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आज की पीढ़ी को लकी अली को क्यों सुनना चाहिए

अभी हाल ही में, मैंने अपने से कुछ 12 से 13 साल छोटे एक शख्स से किसी बात पर पूछा – क्या तुमने लकी अली को सुना है? तो उत्तर आया – कौन लकी अली? (Lucky Ali)

उस समय तो नहीं लेकिन कुछ समय बाद, आज के दौर का रिफरेन्स लेते हुए जरुर लगा – हाँ, सही ही है, कौन लकी अली?

तकनीक, आधुकनिकता और नफरत से भरे इस दौर में क्या वाकई में लकी अली जैसे कलाकारों का दायरा क्या कुछ चंद लोगों जिसे अंग्रेजी में नीश लिसनर्स या 90 के दशक में जवां हो चुकी पीढ़ी के बीच तक रह गया है? वैसे ईमानदारी से कहूं तो 90 के लोगों को भी लकी के कुछ गानों को छोड़ शायद कुछ और बहुत ज्यादा याद होगा. और शायद इसका सबसे प्रमुख कारण ये रहा कि लकी ने जो गाया वो उन्होंने अपने लिए गाया है, आप उसे पसंद करें या समझ ही जाएँ ये उतना जरूरी नहीं, खैर इससे जुड़ी बातें आगे करेंगे.

लकी व्यक्तिगत रूप से घुम्मकड़, एक किसान, प्रकृति से जुड़ा हुया, गायक कलाकार, एक मनमौजी और टूट का मुहब्ब्त करने वाले इंसान हैं और ये सब मैंने लकी के काम उनके गाये गानों में महसूस किया है. लकी के व्यक्तिगत जीवन की कहानी, जीवन के उतार-चढाव, संगीत से जुड़े प्रयोगों, किये गए काम की सूची,  सिनेजगत से जुड़ी उनकी पृष्टभूमि आदि के बारे में गूगल देव या यू ट्यूब के कुछ विडियो आपको जानकारी दे देंगे. यहाँ जो मैं साझा करना चाहता हूँ, वो ये कि क्यों मैं अपने स्कूली दिनों से लेकर आज तक लकी को सुनता आ रहा हूँ और लकी को क्यों आज की पीढ़ी को भी सुनना चाहिए?

भारतीय पीढ़ी जो कबीरा मान जा (अरिजीत), कोक स्टूडियो या कुछ विदेशी गायकों के गानों जैसे डेविड रोसेंग्बेर्ग (पैसेंजर), जॉन मेयर, इन टू द वाइल्ड (एडी वेडर), क्रिसस्टेफेलटन आदि को सुन खुद को बैठे-बैठे खग्गाड़ घुम्मकड़ मान बैठती है, वो अगर लकी को सुने तो शायद उनको पता चले कि लकी ने कैसे अपने वक़्त से 20 साल आगे के गाने गाये. और लकी ने वो गाने न सिर्फ गाये बल्कि उन गानों का जो फिल्मांकन भी हुआ वो भी अपने समकालीन गायकों और कलाकारों के कामों से बेहद अलग और समय के एक लम्बे कालखंड से परवानगी लिये रहा. लकी ने शायद अपने काम का स्पेक्ट्रम ऑफ़ टाइम स्केल काफी लम्बा खिंचा है, इसीलिए शायद लकी के गाने अभी भी सुनो तो ऐसा लगे जैसे अभी अभी ही तो ये गाना आया है. एक-एक शब्द को महसूस कर गाने की अपनी कला के प्रिजरवेटिव में डूबे लकी के गाने अभी भी उतने ही ताजे हैं, जितने वो आज से 20-22 साल पहले थे. (Lucky Ali)

ओ सनम… गाने में मिस्र के पिरामिडों में अपने प्रेम को ढूंढता-तलाशता लकी, अनजानी राहो में… गाने में अपनी जड़ों को ढूंढ़ता लकी, मौसम भी यार है…  गाने में दोस्ती, घुमाई, छोटी-छोटी खुशियों, बेफिक्री को जीता लकी,  सुब्बे-सुब्बे के लिए सवेरा चले गाना, कितनी हँसी ज़िन्दगी है… गाने में अपनी बुलेट में, तो कभी ट्रेलर में सफ़र करता एक ऐसा अधपगला जिसे आप बेइंतिहा मोहबत्त करने लग जाये, लेकिन शायद जिसे आप बाँध न पायें. हर गाने से जुड़ी थीम पर न ही लिखूं तो बेहतर आप खुद ही सुने क्या पता आप खुद से अपनी नयी थीम ढूंढ लें, लकी के गानों में.

लकी ने अपने गानों में जो प्रयोग किये हैं, जो गाने गाये हैं वो जीवन है. जिनमें पैदा होने से मौत तक के इस क्षणभंगुर जीवन की कहानी तैरती है. लकी के गानों में जीवन की जदोजहद न हो कर जीवन का खुबसूरत पहलू उसकी रवानगी दिखाई देती है.  हवा, पानी, पेड़, दोस्त, प्रेमिका, प्रेम, विरह और इन सब से जुड़ा एक बड़ा सा सिफ़र आप लकी मे पाएंगे, जो बार बार आपको भगवान तो नहीं पर आपके आसपास बसी खूबसूरती से जरुर जोड़ता है. आज के नफरत भरे इस दौर मे लकी को सुनना आपको प्रेम करने की ओर प्रेरित करता है. संबंधों के मकड़जाल में, जहाँ हम हर प्रेम को एक सामाजिक शादी या ऐसे किसी दायरे मे बाँध गला घोट मार देना चाहते हैं, वहीं लकी के गाने प्रेम की असीमित ऊँचाइयों, उसकी असीमित पहुँच और उसे निभाने से ज्यादा कैसे जिया जाए, इस बारे मे बिना लाग लपेट के बस ऐसे ही गाते गुनगुनाते बता देते हैं.

