शैलेश मटियानी की एक अमर कहानी
पापमुक्ति – –शैलेश मटियानी Paap Mukti Story Shailesh Matiyani घी-संक्रांति के त्यौहार में अब सिर्फ दो ही दिन शेष रह गए हैं और त्यौहार निबटते ही ललिता अपने घर, यानी अपनी बड़ी दीदी... Read more
बम्बइया पिक्चर की कहानी, दिल्ली की थकान और कुमाऊं का लोकगीत: देवेन मेवाड़ी की स्मृति में शैलेश मटियानी
सन् साठ के दशक के अंतिम वर्ष थे. एम.एस.सी. करते ही दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में नौकरी लग गई. आम बोलचाल में यह पूसा इंस्टिट्यूट कहलाता है. इंस्टिट्यूट में आकर मक्का की फसल पर शो... Read more
हम सब जानते हैं कि उनकी शिक्षा नहीं हुई थी. मैट्रिक का इम्तहान वे नहीं दे पाए थे. पहाड़ की जो स्थितियां थीं उसमें उन्हें भागकर बंबई जाना पड़ा. बहुत ही विकट स्थितियां थीं. आर्थिक रूप से और मा... Read more
शेखर जोशी की कालजयी कहानी ‘दाज्यू’
दाज्यू -शेखर जोशी चैक से निकलकर बाईं ओर जो बड़े साइनबोर्ड वाला छोटा कैफे है वहीं जगदीश बाबू ने उसे पहली बार देखा था. गोरा-चिट्टा रंग, नीला श़फ्फ़ाफ़ आँखें, सुनहरे बाल और चाल में एक अनोखी मस्... Read more
देहरादून में शुरू हुआ विरासत – 2019
आज यानी 11 अक्तूबर को शाम 7 बजे से कुमाऊँ के प्रसिद्ध लोक नृत्य छोलिया से विरासत के 23वें संस्करण का भव्य शुभारंभ हो गया है. पिछले 25 वर्षों से विरासत देहरादून वासियो को सम्पूर्ण भारत की सं... Read more
अगर आप उत्तराखंड से हैं और आपने लाटा शब्द नही सुना तो आप सच में लाटे ही हैं. कितनी ही बार आप लाटा बनें होंगें और कितनी ही बार आपने लोगों को ‘लटाया’ होगा. लाटा का शाब्दिक अर्थ जो भ... Read more
‘प्रेमचंद घर में’ – पुण्यतिथि विशेष
आज प्रेमचंद पुण्यतिथि के अवसर पर पढ़िये ‘प्रेमचंद घर ‘ में का एक अंश : मैं गाती थी, वह रोते थे शिवरानी देवी बंबई में एक रात बुखार चढ़ा तो दूसरे दिन भी पांच बजे तक बुखार नहीं उतर... Read more
तुम होगे साधारण ये तो पैदाइशी प्रधान हैं
इन्हें प्रणाम करो ये बड़े महान हैंदंत-कथाओं के उद्गम का पानी रखते हैंपूंजीवादी तन में मन भूदानी रखते हैंइनके जितने भी घर थे सभी आज दुकान हैंइन्हें प्रणाम करो ये बड़े महान हैं उद्घाटन में दिन... Read more
और जीत गई झंगोरे की खीर
राजधानी से तीन गाड़ियों में अफसरों की एक टीम पहाड़ की तरफ चली, यह तय करने कि सरकार द्वारा बजट में पहाड़ के एक जिले के लिए घोषित आईटीआई को जिले के किस स्थान पर खोला जाए? मसला थोड़ा पेचीदा हो... Read more
कब तक बैठी रहोगी इस तरह अनमनी, चलो घूम आएँ
चलो घूम आएँ - सर्वेश्वर दयाल सक्सेना उठो, कब तक बैठी रहोगीइस तरह अनमनीचलो घूम आएँ.तुम अपनी बरसाती डाल लोमैं छाता खोल लेता हूँबादल –वह तो भीतर बरस रहे हैंझीसियाँ पड़नी शुरु हो गई हैंजब झमाझम... Read more