दुनिया जहान को मालूम है कि पिथौरागढ़ के नैनी-सैनी हवाई अड्डे का इंतजार इस लोक में ही नहीं बल्कि परलोक में भी खूब हो रहा है. पूरी एक पीढ़ी आज भी स्वर्ग में अप्सराओं के नृत्य की ओर पीठ पलटाए स्वर्ग की खिड़कियों से मुंडियां बाहर निकाले बस इसलिये नीचे ताक रही है कि एक दिन पिथौरागढ़ से भी कोई हवाई जहाज उड़ेगा जिसमें उनकी जमीन से उड़ने वाले हवाई जहाज में उनके नाती-पोते बैठे होंगे.
पिथौरागढ़ से विधानसभा सदस्य और उत्तराखण्ड के वित्त मंत्री प्रकाश पन्त ने एक बार फिर से जनता को नैनी-सैनी हवाई अड्डे की शुभकामनाएं दी है. जाहिर है कि शुभकामनाएं होंगी तो मिठाई भी होगी. जिस तेजी से और जितनी बार सरकार नैनी-सैनी हवाई अड्डे की बधाई पिथौरागढ़ के लोगों को दे रही है उससे जल्द ही पिथौरागढ़ के लोगों को डायबिटीज हो जानी है. पिथौरागढ़ में हवाई अड्डा उस ज़माने से बन रहा है जब इसकी मिठाई शहर भर की कुल तीन मिठाई की दुकानों ने मिलकर बांटी थी. तब से अब तक शहर की हर तरफ उग आई मिठाई की तमाम दुकानों से भी नैनी सैनी हवाई अड्डे के नाम की मिठाई जरुर बंटी होगी.
बीते गुरुवार के दिन नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने उत्तराखण्ड नागर विमानन को नैनी सैनी हवाई अड्डे से उड़ान की अनुमति दे दी है. नैनी सैनी हवाई पट्टी का निर्माण कार्य 1991 से लटका हुआ है. पिछले कुछ सालों से खबर आ रही है कि नैनी सैनी में बनने वाली बहुप्रतीक्षित हवाई पट्टी की तैयारियों को अंतिम रुप देने का काम किया जा रहा है. अक्टूबर 2018 देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह द्वारा देहरादून से पिथौरागढ़ के लिये हवाई जहाज को हरी झंडी भी दिखाई गयी थी जिसके बाद यह घोषणा की गयी चौबीस अक्टूबर से पिथौरागढ़ के नैनी सैनी हवाई अड्डे और देहरादून व पंतनगर नगर के बीच नियमित उड़ाने भरी जायेंगी. लेकिन जैसा कि हमेशा से होता है पिथौरागढ़ के लोग ठगे गये. जिसके बाद वित्तमंत्री प्रकाश पन्त ने किन्हीं तीन मकानों के कारण डीजीसीए की अनुमति न मिलने वाला हास्यास्पद बयान दिया था.
नैनी-सैनी का मुद्दा हाल में पिथौरागढ़ में हुये नगरपालिका चुनाव में भी उठाया गया हालांकि पूरे जोर-शोर से आवाज उठाने वाले प्रत्याशी की जमानत जब्त करते हुये लोगों ने भाजपा के राजू रावत को ही चुना. राज्य विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने पिथौरागढ़ के लोगों से डबल इंजन सरकार बनाने के लिये वोट मांगे थे. अब चूंकि पिथौरागढ़ के लोग बड़े दिल वाले होते हैं सो उन्होंने निकाय चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को जिताकर डबल की जगह ट्रिपल इंजन वाली सरकार का गठन कर लिया.
खैर! इस दफा पिथौरागढ़ के लोगों को एक बार फिर से बधाईयाँ देते हुये वित्त मंत्री प्रकाश पन्त ने एक तस्वीर साझा की है.
सोनी आई.एल.सी.ई.- 7एम3 ( SONY ILCE-7M3 ) कैमरे से दो सौ एम.एम फोकल लेन्थ से खींची रनवे पर उतरते इस विमान की नीचे दी हुई तस्वीर दरसल या तो स्विटजरलैंड की है या जर्मनी की. जिसे आई.एल.सी नाम की वेबसाइट में देखा जा सकता है. इस तस्वीर को सितम्बर 2018 के महिने में पिक्सबे नाम की एक वेबसाईट पर लार्स निस्सेन फोटोआर्ट नाम की प्रोफाइल से अपलोड किया गया था. यह प्रोफाइल फेसबुक पर एक जर्मन व्यक्ति की प्रोफाइल से मिलती है. कुल मिलाकर यह तय है कि वित्त मंत्री प्रकाश पन्त से जिस फोटो के उपर बधाई संदेश एडिट करवाकर शेयर किया है वह नैनी सैनी हवाई अड्डा तो बिलकुल नहीं हैं.
