लाइव के मौसम में एक जरूरी कथा
[अमित श्रीवास्तव की यह ताज़ा कहानी सच की अनेक परतों के बीच डूबती-उतराती रहती है. यह आधुनिक समय की अनेक ऐसी विद्रूपताओं के ऊपर पड़े जालों को साफ़ करता हुआ एक दस्तावेज है जिसे पढ़कर हमें अपने ही अ... Read more
सुंदरी के पेड़ों, खूब मिट्टी, कीचड़ और दलदल से भरा एक ज्वारग्रस्त इलाका है सुंदरबन. खाड़ी में गिरने से पहले गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियाँ सुस्त और लापरवाह हो उठती हैं और अपने लम्बे रास्त... Read more
“स्पोर्ट्समैन स्पिरिट कहाँ है तुम लोगों की?” पिता कमर पर हाथ रखकर बोल रहे थे. मिंयादाद ने अभी-अभी चेतन शर्मा की आख़िरी बॉल छक्के के लिए उड़ा दी थी और हम सब टीवी फोड़ सकने का इरादा तो नहीं रख... Read more
आम की तो छोड़ो गुरु अमरूद कहाँ हैं यही बता दो
“स्टिल वर्किंग?” किसी बहुराष्ट्रीय कम्पनी में उच्च ओहदे पर अवस्थित दोस्त ने फोन पर अपनी टोन में घुसी आ रही मुस्कुराहट को छुपाते हुए पूछा. Amit Srivastava Questions the Unquestioned “या... Read more
आज आठ अप्रैल है. लॉक डाउन के प्लान के हिसाब से आज के बाद नए पॉज़िटिव केसेज़ आने की संख्या में गिरावट दर्ज की जानी चाहिए. मगर अब ऐसा होता लगता नहीं. पिछले दिनों कुछ लोगों की लापरवाही ख़तरनाक... Read more
आपको क्या लगता है कोरोनोत्तर काल कैसा होगा? आपको लगता है कि दुनिया की शक्लोसूरत बदल जाएगी? आपको लगता है कि लोग थोड़े संयमित, थोड़े सहिष्णु, थोड़े उदारमना हो जाएंगे? आपको लगता है कि सूचना विस... Read more
बार-बार नहीं आते अरविन्द डंगवाल जैसे थानेदार
अरविन्द डंगवाल हल्द्वानी के पुलिस विजिलेंस डिपार्टमेंट से आज रिटायर हो रहे हैं. एक बहादुर और कर्मठ पुलिस अधिकारी के रूप में उन्होंने अपने पूरे कार्यकाल में जो प्रतिष्ठा अर्जित की वह उनके सहक... Read more
रंग भरी बाल्टीकौन सा रंगहरा!! कैलेंडर उठाइये, थोड़ा विस्तार से समझते हैं. जनता कर्फ्यू को बहुत प्रभावी न मानते हुए ये मान लेते हैं कि 25 मार्च से देश में लॉक डाउन हुआ. अब कल्पना करें कि 25 त... Read more
कोरोना महामारी के समय एक जरुरी लेख
दुनिया नहीं खत्म होने वाली लेकिन कुछ लोग होंगे जिनकी पूरी दुनिया खत्म हो जाने वाली है. पूरी दुनिया अब भारत जैसे देशों की कार्यवाही पर निर्भर करती है. इस वायरस का प्रकोप कम होने के बाद दुनिया... Read more
छुअ जिन मोरे लाल
सीन वन: सलामी आज से तकरीबन पच्चीस बरस पहले का होगा ये वाक़िया. गर्मियों के दिन थे और अपने बड़े भाई साहब के दोस्त के ननिहाल जाना हुआ. तब होता था ऐसा कुछ. दोस्त के मामा के ननिहाल या मामा के दो... Read more
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