फादर्स डे स्पेशल : वीरेन डंगवाल की कविता
रूग्ण पिताजी रात नहीं कटती ? लम्बी यह बेहद लम्बी लगती है ? इसी रात में दस-दस बारी मरना है जीना है इसी रात में खोना-पाना-सोना-सीना है जख्म इसी में फिर-फिर कितने खुलते जाने हैं कभी मिले थे... Read more
महादेवी वर्मा हिन्दी साहित्य के महत्वपूर्ण छायावादी आन्दोलन के चार बड़े नामों में से एक थीं. इस समूह में उनके अलावा जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पन्त और महाप्राण सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ थे... Read more
अगर समझ सको तो, महोदय पत्रकार!
पत्रकार महोदय – वीरेन डंगवाल ‘इतने मरे’ यह थी सबसे आम, सबसे ख़ास ख़बर छापी भी जाती थी सबसे चाव से जितना खू़न सोखता था उतना ही भारी होता था अख़बार. अब सम्पादक चूंकि था प्रका... Read more
धरती मिट्टी का ढेर नहीं है अबे गधे
वीरेन डंगवाल (Viren Dangwal) के बारे में मशहूर कवि/सम्पादक/आलोचक विष्णु खरे ने लिखा था: “लेकिन इससे बड़ी ग़लती कोई नहीं हो सकती कि हम वीरेन डंगवाल को सिर्फ कवियों, कलाकारों और मित्रों का... Read more
वीरेन डंगवाल का स्मारक बनेगा बरेली में
साहित्य अकादेमी सम्मान से पुरुस्कृत विख्यात हिन्दी कवि वीरेन डंगवाल (Viren Dangwal) की स्मृति में शीघ्र ही बरेली में एक स्मारक निर्मित किया जाएगा. इस आशय की सूचना देते हुए वीरेन डंगवाल के बड़... Read more
किसने आख़िर ऐसा समाज रच डाला है
हमारा समाज -वीरेन डंगवाल यह कौन नहीं चाहेगा उसको मिले प्यार यह कौन नहीं चाहेगा भोजन वस्त्र मिले यह कौन न सोचेगा हो छत सर के ऊपर बीमार पड़ें तो हो इलाज थोड़ा ढब से बेटे-बेटी को मिले ठिकाना द... Read more
इतने भले नहीं बन जाना साथी
वीरेन डंगवाल (Viren Dangwal) हिन्दी के आधुनिक कवियों की सूची में ऊंचा स्थान रखते हैं. वीरेन डंगवाल (5 August 1947 -27 September 2015) की रचनाओं में गहरी जनपक्षधरता, समाज की गहरी समझ और भाषा-... Read more
नैनीताल में दीवाली: वीरेन डंगवाल
नैनीताल में दीवाली ताल के ह्रदय बले दीप के प्रतिबिम्ब अतिशीतल जैसे भाषा में दिपते हैं अर्थ और अभिप्राय और आशय जैसे राग का मोह तड़ तडाक तड़ पड़ तड़ तिनक भूम छूटती है लड़ी एक सामने पहाड़ पर बच... Read more
कुछ कद्दू चमकाए मैंने -वीरेन डंगवाल कुछ कद्दू चमकाए मैंने कुछ रास्तों को गुलज़ार किया कुछ कविता-टविता लिख दी तो हफ़्ते भर ख़ुद को प्यार किया अब हुई रात अपना ही दिल सीने में भींचे बैठा हूँ हा... Read more
तुम किसकी चौकसी करते हो रामसिंह ?
रामसिंह -वीरेन डंगवाल दो रात और तीन दिन का सफ़र तय करके छुट्टी पर अपने घर जा रहा है रामसिंह रामसिंह अपना वार्निश की महक मारता ट्रंक खोलो अपनी गन्दी जर्सी उतार कर कलफ़दार वर्दी पहन लो रम की ब... Read more
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