मेरा बचपन अल्मोड़ा के समीप सतराली में बीता. सतराली की होली प्रसिद्व थी. बसन्त पंचमी से होली गायन आरम्भ होता था. ढोलक में जौ चढ़ाकर रात में गांव के चौपाल में अलाव के आगे होली गाई जाती थी. बच्चे... Read more
खोलो किवाड़ चलो मठ भीतर : गढ़वाली होरी के गीत
Posted By: Girish Lohanion:
वसन्त ऋतु में होली का विशेष महत्व है. गढ़वाल में होली को होरी कहा जाता है. इस नृत्यगीत में ब्रजमंडल के ही गीतों का गढ़वालीकरण किया हुआ लगता है. प्रायः सभी होरी (होली) गीतों में कहीं-कहीं ही गढ़... Read more
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