देहरादून में रहने वाले ग्यारह साल के बच्चे ने लिखी कविताओं की बड़ी किताब, देश भर में चर्चा
15 अगस्त 2008 को जन्मे दस साल के तथागत आनंद श्रीवास्तव देहरादून में रहते हैं. देहरादून निवासी डॉ. आनंद श्रीवास्तव और श्रीमती डॉ. रमा (ऋतु) श्रीवास्तव के इस होनहार बच्चे कविताओं की पहली किताब... Read more
[हाल में नैनीताल के बीरभट्टी के समीप हुए हादसे में दिवंगत हुए पुलिसकर्मियों को लेकर सोशल मीडिया के कुछ हिस्सों में जिस तरह की टिप्पणियां और प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं वे विचलित करने वाली थ... Read more
हिन्दी में लिख रहे नौजवान लेखक ‘गहन है यह अन्धकारा’ से खूब सारे सबक सीख सकते हैं
पुलिस को खबर मिलती है कि एक जली हुई सिर कटी लाश मिली है. पुलिस तफ्तीश करती है और कई तरह की पूछताछों, शिनाख्तों और अनुसन्धानों के बाद अपराधी का पता लगा लेती है. (Gahan Hai Yah Andhkara Review... Read more
दो पैसे की धूप चार आने की बारिश
दो पैसे की धूप, चार आने की बारिश कि जैसे अठन्नी की कला और सोलह आना खुशी दीप्ति नवल अदाकारा हैं, कवि हैं, पेंटर हैं, उनके जीवन में संगीत भी है और वो फिल्म निर्देशक भी हैं. इन सबके के साथ आप अ... Read more
रिटायरमेंट के बाद कमरे में सोएं, यही चाहते हैं बस
बहुत कुछ घुमड़ रहा था उसकी आँखों में. आँखों में देखकर बातें नहीं कर रहा था वो. सामने मेज पर पर एल आई सी का टेबल कैलेण्डर था. उसकी तरफ शायद जून था. जून का एक चित्र था. चित्र में एक परिवार था.... Read more
एस.पी. बालासुब्रमण्यम : जिनकी आवाज़ पुराने चावल की खुशबू की तरह पूरे घर में फैल जाती है
आवाज़ बहुत भारी थी वो. बहुत ही भारी. तमाम आवाज़ों के बीच जगह बनाकर भीतर जम गई. यूं कि जैसे आलती-पालथी मारे बैठ ही गई हो. बहुत मशक्कत से उठाने से भी न उठे. खासकर उस कंठ के लिए जो बहुत कोमल से... Read more
नाम में क्या रखा है
नाना के पास कहानियां थीं. नानी तो हमारे कहानी सुनने की उम्र से पहले ही खुद कहानी हो गईं थीं इसलिए हमने जब कहानी को कहानी की तरह पाया तो सामने नाना थे. शायद यही वजह रही हो कि हमें नानी और कहा... Read more
कायनात की तमाम साज़िशों के बावजूद गणित’ज्ञ’ नहीं हो सके हम. ‘क’ पर ही निपट लिया मामला. उतनी ही गणित सीख सके जितनी बाज़ार से सौदा सुलुफ लाने में काम आ सके. आज भी कोई ब... Read more
देख तो दिल कि जाँ से उठता है…
गोर किस दिलजले की है… देख तो दिल कि जाँ से उठता है… चट्टे परेशान थे. नाराज़ थे. ‘हद्द है. कोई इज्जत नहीं अपनी. अब तो…’ उन्होंने छलांग लगा दी. थैले से बाहर. थैले... Read more
बहुत सी थर्ड डिग्रियां टहल रही हैं मार्केट में
समय की सबसे बड़ी समस्या है अविश्वास ! नहीं नहीं मैं कहूँगा गोल डिस्प्लेसमेंट! अं…ऊँ… खैर छोड़ो ! (Belief in the Time of Disbelief) देखो तो! उत्पादकता बढ़ाने के लिए कर्मचारियों को... Read more
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