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1 Comments

  1. PREM BISHT

    बहुत अच्छा लेख । बधाइयाँ । जब हम बच्चे थे यानी सन १९७०-८० के आसपास – काली कुमाऊँ में “डाव्”- पेड़ के लिए “डालो” या डाल और ओले के लिए सिर्फ़ “डाल” का इस्तेमाल होता था यानी “ल” का पूरा उच्चारण करते थे । ऐसे ही ” हल क फालो लाग्गौ ” (got hurt), खल में भट्ट चूटन्योंन आदि ।

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