अप्रैल 2024 की चोपता-तुंगनाथ यात्रा के संस्मरण
-कमल कुमार जोशी समुद्र-सतह से 12,073 फुट की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ को संसार में सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर बताया जाता है. चोपता अत्यधिक घने जंगलों, मखमली घास के बुग्यालों और हिमालय की... Read more
फूलों का मौसम आ गया
पहाड़ में इन दिनों वनों में लाल-लाल बुरांश के फूल खिल गए हैं. हरे-भरे वनों में जहां नजर डालो, लगता है बुरांश के पेड़ों ने लाल ओढ़नी ओढ़ ली है. बचपन में सुना वह गीत कानों में गूंजने लगा हैः (... Read more
उत्तराखण्ड के लोकोत्सव मंगसीर बग्वाल की तस्वीरें
मैदानी क्षेत्र में मनायी जाने वाली दीपावली के ठीक एक माह बाद उत्तराखण्ड के गढ़वाल मंडल में जौनपुर और जौनसार क्षेत्र में परंपरागत त्यौहार मनाया जाता है जिसे मंगसीर बग्वाल कहा जाता है. फिलहाल... Read more
इगास के पकवानों की तस्वीरें
बड़ी बग्वाल की तरह इस दिन भी दिए जलाते हैं, पकवान बनाए जाते हैं. यह ऐसा समय होता है जब पहाड़ धन-धान्य और घी-दूध से परिपूर्ण होता है. बाड़े-सग्वाड़ों में तरह-तरह की सब्जियां होती हैं. इस दिन... Read more
गोठ में पहाड़ी रजस्वला महिलाओं के पांच दिन
कुछ सालों पहले उत्तराखण्ड के गाँवों में कोई नई दुल्हन जब ससुराल में प्रवेश करती थी – उसकी पहली माहवारी, जिसे लोक भाषा में धिंगाड़ होना, छूत होना, अलग होना, दिन होना या मासिक आदि नामों... Read more
मशहूर उद्योगपति मुकेश अम्बानी आज अकेले ही बद्रीनाथ व केदारनाथ की यात्रा पर उत्तराखण्ड के गढ़वाल मंडल पहुंचे. आज सुबह साढ़े आठ बजे उन्होंने बद्री विशाल के चरणों में शीश नवाया. इसके बाद अम्बान... Read more
कुमाऊं गढ़वाल की दुर्लभ उच्च हिमालयी लाल जड़ी
अगर आपने अपना बचपन पहाड़ के किसी गाँव में बिताया है, अगर आपके बचपन तक आर्थिक सुधारों का असर देर से पंहुचा हो. अगर आपका बचपन टीवी और बिजली से अजनबी रहा हो. अगर सड़क आप साल में एक दो बार ही दे... Read more
क्या बदल जायेंगे उत्तराखण्ड के सीएम
उत्तराखंड में राजनीति और अनिश्चिताओं का चोली दामन का साथ रहा है. केवल कांग्रेस के एनडी तिवारी ही ऐसे नेता हैं जो पूरे पांच साल सीएम रहे हैं. इसके अलावा आज राज्य में यह सौभाग्य किसी को भी नही... Read more
उत्तराखण्ड में इष्ट देवता
इष्ट देवता का सामान्य अर्थ है मान्य, आदरणीय, पूज्य देवशक्ति. लेकिन उत्तराखण्ड के सन्दर्भ में इसका अर्थ है वह देवी या देवता जिसे किसी परिवार, कुटम्ब अथवा समुदाय द्वारा वंशागत रूप से पूजा जाता... Read more
पर्वतों की रानी मसूरी का इतिहास
मसूरी पहला हिल स्टेशन था, जहां स्थानीय स्वशासन की व्यवस्था की गई. वेल्स बंदोबस्त के बाद सन् 1842 के नियम 10 के तहत इस क्षेत्र के नियमन के लिए एक स्थानीय समिति का गठन किया गया. अंग्रेजों के आ... Read more
Popular Posts
- शेरवुड कॉलेज नैनीताल
- दीप पर्व में रंगोली
- इस बार दो दिन मनाएं दीपावली
- गुम : रजनीश की कविता
- मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा
- विसर्जन : रजनीश की कविता
- सर्वोदयी सेविका शशि प्रभा रावत नहीं रहीं
- भू विधान व मूल निवास की लहर
- उत्तराखंड हिमवंत के देव वृक्ष पय्यां
- मुखबा गांव का आतिथ्य
- प्रकृति व महामाया का पर्व नवरात्रि
- प्रसूताओं के लिए देवदूत से कम नहीं ‘जसुमति देवी’
- असोज की घसियारी व घास की किस्में
- ब्रह्माण्ड एवं विज्ञान : गिरीश चंद्र जोशी
- परम्परागत घराट उद्योग
- ‘गया’ का दान ऐसे गया
- कोसी नदी ‘कौशिकी’ की कहानी
- यो बाटा का जानी हुल, सुरा सुरा देवी को मंदिर…
- कुमौड़ गांव में हिलजात्रा : फोटो निबन्ध
- शो मस्ट गो ऑन
- सेंट जोसेफ कॉलेज नैनीताल : देश का प्रतिष्ठित स्कूल
- चप्पलों के अच्छे दिन
- छिपलाकोट अंतरयात्रा : चल उड़ जा रे पंछी
- बिरुण पंचमि जाड़ि जामलि, बसंतपंचमि कान कामलि
- ‘कल फिर जब सुबह होगी’ आंचलिक साहित्य की नई, ताज़ी और रससिक्त विधा