उत्तराखंड में वन्यजीवों की सुरक्षा किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. राज्य में 6 नेशनल पार्क, 7 अभ्यारण और 4 कंजर्वेशन रिजर्व हैं. इस चुनौती से निपटने के लिये सरकार जल्द ही वन्य जीव अंचल व्यवस्था के पुनर्गठन पर विचार कर रही है. राज्य गठन से पूर्व उत्तराखंड में दो वन्य जीव अंचल कोटद्वार और रामनगर में कार्यरत थे.
कोटद्वार अंचल का कार्यक्षेत्र गढ़वाल मंडल और रामनगर का कुमाऊं मंडल था. प्रत्येक अंचल में एक सहायक वन संरक्षक की अगुआई में पांच सदस्यीय टीम हुआ करती थी. इसका कार्य वन्यजीव अपराधों की जांच-पड़ताल, अपराधियों को पकड़ने के साथ ही खुफिया जानकारी जुटाना था. राज्य गठन के बाद इन्हें समाप्त कर दिया गया.
तीन साल पहले वन विभाग की ओर से प्रदेश में 4 वन्यजीव अंचल का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था. यह वन्यजीव अंचल गढ़वाल और कुमाऊं मंडल में खोले जाने प्रस्तावित थे. शासनों की फ़ाइल में यह प्रस्ताव खो गया.
वन मंत्री हरक सिंह रावत ने बताया कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में वन्यजीव अंचल व्यवस्था को फिर से बहाल करने के मद्देनजर वन विभाग से प्रस्ताव मांगा गया है. इस संबंध में सरकार के स्तर पर भी मंथन चल रहा है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में जल्द ही वन्यजीव अंचल अस्तित्व में आयेंगे.
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