नातिणी-बड़बाज्यू संवाद
‘नातिणी-बड़बाज्यू संवाद’ गिरीश तिवाड़ी ‘गिर्दा’ का ब्रजेन्द्र लाल शाह को श्रद्धांजलि देते हुये लिखे लेख ‘यह सृष्टि सुहागिन रहे कामना मेरी’ का हिस्सा है.... Read more
गिर्दा तुमने जिंदगी भर क्या कमाया है
गिर्दा के बारे में उचित ही कहा जाता है कि वो कविता करता नहीं जीता था. और जब कविता सुनाता था तो लगता था जैसे अंग-अंग से कविता फूट रही हो. भरपूर अवसरों के बावजूद गिर्दा ने अपनी सृजनशीलता को व्... Read more
जन्मदिन पर गिर्दा की याद
गिर्दा एक खूबसूरत आदमी थे. उम्दा कोनों, सतहों, गहराइयों-उठानों वाला तराशा हुआ गंभीर चेहरा और आलीशान जुल्फें. और बात करने का ऐसा अंदाज कि जैसे खुद मीर तकी मीर कह रहे हों: (Remembering Girda t... Read more
गिर्दा का एक इंटरव्यू जिसे जरूर पढ़ा जाना चाहिये
गिरदा की 9वीं पुण्यतिथि पर वरिष्ठ पत्रकार ध्रुव रौतेला से वर्ष 2006 में प्रकाशित उनकी बातचीत का अंश : आप आखिर क्यों गैरसैंण के पीछे पड़े हुए हैं, किसके लिएॽ अब लड़ाई अपनों से है क्योंकि यह... Read more
काफल ट्री के नियमित सहयोगी चंद्रशेखर तिवारी ने ‘उत्तराखण्ड होली के लोक रंग’ नाम से एक महत्वपूर्ण पुस्तक का सम्पादन किया है. समय साक्ष्य प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक का प्रार... Read more
पारंपरिक लोक-संगीत की धरोहर ‘हरदा सूरदास’
बात कुछ साल पुरानी होगी. संभवतः 1980-81 की. मई-जून का महीना. नैनीताल टूरिस्टों से खचा-खच भरा हुआ. शहर की माल रोड मोटर-कारों से त्रस्त. ऐसे वातावरण में स्टेट बैंक मल्लीताल के पास मेरे कान में... Read more
रामलीला के बहाने नये – नये प्रयोग भाग : 2
पिछली कड़ी तो एक बार भवाली की टीम को ‘राम वनवास’ वाला प्रसंग मिला प्रस्तुति के लिये. राम-लक्ष्मण का वनवासी वेष धारण करने का दृश्य जिस प्रभावकारी और सादगी के साथ उन्होंने मंच पर प्रस्तुत किया... Read more
रामलीला के बहाने नये – नये प्रयोग भाग : 1
कुमाऊॅं (उत्तराखण्ड) में प्रचलित रामलीला सम्भवतः संसार का एक मात्र ऐसा गीत नाट्य है जो ग्यारह दिनों तक लगातार क्रमशः चलता है और जिसमें कई-कई बार बाजार का पूरा एक हिस्सा-पूरा इलाका ही मंच बन... Read more
हम जाने भी कहां देंगे तुमको गिर्दा
उस साल यानी 2010 में अचानक एक याद बन गया गिर्दा. इतवार, 22 अगस्त का दिन था. बारह बजे के आसपास मोबाइल फोन कुनमुनाया. देखा, लखनऊ से नवीन का संक्षिप्त एस एम एस था- ‘हमारे गिर्दा चल दिए इस दुनिय... Read more
पुण्यतिथि पर गिर्दा को अल्मोड़ा में याद किया गया
जनकवि गिर्दा को आज अल्मोड़ा के रंगकर्मियों, आन्दोलनकारियों व आम लोगों ने उनकी आठवीं पुण्यतिथि पर उनके गीत गाकर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी. इस अवसर पर वक्ताओं ने गिर्दा के जीवन से जुड़ी महत्वप... Read more
Popular Posts
- पहाड़ों में पिछले एक महीने से खेतों में उत्सव का माहौल है
- जी रया जागि रया यो दिन यो मास भेटने रया
- कल हरेला है
- चौमास में पहाड़
- एक सुनहरे युग के आख़िरी बाशिंदे थे जिमी
- छिपलाकोट अंतरयात्रा: चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ
- मखमली दुनिया के सफ़र में : फोटो निबंध
- कुन्चा : रं (शौका) समुदाय की एक कथा
- पहाड़ के खेतों से पेरिस ओलम्पिक का सफ़र तय करने वाली अंकिता
- आतंकी हमले में शहीद पांचों जवान उत्तराखंड के
- घर से नहीं निकलने वाला वोटर
- हरेला कब बोया जाता है
- कांग्रेस-बसपा के सामने अपनी सीटें बचाने की चुनौती : उत्तराखंड उपचुनाव
- सड़क की भूख गाँवों को जोड़ने वाले छोटे रास्ते निगल गई
- बगोरी की राधा
- पंवाली कांठा का सुकून : फोटो निबंध
- उत्तराखंड की पांच उच्च जोखिम वाली ग्लेशियल झीलें
- मैं रिसाल हूं, बिनसर का अभिन्न अंग, इसे जलाने का दोषी नहीं
- छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया
- देहरादून की जनता ने अपने पेड़ों को बचाने की एक और लड़ाई जीती
- जब पहाड़ के बच्चों का मुकाबला अंग्रेजी मीडियम से न होकर हिन्दी मीडियम से था
- मुनस्यारी के धर्मेन्द्र की डॉक्यूमेंट्री इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में दिखेगी
- तैमूर लंग की आपबीती
- हमारे बच्चों के लिए गांव के वीडियो ‘वाऊ फैक्टर’ हैं लेकिन उनके सपनों में जुकरबर्ग और एलन मस्क की दुनिया है
- मेले से पिछली रात ऐसा दिखा कैंची धाम