जलवायु परिवर्तन की रपट
आईपीसीसी अर्थात “इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज” की चिरप्रतीक्षित रपट के जारी होने से विश्व भर में जलवायु परिवर्तन के खतरों में कहीं बाढ़ के खतरे बढ़ने तो कई देशों के भयावह... Read more
शिव के प्यारे नाग
नाग नागिन का संसार बड़े रोचक आख्यानों से भरा पड़ा है. उत्तराखंड में नागपूजा आदिकाल से ही प्रचलित मानी गई. लोक मान्यता है कि जब ब्रह्मा जी ने कुपित हो कर नागों को श्राप दिया तो नाग पुष्कर पर्... Read more
पहाड़ की सड़कों में विस्फोटक पर रोक
बरसों से पहाड़ में सड़क बनाने में रास्ते में आती चट्टानों की बाधा को दूर करने के लिए डायनामाइट का बेरोकटोक इस्तेमाल किया जाता रहा. इसके खतरे के प्रति नामचीन और पहाड़ के भूगर्भ की पड़ताल कर च... Read more
विकास का असमंजस, हरियाली की फिक्र
हरियाली को बनाए-बचाने की चिंता और साफ हवा में सांस लेने लायक का वायु मण्डल बनाने की कोशिश के संकेत जलवायु परिवर्तन को देश के विकास की चुनौती के रूप में देख रहे हैं. पिछले कई दशकों से पर्यावर... Read more
आंचलिक साहित्यिक कृति ‘हम तीन थोकदार’
वर्ष 2020 में उम्र के पचहत्तरवें पायदान में कदम रखते तीन थोकदारों का यह किस्सा शुरू हुआ जिसके पीछे गाँव के बालक की वह कथा है, जिसमें वह मातृ विहीन हो दस साल की आयु तक अपने गोठ- घर में गुजार... Read more
वो सबके बीच चाचू नाम से जाने जाते हैं. उनके सामने पड़े रहते हैं लकड़ी के बेडौल टुकड़े जिन्हें वह जंगल जंगल से बटोर अपनी आँखों के सामने सहेज कर रख देते हैं.बेजान लकड़ियों का हर टुकड़ा इस उम्म... Read more
वन्य जीव विहार का खुलना और धन सिंह राणा की वसीयत
धन सिंह राणा याद आ गए. चमोली जिले के लाता गांव वाले सीधे साधे से आम पहाड़ी. 1974 में बिरला राजकीय महाविद्यालय में अर्थशास्त्र का शिक्षक होने के बाद वहां ऐसे कुछ चेले मिले जो हर छुट्टी में अप... Read more
अंग्रेजी राज में पहाड़ का पानी
किसी इलाके में रहने वाले लोग अपने कामकाज को वहां के पर्यावरण व परिवेश के हिसाब से न केवल निर्धारित करते है बल्कि मात्रा व गुणवत्ता की दृष्टि से उन्हें विकसित करने के प्रयत्न व प्रयास भी करते... Read more
अंग्रेजों के ज़माने की चाय की फसक पराव
हाथ में गरम चहा का गिलास पकड़े और फिर गुनगुनाते पहाड़ी धुन का ये गीत आपने कभी न कभी सुना ही होगा “ओ! हो ठुल बौज्यू! कसिकै छुटण छू, अमल पड़ी गो चहा को पाणी. ओ! हो! ठुलबौज्यू!…... Read more
भाषाविदों के अनुसार कुमाँऊनी एक इंडो आर्यन भाषा है जो कुमाऊँ में प्रचलित है और अलग-अलग जनपदों में थोड़े बहुत अलग सुर और ढंग से बोली जाती रही है. अब जो मीठा और लोचदार स्वर कुमय्याँ का लोहाघाट... Read more
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