाजिक कार्यकर्ता भी थे. (Umesh Dobh... Read more
बाकी बच गया अण्डा
बाकी बच गया अण्डा – नागार्जुन पाँच पूत भारतमाता के, दुश्मन था खूँखार गोली खाकर एक मर गया, बाक़ी रह गए चार चार पूत भारतमाता के, चारों चतुर-प्रवीन देश-निकाला मिला एक को, बाक़ी रह गए तीन... Read more
हल्द्वानी के कर्नल ठुस्सू और उनकी दी हुई सीख
कर्नल ठुस्सू कर्नल ठुस्सू – इनके बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता. सिवाय इनके हास्यास्पद नाम, पदनाम, पैनी नज़र और हिंदी बोलने के ढंग के, जो किसी भी गैर-हिन्दी भाषी व्यक्ति का हो सकता है. ज्... Read more
फादर्स डे स्पेशल : वीरेन डंगवाल की कविता
रूग्ण पिताजी रात नहीं कटती ? लम्बी यह बेहद लम्बी लगती है ? इसी रात में दस-दस बारी मरना है जीना है इसी रात में खोना-पाना-सोना-सीना है जख्म इसी में फिर-फिर कितने खुलते जाने हैं कभी मिले थे... Read more
फादर्स डे स्पेशल: मंगलेश डबराल की कविता
पिता की तस्वीर मंगलेश डबराल पिता की छोटी छोटी बहुत सी तस्वीरें पूरे घर में बिखरी हैं उनकी आँखों में कोई पारदर्शी चीज साफ चमकती है वह अच्छाई है या साहस तस्वीर में पिता खाँसते नहीं व्याकुल नही... Read more
फादर्स डे स्पेशल: चंद्रकांत देवताले की कविता
दो लड़कियों का पिता होने से -चंद्रकांत देवताले पपीते के पेड़ की तरह मेरी पत्नी मैं पिता हूँ दो चिड़ियाओं का जो चोंच में धान के कनके दबाए पपीते की गोद में बैठी हैं सिर्फ बेटियों का पिता होने... Read more
महादेवी वर्मा हिन्दी साहित्य के महत्वपूर्ण छायावादी आन्दोलन के चार बड़े नामों में से एक थीं. इस समूह में उनके अलावा जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पन्त और महाप्राण सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ थे... Read more