गांव की चौपाल पर टीवी
गाँव की चौपाल पर एक छोटा सा टीवी लगा था. टीवी और जगह भी लगे थे ,पर वे एंटीने वाले थे. चौपाल का टीवी छतरी वाला था. छतरी वाला टीवी जब से गाँव में आया, पूरे गाँव का माहौल ही बदल गया. छतरी की छ... Read more
संगठित लेखक प्रकाशकों पर भारी पड़ते हैं
हालत पाठकों की भी कुछ कम ख़राब नहीं थी. शर्मा जी के बारे में पता चला कि पुस्तक मेले से लौट कर उन्हें साँस लेने में तकलीफ़ है, तो मैं देखने चला गया. (Satire by Priy Abhishek) बिस्तर पर लेटे-ल... Read more
मदन जी पूरी रात नहीं सोए. और करवट भी नहीं बदल पाए. एक तरफ़ कनक भूधराकार सरीरा उनकी पत्नी सो रही थीं. जो समर भयंकर अति बलबीरा भी थीं. जिनके खर्राटे उनके हृदय में रणभेरी जैसी धमक पैदा कर रहे थ... Read more
कविराज नूर बहोड़ापुरी के बारे में ख़बर मिली कि पुस्तक मेले से लौट कर वे भारी अवसाद (डिप्रेशन) में चले गए हैं. इतना कि उनको मानसिक आरोग्यशाला में भर्ती कराना पड़ा. मैं उनको देखने के लिए अस्पत... Read more
पतंग लूटना कला भी है और विज्ञान भी
ये पूरा कार्य किसी फ़ौज के अभियान से कम नहीं होता. वही पदसोपान, वही अनुशासन,वही रणनीति, वही जोश और वही जज़्बा. (Satire Priy Abhishek) बिल्कुल नए रंगरूट के तौर पर हमें सबसे पहले ‘छुड़इय... Read more
जिससे है सबको आशा, दिखा दे लोकतंत्र का तमाशा!
जमूड़े! हाँ उस्ताद! लोगों को हँसाएगा? हँसाएगा! तालियां बजवाएगा? बजवाएगा! जमूड़े! जिससे है सबको आशा, दिखा दे लोकतंत्र का तमाशा! उस्ताद! तेरा हुकुम वजा लाता हूँ, मैं भीड़तंत्र दिखलाता हूँ! जमू... Read more
हम सब कठपुतलियां हैं
एक बड़े शहर के एक बड़े कला केंद्र में कठपुतली समारोह का आयोजन किया गया. अनेक अभिवावक अपने छोटे-छोटे बच्चों को यह समारोह दिखाने के लिये लाए. आगे की सीटें मुख्य अतिथि, सचिव, उपसचिव, सहायक सचिव... Read more
ठेसबुक में लाठी, कट्टे, तमंचे के प्रवेश की व्यवस्था हेतु मारक जोकर बर्ग के नाम प्रार्थना पत्र
सेवा में, श्रीमान मारक जोकर बर्ग जी मुख्य अभियंता ... Read more
बात सन दो हज़ार पचास की
बात सन दो हज़ार पचास की है. ये वो समय था जब युवा विभिन्न वीडियो साइट्स पर डालने के लिये अपने वीडियो बनाते रहते थे,और फुर्सत मिलते ही फुलकी/पानीपूरी, मोमोज़ का ठेला लगा लेते थे. बाकी अधिकांश... Read more
कैसैं कै दें मिल गई है आजादी
आज सबेरैं भज कै आई दरवज्जे पै टुइयाँपटिया बैठी अम्मा बोलींकितैं गई थी गुइयाँ? बोली टुइयाँ गई सकूल मेंहोती बितैं मुनादीलड़ुआ बाँटत माट्टर बोलैंआज मिली आजादी बात समझ न आई जेसब बोलें सूदी-... Read more
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