जिस हवाई अड्डे को मंत्री जी अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बता रहे हैं और जिसके लिये जनता को बधाई दे रहे हैं उसकी एक तस्वीर तक उनके पास साझा करने को नहीं हैं. पन्त जी उत्तराखण्ड के पहले और एकमात्र वित्तमंत्री हैं जो बजट पेश करने से फेसबुक लाइव के माध्यम से पहले जनता की राय लेते हैं. उत्तराखण्ड, जिसकी बीस प्रतिशत आबादी अनपढ़ है और आधी से ज्यादा आबादी ग्रामीण है, के बजट पर फेसबुक लाइव से राय मांगना मंत्री महोदय का अभिनव प्रयोग ही माना जाना चाहिए.
इस प्रकरण के माध्यम से हम केवल यह बतलाना चाहते हैं कि हमारे प्रतिनिधि जनता की मांगों के प्रति कितने संजीदा हैं. संभवतः मंत्री जी उन चुनिन्दा लोगों में से एक हैं जिन्होंने नैनी सैनी से अब तक सबसे ज्यादा बार उड़ान भरी होगी इसके बावजूद उनके पास उसकी एक तस्वीर नहीं है जिसके द्वारा वह शहर के लोगों को बधाई दे सकें.
फिलहाल यह छोटी से घटना हमें दिखाती है कि हर रोज पूरे शहर को लांघ कर पार करने वाले मंत्रियों की सरकार के निर्णय का जन भावनाओं से कोई सरोकार नहीं होता. इसका एक उदाहरण हम हल्द्वानी से देहरादून तक चलने वाली नैनी एक्सप्रेस रेलगाड़ी में भी देख सकते हैं.
अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चम्पावत जिले के लोगों को एक ही दिन में देहरादून की यात्रा पूरी कराने के नाम पर चलाई गयी यह रेलगाड़ी हल्द्वानी से सुबह पांच बजकर तीस मिनट पर चलती है. ऐसी कौन सी गाड़ी है जो अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चम्पावत जिलों से लोगों को सुबह के साढ़े पांच बजे हल्द्वानी स्टेशन छोड़ सकती है. फिर यही रेलगाड़ी देहरादून से शाम सवा चार बजे निकलती है और रात बारह बजे के आस-पास हल्द्वानी रेलवे स्टेशन में पहुँचती है. रात के बारह बजे आपको हल्द्वानी बस स्टेशन पर ऊंघते कुत्तों के अलावा या तो दिल्ली से आने वाली किसी बस के मिलने की संभावना है या फिर देहरादून को निकलने वाली किसी बस की. फिर किसके लिये इतनी बड़ी रेलगाड़ी चलाई गयी? जब यात्रा दो ही दिन में पूरी होनी है तो सड़कों को ही दुरुस्त कर लिया जाता.
सोचिये आदमी बारह बजे देहरादून पहुंचता है और उसे सवा चार बजे रेल से लौटना है. रेलवे स्टेशन से किसी भी सरकारी दफ्तर पहुँचने तक सरकारी दफ्तरों में लंच टाइम हो जाता है. लंच टाइम के बाद सरकारी दफ्तरों में कितना काम होता है सभी जानते हैं. बाकि यह सरकार ही जाने कि तीन घंटे में कौन सा सरकारी काम पूरा होता है. कुल मिलाकर सिवाय किसी के घर में बीमार या मृतक को देखने के अलावा इस ट्रेन से और कोई काम नहीं किया जा सकता.
खैर मामूली सी लगने वाली यह दोनों घटनाएं दिखलाती हैं कि उत्तराखण्ड में नीति निर्माण बड़ी दूरदर्शिता के साथ होता है. बाकि जिन तीन मकानों के कारण अब तक डीजीसीए ने अनुमति नहीं दी थी उनका क्या हुआ भी मंत्री महोदय से जरुर पूछा जाना चाहिये.
– काफल ट्री डेस्क
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