उत्तराखंड में नशे का कारोबार हमेशा से एक चुनौती रही है. पहाड़ों में ऐसा कोई गांव न होगा जहां नशे के कारण बरबाद एक परिवार न हो. पहाड़ों में नशे के विरोध में सबसे अधिक संघर्ष किसी ने किया है तो यहां की महिलाओं ने किया. उत्तराखंड के इतिहास में ऐसी एक से बढ़कर एक घटनायें हैं जहां महिलाओं ने सरकारी अफसरों की सिट्टी-पिट्टी गुम करा दी है. ऐसी ही एक घटना पौड़ी जिले की भी है.
(Tinchri Mai Uttarakhand)
पौड़ी में आये हुये अभी ईच्छागिरी माई कुछ ही दिन हुये थे इससे पहले वह चार साल बद्रीनाथ और केदारनाथ में अध्यात्मिक प्रवास पर रहीं. पौड़ी में एक वन विभाग के कंजरवेटर का घर उनका ठिकाना बना. यहाँ माई एक दिन पोस्ट ऑफिस के बाहर बैठी थीं तभी उन्होंने देखा कि एक दुकान से नशे में धुत्त शख्स बाहर निकला और अपने रोजमर्रा की दिनचर्या में जलावन की लकड़ी और जानवरों का चारा लेने जंगल की ओर जा रहे महिलाओं का एक समूह को देखकर फब्तियां कसने और गाली देने लगा.
ईच्छागिरी माई ने उस अवैध नशे के कारोबारी की शिकायत करने डिप्टी कमिश्नर के पास पहुँच गयीं और उसे समस्या के बारे में बताया. डिप्टी कमिश्नर उन्हें अपने जीप पर बिठाकर मौके पर पहुंचा. माई ने उसे नशे के फलते-फूलते अवैध कारोबार के बारे में बताया. उन दिनों यह क्षेत्र नशाबंदी के प्रभाव में था और नशे के लिए आयुर्वेदिक दवाओं की ज्यादा मात्र का इस्तेमाल किया जाता था. ऐसी ही एक आयुर्वेदिक सिरप को टिंचरी कहा जाता था. इस सिरप की ओवरडोज साइड इफेक्ट के रूप में दारू सा नशा देती थी. डिप्टी कमिश्नर ने मौके पर सब देखने के बाद भी न कोई कार्रवाई की न ही किसी से कुछ कहा ही. वह वहां से खिसक गया.
(Tinchri Mai Uttarakhand)
क्रोधित माई ने मिट्टी का तेल और माचिस ली और और उस दुकान में धमक गयी. इस समय तक दुकान भीतर से बंद कर दी गयी थी. माई ने पत्थर की सहायता से दरवाजा तोड़ डाला. यह देखकर वहां भीतर बैठा शख्स भाग खडा हुआ. उसके बाद माई ने दुकान को आग लगाकर फूंक दिया. कुछ ही मिनटों में दुकान ख़ाक हो गयी. इसके बाद माई पुनः डिप्टी कमिश्नर के पास पहुंची और उसे घटना की पूरा जानकारी देकर खुद को गिरफ्तार करने के लिए कहा. उन्हें गिरफ्तार करने के बजाय उनके ही घर पर नजरबन्द कर अगली शाम लैंसडाउन ले जाकर छोड़ दिया गया.
इस घटना से माई को नया नाम मिला टिंचरी माई. उनके जीवन का एक अन्य अध्याय शुरू हुआ. इसके बाद टिंचरी माई के नए अवतार में ईच्छागिरी माई ने गाँव-गाँव नशे के खिलाफ अलख जगाने का काम किया. उन्होंने शिक्षा के लिए जागरूकता फैलाने और नशामुक्ति अभियान को ही अपने शेष जीवन का ध्येय बना लिया. उन्होंने महिलाओं को शिक्षित होने और नशामुक्ति के लिए अपने मर्दों से संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया.
(Tinchri Mai Uttarakhand)
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