सानन थैं पधान हो कयो, रात्ति में बांगो
हमारे अंचल में एक किस्सा प्रचलित है, कहा जाता है कि किसी जमाने में, जब पेड़-पौधे, पंछी-जानवर इंसानों की तरह बात करते थे. उस जमाने में जानवरों ने अपना प्रधान शेर को बनाया तो पंछियों ने चील को... Read more
अल्मोड़ा में अंग्रेज टैक्सी से आया या घोड़े पर, यह तो काल-यात्रा से ही पता लगेगा लेकिन उसका यहां तक पहुंचना, औपनिवेशिक विस्तार के बहुत बड़े आख्यान का छोटा सा हिस्सा भर है. जब अंग्रेज अल्मोड़... Read more
मासी, रैमासी, जटामासी किसी भी नाम से पुकार लीजिये इसकी महक कम न होगी. पहाड़ के अनेक लोकगीतों में इसके फूल का रहस्यमयी अंदाज में जिक्र हुआ है. ऐसा फूल जो ऊंचे कैलास में फूलता है. ऐसा फूल जो म... Read more
पहाड़ी महिलाएं पलायन के लिये कितनी जिम्मेदार
पलायन पहाड़ी गावों की संभवतया सबसे बड़ी समस्या के रूप में सामने है. इसके कारणों पर बड़े-बड़े विशेषज्ञ अपनी बात कहते हैं और समाधान के लिए बड़े भारी भरकम आयोग स्थापित हो गए हैं, लेकिन फिलहाल इ... Read more
मर्तोली के बुग्यालों में चौमास में चरने वाले घोड़े और खच्चर गुलामी भूल जाते हैं
जब हम रालम और जोहार के लिए पिथौरागढ़ से निकले तो बरसात अपने चरम पर थी और रोड जगह जगह टूटी हुई थी. नाचनी से आगे हरडिया पर हमारी जीप कीचड़ में धंस गयी जिसे निकालने की कवायत में हमारे जूते बुरी... Read more
नहर देवी में एक छोटे से बाड़े में पैतीस चालीस लोगों के बीच दब कर जैसे-तैसे रात बिताने के बाद अगले दिन भी मौसम ने कोई राहत नहीं दी. कुछ लोग जो नीचे को जाने वाले थे वह बोगड्यार के लिए निकल गए... Read more
भयंकर बारिश के बीच गोरी नदी किनारे काली अंधेरी रात
सितम्बर में जाते मानसून के साथ हमने मिलम की दूसरी यात्रा शुरू की थी. जिस दिन हम पैदल चलना शुरू हुए उस दिन बारिश रुकी थी लेकिन उससे पहले दो तीन दिन काफी बारिश हुई थी. इस बार मैं गोविन्द से को... Read more
मिलम ग्लेशियर का वह सफ़र जो आखिरी हो सकता था
मिलम, कहते हैं किसी समय अल्मोड़ा जिले के सबसे बड़े गांवों में एक गिना जाता था. यह इतना बड़ा था कि यहाँ के बारे में एक किस्सा ही चल पड़ा. जब कोई नई दुल्हन ब्याह कर यहाँ आती थी तो जब सुबह पानी... Read more
पहली बार जोहार की यात्रा के लिए जब कमल दा के साथ निकला था तो मुझे कत्तई पता न था कि मैं किस तरह की जगह जाने वाला हूँ. मैंने अपने याशिका कैमरे के लिए तीन डब्बे फिल्म के जुटाए और एक बैग किया त... Read more
डेढ़ जूता और ठाणी की धार
तवाघाट से मांगती के बीच सड़क टूटी थी तो हमें तवाघाट से ठाणी धार चढ़कर चौदास होते हुए आगे बढ़ना था. ठाणी की चढ़ाई किसी भी मुसाफिर के सब्र और हिम्मत का पूरा इम्तिहान लेती है. इस धार में कुछ कि... Read more
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