पिथौरागढ़ स्थित देवसिंह मैदान के एक कोने में बॉक्सिंग रिंग के आकार का ढांचा बना है. इस रिंग ने भारत को एक से एक बॉक्सर हैं. दशकों पहले तक एक 70-72 साल के शख्श बच्चों को बॉक्सिंग के गुर सिखाते देखा जा सकता था. इस शख्श का नाम था हरिसिंह थापा, भारतीय बॉक्सिंग के भीष्म पितामह हरि सिंह थापा. रिंग को बनाने के श्रेय भी हरि सिंह थापा को ही जाता है.
(Captain Hari Singh Thapa)
पद्म बहादुर मल्ल, एमके राय, एसके राय, एमएल विश्वकर्मा, डॉ॰ धर्मेंद्र भट्ट, भास्कर भट्ट, राजेंद्र सिंह, प्रकाश थापा, हवा सिंह, सीएल वर्मा, संतोष भट्ट आदि भारत के सर्वश्रेष्ठ बॉक्सर रहे हैं. इन सभी बॉक्सरों को जोड़ने वाले थे भारतीय बॉक्सिंग के भीष्म पितामह कैप्टन हरि सिंह थापा.
पिथौरागढ़ के छोटे से गांव नैनी-सैनी से निकले हरि सिंह थापा ने बॉक्सिंग में अन्तराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नेतृत्व किया. उन्होंने वह मुकाम हासिल किया कि देश और दुनिया आज उन्हें भारतीय बॉक्सिंग के भीष्म पितामह के रूप में जानती है. जीवन में उनके पास तमाम मौके थे जिससे वह दुनिया के किसी भी कोने में बस सकते थे पर उन्हें कुछ वर्षों पहले तक भी अपने गांव के बच्चों को बॉक्सिंग सिखाते देखा गया है. उनका अपने गांव और घर से लगाव था कि वह हमेशा पिथौरागढ़ में ही रहे.
(Captain Hari Singh Thapa)
लोग कहते हैं पहाड़ ने गया हुआ फिर पहाड़ नहीं लौटता. फिर सफ़ल पहाड़ी तो 100 प्रतिशत अपने पहाड़ नहीं लौटता. कैप्टन हरि सिंह थापा ने इस बात को झूठला दिया. उन्होंने दिखाया कि एक सफ़ल पहाड़ी जब अपने गांव लौटता है तो वह अपने समाज को कितना कुछ दे सकता है. पिथौरागढ़ में आज तक चल रही बॉक्सिंग की लिगेसी की नींव कैप्टन साहब में ही तो रखी थी. कैप्टन हरि सिंह थापा मिसाल हैं हर पहाड़ी के लिये.
7 फरवरी के दिन 89 वर्ष की उम्र में कैप्टन हरि सिंह थापा ने अपने पैतृक घर में अंतिम सांस ली. उनका अंतिम संस्कार आज रामेश्वर में किया गया. काफल ट्री परिवार की ओर से कैप्टन हरि सिंह थापा को विनम्र श्रद्धांजलि.
(Captain Hari Singh Thapa)
कैप्टन हरि सिंह थापा के विषय में अधिक पढ़ें:
पिथौरागढ़ से भारतीय बाक्सिंग के पितामह
कैप्टन हरि सिंह थापा की कुछ तस्वीरें देखिये:
सभी तस्वीरें पिघलता हिमालय के फेसबुक पेज से साभार ली गयी हैं.
–काफल ट्री डेस्क
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…
उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…
पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…
आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…
“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…