Categories: Featuredकॉलम

क्या आप जानते हैं डेंगू कितने प्रकार का होता है

हर साल की तरह इस साल भी उत्तर भारत में डेंगू का प्रकोप फ़ैल चुका है. उत्तराखंड के मैदानी इलाकों में डेंगू के हज़ारों की संख्या में केस आ रहे हैं.

डेंगू मादा एडीज मच्छर के काटने से होता है, इस मच्छर के शरीर पर चीते जैसी धारियां होती हैं. ये मच्छर दिन में, खासकर सुबह के समय काटते हैं. डेंगू के फैलने का सबसे सही समय बरसात का मौसम और उसके फौरन बाद के महीनों का होता है. एडीज इजिप्टी मच्छर बहुत ऊंचाई तक नहीं उड़ पाता. इसकी इंसान के घुटने के नीचे तक ही पहुंच होती है.

डेंगू के मच्छर गंदी नालियों में नहीं बल्कि साफ सुथरे पानी में पनपते हैं. एडीज मच्छर द्वारा काटे जाने के करीब 3-5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखाई देने लगते हैं.

डेंगू से बचने का पहला उपाय बचाव है. इसके लिये घर के बाहर रखे साफ पानी के बर्तनों जैसे पालतू जानवरों के पानी के बर्तन, बगीचों में पानी देने वाले बर्तन और पानी जमा करने वाले टैंक इत्यादि को साफ रखना चाहिये. घर के अंदर फूलदानों में पानी जमा नहीं होने देना चाहिये.

साधारण डेंगू बुखार में ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार आता है. सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होता है. आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होता है जो आंखों को दबाने या हिलाने से और बढ़ जाता है. अत्यधिक कमजोरी होना, भूख न लगना और जी मिचलाना और मुंह का स्वाद खराब होना, गले में दर्द होना, चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी रंग के चकते होना, ये सभी सामान्य डेंगू बुखार के लक्षण हैं. यह करीब 5 से 7 दिन तक रहता है.

डेंगू हैमरेजिक बुखार दुसरे प्रकार का डेंगू है. नाक और मसूढ़ों से खून आना, शौच या उलटी में खून आना, त्वचा पर गहरे नीले-काले रंग के छोटे या बड़े चकत्ते पड़ जाना इसके लक्षण हैं.

डेंगू शॉक सिंड्रोम तीसरे प्रकार का डेंगू है. इसमें मरीज बहुत बेचैन हो जाता है और धीरे-धीरे होश खोने लगता है. तेज बुखार के बावजूद ठंड लगना, नाड़ी कभी तेज चलना तो कभी धीरे चलना और ब्लड प्रेशर बहुत कम हो जाना, इसके प्रमुख लक्षण हैं.

-काफल ट्री डेस्क

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

View Comments

  • Little additional input on mosquito biology
    ....... सामान्य लोग समझते हैं कि मछर बिमारी पैदा करता है,वह तो केवल एक बीमार मनुस्य मे पल रहे जीवरुओ को स्वस्थ मनुष्य तक पहुचा देता है ।यह तब होता है जब बेचारी मादा मछर अपने आने वाले बच्चों के लिये ,पेट मे पैदा हो रहे अंडों के लिये अधिक प्रोटीन वाला द्रब्य की तलाश मे रहती है और खून चूषण करती है ।उसे अधिकतर जानवरों का ही खून पसंद होता है ।जंगलो मे कुछ मछरों की जातियां खून के बदले शहद लेती हैं ।
    आपकाही
    सतीश तेवारी

Recent Posts

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

15 hours ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

7 days ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

1 week ago

इस बार दो दिन मनाएं दीपावली

शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को…

1 week ago

गुम : रजनीश की कविता

तकलीफ़ तो बहुत हुए थी... तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,…

1 week ago

मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा

चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार…

2 weeks ago