हल्द्वानी में रहने वाली अभिलाषा पालीवाल की ऐपण कला पारंपरिक ऐपण कला और आधुनिक पेंटिंग का अद्भुत सम्मिश्रण हैं. देहरी और दीवारों के अलावा भी अभिलाषा की कल्पना की उड़ान ऐपण कला को नया आसमान देती है. (Aipan Artist Abhilasha Paliwal)
अभिलाषा की कॉलेज तक की पढाई-लिखाई हल्द्वानी में ही हुई. इसके बाद उन्होंने फैशन डिजाइनिंग में देहरादून से 3 साल का डिप्लोमा किया और करियर बनाने के लिए दिल्ली एनसीआर की राह पकड़ ली. 3-4 साल नौकरी करने के बाद विवाह और उसके बाद की पारिवारिक जिम्मेदारियां उन्हें उत्तराखण्ड वापस ले आयीं.
![Aipan Artist Abhilasha Paliwal](https://kafaltree.com/wp-content/uploads/2019/11/IMG_20191014_103314_563.jpg)
यहां रहकर भी अभिलाषा ने कला के लिए अपने जुनून को ख़त्म नहीं होने दिया. वे पेंटिंग करती रहीं. उन्होंने उत्तराखण्ड की लोककला, ऐपण, को नए स्तर पर ले जाने का निश्चय किया. अभिलाषा का सोचना था कि ऐपण तो सभी करते हैं क्यों न उसके साथ कुछ नए ट्रेंड जोड़कर कुछ अलग किया जाए. सबसे पहले वे ऐपण को कैनवास पर नफीस तरीके से पेंट करने का काम करने लगीं.
![Aipan Artist Abhilasha Paliwal](https://kafaltree.com/wp-content/uploads/2019/11/13_1.jpg)
अभिलाषा बचपन से ही ऐपण बनाती रही हैं. अपनी नानी की संगत में उन्होंने पर्व-त्यौहारों के मौके पर गेरू, बिस्वार से ऐपण बनाना शुरू किया. बचपन का यह शौक उम्र बढ़ने के साथ और ज्यादा परवान चढ़ता गया. परिजनों, शुभचिंतकों ने सराहा तो हौसला भी बढ़ चला.
वापस हल्द्वानी लौटकर अभिलाषा ने ऐपण के साथ नए प्रयोगों की शुरुआत की. ऐपण की गेरुआ-सफ़ेद रेखाओं के साथ कैनवास में नफीस कलात्मकता के साथ रचा.
![Aipan Artist Abhilasha Paliwal](https://kafaltree.com/wp-content/uploads/2019/11/IMG_20191116_221037_815.jpg)
इसके बाद उन्होंने ऐपण को कैनवास के अलावा क्राफ्ट में भी उतारने का मन बनाया. अभिलाषा ने तोरण, बैग, डायरी, टी कोस्टर, नेम प्लेट, डायरी आदि में ऐपण पेंटिंग से अद्भुत शिल्प तैयार करने शुरू किये. उन्होंने घुमक्कड़ युवाओं के बीच लोकप्रिय बुद्धिस्ट मंत्रा फ्लैग की तर्ज पर हिन्दू प्रतीकों के साथ गेरुआ-सफ़ेद रंग के ऐपण चित्रों से सजे तोरण भी बनाये हैं. उनके ये उत्पाद लोकप्रिय होने लगे और उनकी मांग बढ़ने लगी.
![Aipan Artist Abhilasha Paliwal](https://kafaltree.com/wp-content/uploads/2019/11/IMG-20191129-WA0008.jpg)
बढती मांग को पूरा करने के साथ ही अभिलाषा ने अपने उत्पादों को ब्रांडनेम दिया –पर्वतजन.
अभिलाषा का अगला कदम रोजमर्रा इस्तेमाल की ऐसेसरीज में ऐपण के इस्तेमाल के रूप में दिखाई देने वाला है. वे स्टोल, टेबल मैट वगैरह के कुछ नए कलात्मक उत्पाद तैयार करने की दिशा में बढ़ रही हैं.
![Aipan Artist Abhilasha Paliwal](https://kafaltree.com/wp-content/uploads/2019/11/COSTER-2.jpg)
फिलहाल घर में ही रहकर ऐपण के कलात्मक उत्पाद बनाने वाली अभिलाषा जल्द ही पर्वतजन का ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और एक स्टोर खोलने का भी इरादा रखती हैं.
![Aipan Artist Abhilasha Paliwal](https://kafaltree.com/wp-content/uploads/2019/11/IMG_20191014_161957_976_2.jpg)
अभिलाषा का कहना है कि रोजमर्रा इस्तेमाल होने वाली चीजों के साथ लोककला के प्रयोग घरेलू महिलाओं की आजीविका का भी जरिया बन सकते हैं.
![Aipan Artist Abhilasha Paliwal](https://kafaltree.com/wp-content/uploads/2019/11/COSTER_C_03.jpg)
अभिलाषा लोककला और शिल्प के लिए उत्तराखण्ड के लोगों में बढ़ते क्रेज को भविष्य के लिए अच्छा संकेत मानती हैं. ( हल्द्वानी में रहने वाली अभिलाषा पालीवाल की ऐपण कला पारंपरिक ऐपण कला और आधुनिक पेंटिंग का अद्भुत सम्मिश्रण हैं. देहरी और दीवारों के अलावा भी अभिलाषा की कल्पना की उड़ान ऐपण कला को नया आसमान देती है. (Aipan Artist Abhilasha Paliwal)
काफल ट्री के लिए अभिलाषा पालीवाल से सुधीर कुमार की बातचीत पर आधारित
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
3 Comments
Indu bohra
जो युवा रोजगार के लिए भटक रहे हैं उनके लिए संस्कृति बचाने और रोजगार से जुड़े का बेहतरीन मौका।
Anil
Nice ……i don’t have word.. How to explain… It’s inspirable.
Kripal Kathayat
it is nice to see ancient art of Uttrakhand. Keep it up, salute to your imagination.
you may start business of such art and also involve other people of Uttrakhand.