‘प्रेमचंद घर में’ – पुण्यतिथि विशेष
Posted By: Girish Lohanion:
आज प्रेमचंद पुण्यतिथि के अवसर पर पढ़िये ‘प्रेमचंद घर ‘ में का एक अंश : मैं गाती थी, वह रोते थे शिवरानी देवी बंबई में एक रात बुखार चढ़ा तो दूसरे दिन भी पांच बजे तक बुखार नहीं उतर... Read more
प्रेमचंद के फटे जूते
Posted By: Girish Lohanion:
प्रेमचंद का एक चित्र मेरे सामने है, पत्नी के साथ फोटो खिंचा रहे हैं. सिर पर किसी मोटे कपड़े की टोपी, कुरता और धोती पहने हैं. कनपटी चिपकी है, गालों की हड्डियां उभर आई हैं, पर घनी मूंछें... Read more
पचास साल पहले इलाहाबाद में कथाकार अशोक कंडवाल के साथ: प्रेमचंद और उनके बेटे की स्मृतियां
Posted By: Kafal Treeon:
अपनी जिंदगी के किसी पुराने टुकड़े को एकदम जीवंत रूप में देखना कितना रोमांचकारी होता है, इसका अहसास मुझे कुछ ही देर पहले तब हुआ जब मुझे पुराने किताबों के ढेर में ‘नई कहानियाँ’ का जनवरी, 1969... Read more
Popular Posts
- कुमाउँनी बोलने, लिखने, सीखने और समझने वालों के लिए उपयोगी किताब
- कार्तिक स्वामी मंदिर: धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आध्यात्मिक संगम
- ‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा
- पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा
- पर्यावरण का नाश करके दिया पृथ्वी बचाने का संदेश
- ‘भिटौली’ छापरी से ऑनलाइन तक
- उत्तराखण्ड के मतदाताओं की इतनी निराशा के मायने
- नैनीताल के अजब-गजब चुनावी किरदार
- आधुनिक युग की सबसे बड़ी बीमारी
- छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : दिशाएं देखो रंग भरी, चमक भरी उमंग भरी
- स्याल्दे कौतिक की रंगत : फोटो निबंध
- कहानी: सूरज के डूबने से पहले
- कहानी: माँ पेड़ से ज़्यादा मज़बूत होती है
- कहानी: कलकत्ते में एक रात
- “जलवायु संकट सांस्कृतिक संकट है” अमिताव घोष
- होली में पहाड़ी आमाओं का जोश देखने लायक होता है
- पहाड़ की होली और होल्यारों की रंग भरी यादें
- नैनीताल ने मुझे मेरी डायरी के सबसे यादगार किस्से दिए
- कहानी : साहब बहुत साहसी थे
- “चांचरी” की रचनाओं के साथ कहानीकार जीवन पंत
- आज फूलदेई है
- कहानी : मोक्ष
- वीमेन ऑफ़ मुनस्यारी : महिलाओं को समर्पित फ़िल्म
- मशकबीन: विदेशी मूल का नया लोकवाद्य
- एक थी सुरेखा