जीवन की भसड़ नहीं जीवन की आसानी, आपके मात्र एक जीवन को सरलता से जीने, सबसे पहले खुद से पूरी ईमानदारी से प्यार करने को प्रेरित करते गाने, सुबह से लेकर शाम या फिर देर रात तक जैसे अलग-अलग समय के राग होते हैं, वैसे ही आपके मूड के हिसाब से आपसे बात करते लकी के गाने.

लकी को मैं व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता, न ही कभी उनसे मिला ही हूँ, लेकिन जो भी मुझे पता है, उसमें मुझे जो सबसे खूबसूरत बात लगी वो ये कि लकी ने अपने काम को जिया है, सिर्फ पैसे नाम शौहरत के लिए हाय तौबा नहीं मचाई. इक ऐसा आदमी जिससे जब पूछो कि आप लगतार क्यूँ नहीं गाते, कहां गायब हो जाते हो, तो जवाब मिले – मेरा जब मन होगा तब गाऊंगा, गुन-गुनाऊंगा, आप खुद से जबरदस्ती करना बंद करें.  लकी ने खूब घुमाई की है, जी भर के प्यार किया है, अपने आसपास हो रहे बदलावों को महसूस किया है और खुद को शायद सबसे आसन तरीके से अपनी गायकी में व्यक्त किया है. (Lucky Ali)

मैं लकी को सुनने और उनके काम को चाहने वालों में से एक हूँ और मुझे लगता है, हर वो शख्स जो अपने जूनून को जीता है, और अपने आप में आसन है, उसे लकी से दोस्ती कर ही लेनी चाहिए. देश प्रेमी लोगों के लिए भी बहुत कुछ है, लकी के गानों में, जहाँ वो बार-बार अपने गाये गानों में, अपनी जड़ो से जुड़ने, विश्व प्रेम और लोगों को आपसी प्रेम-सौहार्द से रहने की बात करते हैं.

लकी को सुनते-सुनते कुछ गानों में जरूर ही लगे, अबे, ये क्या था?  ये क्यूं जो गाया होगा? वो भी ऐसे… तो उन गानों के लिए इतना ही कहना हुया- शायद भाई का मूड हूआ ऐसे ही गाना है, तो ऐसी ही गा लिया, याद रखिये लकी ने वो गाने आपके लिए बाद में, पहले अपने लिए गाये हैं. उनके कुछ गाने ऐसे ही हैं, क्यूंकि लकी ऐसे ही हैं.

और अंत में ये लेख पढ़ के ये न समझें कि कहीं लकी अली की मृत्यु तो नहीं हो गयी जो उनके काम को श्रधांजलि देता हुया ये लेख लिख दिया गया है? तो बात ये है कि लकी अभी जिंदा हैं और अभी भी अपनी शर्तों में ज़िन्दगी जी और काम कर रहे हैं. हाल ही में  एलिज़र कोहेन के साथ उनका एक नया गाना आया है, जहां वो फिर से “अनजानी राहों” की बात कर रहे हैं.

सुनिए लकी को सुनिए, अपने आसपास को सुनिए, टूट कर मुहब्बत कीजिये, किसी की याद में गाने गाइए, कमरे से बाहर पहाड़ों की ऊँचाइयों मे पहुच हंफिये, नदियों संग तैरिये, समंदर में डूबिये. एक ही जीवन है और जो है जैसा भी है जहाँ है यही है यही है. तो मस्त रहिये और जीवन को फुटबाल बना लकी हो जाइये.

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पिथौरागढ़ के रहने वाले मनु डफाली पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रही संस्था हरेला सोसायटी के संस्थापक सदस्य हैं.

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Kafal Tree

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  • Outstanding post mere fvrt singer to ni h bt is post ko pdne k bd ho gye hai maine bahut se gane sune h inke lekin kbi itna mehsus ni kra aj jb post pd ra tha to aisa lag raha tha man me unke gane baj rahe h or dil gunguna raha hai ab pura playlist download krta hu inke songs ka thank you so much itna axa likhane k lye bate dil chune wli hai appreciate your work #safarnama chalta rahe

  • हम तो बहुत सुनते है लकी अली को उनकी सभी एल्बम

  • लकी अली के गानों में सूफ़ियत को एक नई आवाज मिली और एक नई धुन जो हम 90 के दशक के युवाओं को, जो शायद अब हम नहीं रहे?, रोमांचित करती थी और अभी भी करती है ।

  • बकवास , बिल्कुल मज़ा नहीं आया लकी अली को सुनने में ।

  • लकी के गानों में जीवन के लिए एक अधूरापन के साथ गजब की सकारात्मक ऊर्जा है । बहुत अच्छा लगा पढ़के

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